जीएसटी लागू होने के बाद ही तय होंगी कारों की कीमतें
हाइब्रिड कारों पर जीएसटी रेट को लेकर अभी बातचीत चल रही है।
जयप्रकाश रंजन, नई दिल्ली। जीएसटी लागू होने के बाद पैसेंजर कारों की कीमतें कम होंगी या बढ़ेंगी? यह एक सवाल है जिसको लेकर सरकार भी कुछ नहीं कह रही और न ही ऑटोमोबाइल कंपनियां। कार बेचने वाले डीलर भी पसोपेश में हैं और नई कार खरीदने की योजना बनाने वाले ग्राहक भी तय नहीं कर पा रहे हैं कि वे क्या करें। ऑटोमोबाइल कंपनियों का कहना है कि कारों की कीमतों में कितना बदलाव होगा यह एक जुलाई, 2017 को जीएसटी लागू होने व इसके तहत विभिन्न दरों की अधिसूचना जारी होने के बाद ही पता चलेगा।
कार उद्योग से जुड़े सूत्रों का कहना है कि बाजार में कीमतों को लेकर जो कयास लगाये जा रहे हैं उसे अभी सही नहीं माना जा सकता। क्योंकि हर राज्य में जीएसटी लागू होने का अलग अलग असर होगा। किस मॉडल की कीमत कितनी बढ़ेगी और कितनी कम होगी यह हम तभी बता सकते हैं जब अंतिम तौर पर रेट मालूम हो। उक्त सूत्रों का कहना है कि अभी भी सरकार के साथ कई दरों पर विचार विमर्श हो रहा है। खासतौर पर जिस तरह से हाइब्रिड कारों पर 43 फीसद का जीएसटी लगाया गया है उसको लेकर उद्योग जगत में काफी चिंता है और अभी भी सरकार से बात की जा रही है कि इसे कम किया जाये। हाल ही में कार कंपनियों के एक प्रतिनिधिमंडल ने वित्त मंत्रालय के आला अधिकारियों से मुलाकात कर यह बताया कि किस तरह से हाइब्रिड कारों पर इतना ज्यादा कर लगाना वर्ष 2030 तक सिर्फ बिजली से कार बनाने की सरकार के लक्ष्यों को पलीता लाग देगा। अगर सरकार ने प्रस्तावित दरों को ही लागू कर दिया तो हाइब्रिड कारों की कीमतों में 5-7 लाख रुपये तक की बढ़ोतरी हो सकती है।
जीएसटी के तहत कारों पर प्रस्तावित दरों के मुताबिक 1200 सीसी तक की छोटी कारों पर 29 फीसद की दर से जीएसटी लगाई जाएगी जो मौजूदा 28 फीसद के आस पास ही है। हां, अधिकांश राज्यों में कारों की कीमतों में स्थानीय कर भी जुड़ते हैं जिसके चलते छोटी कारों की कीमतों में 1000-2000 हजार रुपये का बदलाव आ सकता है। 1200 से 1500 सीसी कारों पर 31 फीसद की नई प्रस्तावित है जबकि अभी ग्राहकों को सभी कर व शुल्कों को मिला कर 39 फीसद तक देना होता है। इसी तरह से एसयूवी पर नई दर 43 फीसद प्रस्तावित है जबकि मौजूदा दर 42 फीसद है। लेकिन कई राज्यों में एसयूवी पर स्थानीय कर की दर ज्यादा ऊंची है जिससे इसकी कीमतों में एक राज्य से दूसरे राज्य में 60 हजार से 1 लाख रुपये तक का अंतर आ जाता है।
बहरहाल, इस असमंजसता के बावजूद ऑटोमोबाइल कंपनियां जीएसटी लागू करने में जुटी हुई हैं। मारुति सुजुकी, हुंडई, होंडा, फोर्ड समेत सभी कंपनियां अपने हजारों वेंडरों को जीएसटी के तहत पंजीयन कराने में मदद कर रही हैं ताकि एक जुलाई के बाद भुगतान आदि में किसी तरह की दिक्कत नहीं आये। हालांकि डीलरों के स्तर पर अभी कुछ दिक्कतें हैं। राज्यों की तरफ से अभी तक लगाये जाने वाले शुल्कों की भरपाई को लेकर डीलर परेशान है। वाहन डीलर शॉप आने के साथ ही इन पर शुल्कों का भुगतान कर दिया जाता है। अब अगर ये वाहन 1 जुलाई तक नहीं बिक पाते हैं तो डीलरों को चुकाये गये करों का बोझ उठाना पड़ सकता है क्योंकि तब कार पर नया शुल्क (जीएसटी) लगाया जाएगा।
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