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अमेरिकी संसद को संबोधित कर सकते हैं पीएम मोदी

अपने दो साल के कार्यकाल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चौथी बार अमेरिका का दौरा करेंगे। माना जा रहा है कि मोदी आगामी जून अमेरिकी दौरे पर रहेंगे। इस दौरान वे अमेरिकी सांसद को संबोधित करेंगे।

By anand rajEdited By: Published: Wed, 20 Apr 2016 09:29 AM (IST)Updated: Wed, 20 Apr 2016 08:34 PM (IST)
अमेरिकी संसद को संबोधित कर सकते हैं पीएम मोदी

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने कार्यकाल के दो वर्षों के भीतर चौथी बार अमेरिका जाने की तैयारी में हैं। राष्ट्रपति बराक ओबामा अपने कार्यकाल के अंतिम राजकीय मेहमान के तौर पर मोदी का स्वागत करने को आतुर हैं। दोनों देशों की सरकारें मोदी की इस यात्रा की तारीख व एजेंडा तय करने में जुटे हैं।

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माना जा रहा है कि यह भारत व अमेरिका के द्विपक्षीय आर्थिक और रणनीतिक रिश्तों को नया आयाम देने का काम करेगा। मोदी अपनी इस यात्रा के दौरान अमेरिकी कांग्रेस की संयुक्त बैठक को भी संबोधित कर सकते हैं। अमेरिकी सांसदों के स्तर पर ही उन्हें कांग्रेस के संयुक्त बैठक को संबोधित करने को लेकर तैयारियां भी शुरू कर दी गई हैं।

वैसे विदेश मंत्रालय मोदी की इस संभावित यात्रा को लेकर अभी तक कुछ नहीं कहा है लेकिन ओबामा प्रशासन की तरफ से इस बारे में लगातार सूचनाएं दी जा रही हैं। अमेरिकी कांग्रेस के विदेश मामलों की समिति के अध्यक्ष एड रॉयस समेत चार बड़े प्रभावशाली अमेरिकी सांसदों ने कांग्रेस अध्यक्ष पॉल रयान को पत्र लिखा है कि मोदी की जून में होने वाली यात्रा के दौरान उन्हें संयुक्त बैठक को संबोधित करने के लिए आमंत्रित किया जाए।

इससे कांग्रेस सदस्यों को मोदी की बात सीधे सुनने का मौका मिलेगा। अगर ऐसा होता है तो मोदी संयुक्त बैठक को संबोधित करते वाले भारत के पांचवें प्रधानमंत्री होंगे। राजीव गांधी (वर्ष 1985), पीवी नरसिंह राव (वर्ष 1994), अटल बिहारी वाजपेयी (वर्ष 2000) और मनमोहन सिंह (वर्ष 2005) में अमेरिकी कांग्र्रेस को संबोधित कर चुके हैं।

रिश्ते प्रगाढ़ करने की नई शुरुआत
अमेरिकी कांग्रेस के संभावित संबोधन के अलावा भी मोदी की यह यात्रा कई मायने में अहम है। मोदी की इस यात्रा की तुलना वर्ष 2000 में पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी की उस यात्रा से की जा रही है जो उन्होंने पूर्व राष्ट्रपति बिल क्लिंटन के विशेष बुलावे पर की थी। क्लिंटन अपने दूसरे कार्यकाल के अंतिम दिनों में थे लेकिन उन्होंंने वाजपेयी को आमंत्रित कर अगली सरकार के लिए भारत के साथ रिश्तों का एजेंडा तय कर दिया था। ओबामा भी अपने कार्यकाल के अंतिम दौर में हैं और चाहते हैैं कि जो भी नई सरकार आए अमेरिकी हितों के लिए भारत के साथ रिश्तों को और गहराई दी जाए। ओबामा ने अपने दूसरे कार्यकाल की शुरुआत भी पूर्व पीएम मनमोहन सिंह को आमंत्रित कर की थी।

द्विपक्षीय स्तर पर प्रधानमंत्री मोदी की यह पहली अमेरिका यात्रा होगी। पिछले दो वर्षों में मोदी चार बार अमेरिका गए हैैं लेकिन हर बार किसी अन्य सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए गए थे। जानकारों की मानें तो मोदी की यह यात्रा द्विपक्षीय, आर्थिक व सामरिक रिश्तों के लिए बेहद अहम साबित होगी। परमाणु संयंत्र लगाने, द्विपक्षीय कारोबार को पांच गुणा बढ़ाने का रोडमैप तैयार करने और सामुद्रिक सुरक्षा से जुड़े समझौतों पर अंतिम तौर पर हस्ताक्षर होने हैं। इन सभी मुद्दों पर दोनों देशों के अधिकारी पिछले दो वर्षों से काम कर रहे हैैं।

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