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कानून को आम आदमी की पहुंच में लाना जरूरी: राष्ट्रपति

राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने कहा है कि हमारे देश में आम लोगों के अधिकारों के लिए कानूनों की तो भरमार है, लेकिन समस्या इन्हें सही तरीके से लागू करने को लेकर है। उन्होंने कानूनी प्रावधानों को आम लोगों की पहुंच में लाने की जरूरत बताई है। साथ ही मानवाधिकार को शासन की संस्कृति में शामिल किए जाने को भी बहुत जरूरी बताया है।

By Edited By: Published: Mon, 10 Dec 2012 07:02 PM (IST)Updated: Mon, 10 Dec 2012 07:16 PM (IST)
कानून को आम आदमी की पहुंच में लाना जरूरी: राष्ट्रपति

नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने कहा है कि हमारे देश में आम लोगों के अधिकारों के लिए कानूनों की तो भरमार है, लेकिन समस्या इन्हें सही तरीके से लागू करने को लेकर है। उन्होंने कानूनी प्रावधानों को आम लोगों की पहुंच में लाने की जरूरत बताई है। साथ ही मानवाधिकार को शासन की संस्कृति में शामिल किए जाने को भी बहुत जरूरी बताया है।

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राष्ट्रीय मानवाधिकार दिवस पर आयोजित कार्यक्रम के दौरान मुखर्जी ने कहा कि हमारे देश में एक बेहतरीन संविधान है। मानवाधिकारों की रक्षा के लिए तमाम तरह के कानून और नीतियां हैं। लेकिन इतने व्यापक कानूनी ढांचे का क्या मतलब, अगर इसे वास्तव में लागू नहीं किया जाए? इसलिए हमें इन कानूनी प्रावधानों को आम आदमी की पहुंच में लाने पर ध्यान देना होगा। उन्होंने कहा कि यह तभी हो सकता है, जब मानवाधिकार सिर्फ किताबी बात न रहे बल्कि यह हमारे देश के शासन की संस्कृति में शामिल हो जाए।

राष्ट्रपति के मुताबिक आम लोगों में भी मानवाधिकार के बारे में जागरूकता बढ़ानी होगी। स्कूली पाठ्यक्रम में इसे अलग से एक विषय के रूप में शामिल किया जाना चाहिए। इस मौके पर उन्होंने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की भूमिका की भी तारीफ की। जबकि आयोग के अध्यक्ष केजी बालाकृष्णन ने राज्यों के आयोगों को ज्यादा वित्तीय संसाधन उपलब्ध करवाने को जरूरी बताया है।

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