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ले. जनरल को पदावनत कर ब्रिगेडियर बनाने पर रोक

सैन्य बल ट्रिब्यूनल (एएफटी) ने गलत तथ्य पेश करने के कारण आर्मी आर्डिनेंस कोर के लेफ्टिनेंट जनरल एनके मेहता को डिमोट कर ब्रिगेडियर बनाने का आदेश दिया था।

By Gunateet OjhaEdited By: Published: Mon, 30 May 2016 07:16 PM (IST)Updated: Mon, 30 May 2016 10:54 PM (IST)
ले. जनरल को पदावनत कर ब्रिगेडियर बनाने पर रोक

नई दिल्ली, प्रेट्र/आइएएनएस। सुप्रीम कोर्ट ने सेना के एक अफसर को लेफ्टिनेंट जनरल से पदावनत कर ब्रिगेडियर बनाने के आदेश पर रोक लगा दिया है। सैन्य बल ट्रिब्यूनल (एएफटी) ने गलत तथ्य पेश करने के कारण आर्मी आर्डिनेंस कोर के लेफ्टिनेंट जनरल एनके मेहता को डिमोट कर ब्रिगेडियर बनाने का आदेश दिया था। इतना ही नहीं एएफटी ने इस चूक के लिए रक्षा मंत्रालय और सेना पर 50 लाख और मेहता पर 5 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया था। शीर्ष अदालत ने ट्रिब्यूनल के इस आदेश पर भी रोक लगा दिया।

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एएफटी के फैसले के खिलाफ केंद्र सरकार की अर्जी पर न्यायमूर्ति पीसी घोष और न्यायमूर्ति अमिताभ राय की वैकेशन बेंच ने उपरोक्त स्थगन आदेश जारी किया। अपनी अर्जी में केंद्र सरकार ने सेना प्रमुख, रक्षा सचिव और सैन्य सचिव पर 50 लाख रुपये का जुर्माना लगाने के ट्रिब्यूनल के आदेश को चुनौती दी है। केंद्र की ओर से पेश अटार्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने कहा, 'ट्रिब्यूनल का आदेश मानने योग्य नहीं है। अगर फैसले पर रोक नहीं लगाई गई तो यह घोर अन्याय होगा और इससे अराजकता पैदा हो जाएगी।' रोहतगी ने बताया कि ट्रिब्यूनल में समीक्षा याचिका दाखिल करने वाले मेजर जनरल आरएस राठौड़ ने मेजर जनरल पद से एनके मेहता के लेफ्टिनेंट जनरल पद पर प्रोन्नति को चुनौती नहीं दी थी। उन्होंने तीन वर्ष के बाद खुद को ब्रिगेडियर से मेजर जनरल बनाए जाने पर सवालिया निशान लगाया है।

इस पर वैकेशन बेंच ने पूछा कि अगर एएफटी के आदेश में कटौती कर दी जाए तो इसका क्या असर पड़ेगा? अटार्नी जनरल ने जवाब दिया कि राठौड़ की अब कोई मदद नहीं हो सकेगी क्योंकि वह 31 मई यानी मंगलवार को रिटायर हो रहे हैं। इसका राठौड़ की वकील ऐश्वर्या भाटी ने विरोध किया। उनका तर्क था कि अगर ट्रिब्यूनल के आदेश पर रोक लगी तो इससे उनके मुवक्किल को नुकसान होगा। सभी पक्षों की सुनवाई के बाद पीठ ने न केवल एएफटी के आदेश पर रोक लगा दिया बल्कि उस टिप्पणी पर भी अमल स्थगित कर दिया, जिसके चलते शीर्ष सैन्य अफसरों के सालाना गोपनीय रिपोर्ट (एसीआर) परीक्षण के सरकार के अधिकार पर प्रतिकूल असर पड़ रहा था।

13 मई के अपने आदेश में एएफटी ने लेफ्टिनेंट जनरल मेहता को दो रैंक डिमोट कर ब्रिगेडियर बनाने का आदेश दिया था। इनको कुछ ही महीने पहले मेजर जनरल से प्रोन्नति देकर लेफ्टिनेंट जनरल बनाया गया था। ट्रिब्यूनल का कहना था कि मेहता को ब्रिगेडियर पद से प्रोन्नति देकर मेजर जनरल बनाने का पूर्व एएफटी का आदेश ही गलत था। उसे माना नहीं जा सकता है। क्योंकि मेहता के बारे में कुछ तथ्यों न्यायाधिकरण से छिपाया गया था।

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