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जानें- किस कानून की आड़ में बचते ये दागी नेता, लोकतंत्र के मंदिर में अपराधियों का दबदबा

आइए जानते है देश की संसद व विधानसभाओं में कितने दागी नेता मौजूद है। इसके पूर्व में सुप्रीम कोर्ट का क्‍या था नजरिया। क्‍या कहता है जनप्रतिनिधित्व कानून की धारा 8 (4)। आदि-अादि।

By Ramesh MishraEdited By: Published: Mon, 21 Jan 2019 01:37 PM (IST)Updated: Mon, 21 Jan 2019 01:39 PM (IST)
जानें- किस कानून की आड़ में बचते ये दागी नेता, लोकतंत्र के मंदिर में अपराधियों का दबदबा
जानें- किस कानून की आड़ में बचते ये दागी नेता, लोकतंत्र के मंदिर में अपराधियों का दबदबा

नई दिल्‍ली [ जागरण स्‍पेशल ]। राजनीति में बढ़ते अपराधीकरण की प्रवृत्ति पर लगाम लगाने के लिए आज देश की शीर्ष अदालत सुनवाई करेगी। इस जनहित याचिका में यह मांग की गई है कि राजनीतिक दलों के भीतर यह नियम सख्‍ती से लागू किया जाए कि दागियों को राजनीतिक दल टिकट नहीं दे सके। आइए जानते है देश की संसद व विधानसभाओं में कितने दागी नेता मौजूद है। इसके पूर्व में सुप्रीम कोर्ट का क्‍या था नजरिया। क्‍या कहता है जनप्रतिनिधित्व कानून की धारा 8 (4)। आदि-अादि।

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एडीआर की चौंकाने वाली रिपोर्ट

एसोसिएशन ऑफ़ डेमोक्रेटिक रिफॉर्म (एडीआर) की रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 2014 में आम चुनाव में 542 सांसदों में से 185 सांसदों के नाम आपराधिक मामला दर्ज है। यानी देश के 34 फीसद सांसदों पर आपराधिक रिकॉर्ड है। इस रिपोर्ट में 185 में से 112 सांसदों पर तो गंभीर मामले दर्ज हैं। हालांकि, 2009 के लोकसभा में दागी सांसदों की संख्‍या में कमी आई। इस चुनाव में 158 सांसदों पर आपराधिक मामले दर्ज थे। अगर राज्‍यों की बात करें तो आपराधिक रिकॉर्ड वाले सांसद सबसे ज़्यादा महाराष्ट्र से आते हैं। इस मामले में उत्‍तर प्रदेश दूसरे नंबर पर और तीसरे पर बिहार है।

2014 से 2017 के बीच कितने वर्तमान और पूर्व विधायकों और सांसदों के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज हुए। सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार अपने जवाब में 28 राज्‍यों का ब्‍योरा दिया था। इसमें बताया गया था कि उत्‍तर प्रदेश के सांसदों विधायकों के खिलाफ सबसे ज्‍यादा मुकदमें लंबित है। 2014 में कुल 1581 सांसदों और विधायकों के खिलाफ आपराधिक मामले लंबित थे। इसमें लोकसभा के 184 और राज्‍यसभा के 44 सांसद शामिल थे। महाराष्‍ट्र के 160, उत्‍तर प्रदेश के 143, बिहार के 141 और पश्चिम बंगाल के 107 विधायकों पर मुकदमें लंबित थे। ऐसे जनप्रतिनिधियों की भी संख्‍या बढ़ी है, जिन पर हत्‍या, हत्‍या के प्रयास और अपहरण जैसे गंभीर मामले दर्ज  हैं। 2009 के आम चुनाव में ऐसे सदस्‍यों की संख्‍या तकरीबन 77 यानी 15 फीसद थी जो अब बढ़कर 21 फीसद हो गई है। 

पांच माह पूर्व पीठ ने दिया था ये फैसला

पांच माह पूर्व मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने आपराधिक छवि के नेताओं को चुनाव लड़ने से रोकने के लिए दायर याचिका पर अपना फैसला सुनाया था। सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने यह कहा था कि संसद को यह सुनिश्चित करने के लिए कानून बनाना चाहिए कि आपराधिक मामलों का सामना करने वाले लोग राजनीति में प्रवेश न करें। कोर्ट ने यह भी कहा कि चुनाव से लड़ने से पहले प्रत्‍येक प्रत्‍याशी को अपना आपराधिक रिकॉर्ड निर्वाचन आयोग को देना होगा। इसके साथ ही कोर्ट ने कहा था कि सभी राजनीतिक दलों को ऐसे उम्मीदवारों की सूची और विस्तृत जानकारी अपनी वेबसाइट पर प्रकाशित करनी होगी।

2013 में सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला

छह वर्ष पूर्व देश की शीर्ष अदालत ने अपने एक ऐतिहासिक और महत्वपूर्ण फैसले में दोषी सांसदों और विधायकों को एक बड़ा झटका दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि सज़ायाफ्ता सांसद या विधायक सज़ा की तारीख़ से पद पर रहने के अयोग्य होंगे। अदालत ने लिली थॉमस और गैर सरकारी संगठन 'लोक प्रहरी' की ओर से दायर याचिका पर सुनावाई के दौरान जनप्रतिनिधित्व कानून की धारा 8 (4) को रद करते हुए कहा था कि ये धारा पक्षपातपूर्ण है। अदालत ने यह भी स्पष्ट किया था कि उसका फैसला भावी मामलों पर लागू होगा।

याचिका में उठाए गए सवाल

इस याचिका में कहा गया था कि जब संविधान में किसी भी अपराधी के मतदाता के रूप में पंजीकृत होने या उसके सांसद या विधायक बनने पर पाबंदी है, तो फिर किसी निर्वाचित प्रतिनिधि का दोषी ठहराए जाने के बावजूद पद पर बने रहना कैसे क़ानून के अनुरूप हो सकता है। याचिका में कहा गया था कि इस तरह की छूट देने संबंधी प्रावधान पक्षपातपूर्ण है। इससे राजनीति में अपराधीकरण को बढ़ावा मिलता है।

जनप्रतिनिधित्व कानून की धारा 8 (4)

इस धारा में यह प्रावधान है कि अगर निचली अदालत में किसी सांसद या विधायक दोषी ठहराया गया है और उक्‍त फैसले को ऊंची अदालत में चुनौती दी गई है तो दोषी ठहराए गए लोगों को अयोग्‍य नहीं ठहराया जा सकता है, जब तक उच्‍च अदालत का फैसला नहीं आ जाता।


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