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जब चाहूंगी तब लडूंगी चुनाव : प्रियंका

सोलहवीं लोकसभा के चुनावों में पर्दे के पीछे पार्टी की कमान संभाले प्रियंका फिलहाल चुनाव नहीं लड़ेंगी। वाराणसी से उनके चुनाव लड़ने की उनकी इ'छा की खबरों के बीच प्रियंका ने कहा है कि उनका फोकस अमेठी और रायबरेली पर है। हालांकि, उन्होंने भविष्य में चुनाव लड़ने से इन्कार भी नही किया है। उन्होंने कहा कि वह जब भी चुनाव लड़ेंगी तो मां, भाई और पति का सहयोग रहेगा।

By Edited By: Published: Mon, 14 Apr 2014 06:42 AM (IST)Updated: Tue, 15 Apr 2014 02:02 AM (IST)
जब चाहूंगी तब लडूंगी चुनाव : प्रियंका

नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। सोलहवीं लोकसभा के चुनावों में पर्दे के पीछे पार्टी की कमान संभाले प्रियंका फिलहाल चुनाव नहीं लड़ेंगी। वाराणसी से उनके चुनाव लड़ने की उनकी इच्छा की खबरों के बीच प्रियंका ने कहा है कि उनका फोकस अमेठी और रायबरेली पर है। हालांकि, उन्होंने भविष्य में चुनाव लड़ने से इन्कार भी नही किया है। उन्होंने कहा कि वह जब भी चुनाव लड़ेंगी तो मां, भाई और पति का सहयोग रहेगा।

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लोकसभा चुनावों में बड़ी भूमिका निभा रहीं प्रियंका के सक्रिय राजनीति में आने को लेकर कयास जारी हैं। हालांकि, कांग्रेस वार रूम से लेकर चुनावों में उम्मीदवारों के चयन तक अहम भूमिका निभा रहीं प्रियंका अभी रायबरेली और अमेठी तक ही सीमित रहेंगी। राजनीति की मुख्यधारा में आना उनकी इच्छा पर निर्भर है। ऐसे में देर सबेर राजनीति में उनका आना तय माना जा रहा है। इस बार प्रियंका न सिर्फ देश भर में पार्टी उम्मीदवारों के चयन में अहम भूमिका निभा रही हैं, बल्कि विभिन्न राच्यों में चुनाव अभियान के समन्वय का काम भी देख रही हैं। चुनावों में राहुल गांधी के आक्रामक प्रचार के पीछे भी उन्ही की रणनीति को अहम माना जा रहा है। सूत्रों के मुताबिक सत्ता विरोधी रुझान और भ्रष्टाचार जैसे मुद्दे पर चुनावी मैदान में पीछे चल रही पार्टी की स्थिति को देखते हुए पार्टी प्रियंका की भूमिका को सीमित रखना चाह रही है।

गौरतलब है कि राजनीति में राहुल गांधी की आमद भी कुछ इसी तरह हुई थी। छात्र राजनीति में सक्रिय राहुल की राजनीति की मुख्यधारा में आमद को लेकर तब कांग्रेस के नेता कुछ ऐसा ही जवाब देते थे जैसा प्रियंका के लिए कहा जा रहा है। यहां तक जयपुर अधिवेशन से पहले राहुल के पार्टी में पद को लेकर पूछे जाने पर पार्टी के नेता यह कहते थे कि वह स्वाभाविक रूप से नंबर दो हैं। जयपुर अधिवेशन में ही उन्हें उपाध्यक्ष पद देकर उनके नंबर दो होने की पुष्टि भी कर दी गई।

'नरेंद्र मोदी के खिलाफ प्रियंका को वाराणसी से और रॉबर्ट वाड्रा को वडोदरा से चुनाव लड़ना चाहिए।'-मुख्तार अब्बास नकवी, भाजपा उपाध्यक्ष

'मेरा फोकस रायबरेली और अमेठी पर है। मुझे चुनाव लड़ने से किसी ने नहीं रोका। अगर मैं चुनाव लड़ती तो मेरी मां, भाई और पति मेरा समर्थन करते। राहुल चाहते हैं कि मैं चुनाव लड़ूं, लेकिन अभी मेरी ऐसी इच्छा नही है। चुनाव नहीं लड़ने का फैसला पूरी तरह मेरा है और मैं तब तक चुनाव नहीं लड़ूंगी जब तक मुझे खुद नहीं लगता।'-प्रियंका गांधी वाड्रा

'प्रियंका गांधी कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी के पीछे एक प्रेरणादायी चट्टान की तरह हैं। पार्टी के कार्यकर्ता उनसे स्नेह और उत्साह पाते हैं। उन्होंने अपनी सीमा निर्धारित की है। उन्होंने मां और भाई की सीटों के चुनाव प्रचार का जिम्मा लिया है। हमारी अपील है कि इस निर्णय का सम्मान करें।'-रणदीप सुरजेवाला, कांग्रेस प्रवक्ता

प्रियंका लड़ती तो खत्म हो जाता भ्रम : जेटली

भाजपा के पीएम प्रत्याशी नरेंद्र मोदी को टक्कर देने के लिए प्रियंका गांधी के वाराणसी से चुनाव मैदान में उतरने की खबरों का भले ही खुद प्रियंका ने खंडन कर दिया हो, लेकिन भाजपा नेताओं का मानना है कि उन्हें मैदान में उतर ही जाना चाहिए था। वरिष्ठ भाजपा नेता अरुण जेटली ने कहा कि कम से कम कांग्रेस का भ्रम तो टूट ही जाता। भाजपा उपाध्यक्ष मुख्तार अब्बास नकवी ने सुझाव दिया कि प्रियंका के साथ-साथ राबर्ट वाड्रा को भी वडोदरा से चुनाव लड़ लेना चाहिए था।

जेटली ने कहा कि कांग्रेस एक परिवार के आसपास जमा भीड़ जैसी है। 1977 की तरह ही पार्टी नेताओं का करिश्मा भी खत्म हो गया है। कांग्रेस हताश है और यही कारण है कि उन्हें लगता होगा कि एक नेता नाकाम हो गया है तो दूसरे को आगे किया जाए। अच्छा होता कि प्रियंका लड़ लेती, कम से कम भ्रम तो खत्म हो जाता। जेटली ने कहा कि कांग्रेस नेतृत्व हार की जिम्मेदारी अपने मुख्यमंत्रियों पर फोड़ने की तैयारी में है। सच्चाई यह है कि कांग्रेस की हार के लिए केंद्र सरकार और पार्टी का निष्प्रभावी नेतृत्व है।

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