अमित शाह पर वडोदरा से चुनाव लड़ने का दबाव
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रिक्त हुई वडोदरा लोकसभा सीट को लेकर यूं तो कई दावेदार हैं, लेकिन पार्टी अध्यक्ष अमित शाह के नजदीकी उन्हें सांसद के रूप में भी देखना चाहते हैं। तर्क है सांसदों को मिलने वाला प्रोटोकॉल। अगले कुछ दिनों में उम्मीदवार की घोषणा होनी है। हाई प्रोफाइल वडोदरा और मैनपुरी संसदीय सीटों
नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रिक्त हुई वडोदरा लोकसभा सीट को लेकर यूं तो कई दावेदार हैं, लेकिन पार्टी अध्यक्ष अमित शाह के नजदीकी उन्हें सांसद के रूप में भी देखना चाहते हैं। तर्क है सांसदों को मिलने वाला प्रोटोकॉल। अगले कुछ दिनों में उम्मीदवार की घोषणा होनी है।
हाई प्रोफाइल वडोदरा और मैनपुरी संसदीय सीटों पर 13 सितंबर को चुनाव होने हैं। वडोदरा को लेकर भाजपा के प्रदेश स्तर पर यूं तो बैठकों का दौर जारी है, माना जा रहा है कि वहां से लेकर दिल्ली तक शाह का मन टटोलने की कोशिश हो रही है। यही कारण है कि कोई दावेदार भी सामने सामने आने को तैयार नहीं है। सूत्रों के अनुसार यूं तो पूर्व सांसद बालकृष्ण शुक्ला और गायकवाड़ राजघराने के समरजीत सिंह गायकवाड का भी नाम चल रहा है लेकिन परोक्ष रूप से एक धड़े का शाह पर भी दबाव है। कारण तकनीकी भी है। यह तय है कि शाह के हाथ पार्टी की कमान लंबे समय तक रहेगी। ऐसे में प्रोटोकॉल का होना सुविधाजनक होगा।
सूत्रों के अनुसार पूर्व अध्यक्ष नितिन गडकरी को इसका अहसास हुआ था। दरअसल वह सांसद नहीं थे। ऐसे में विदेश जाते वक्त उन्हें थोड़ी परेशानी हुई थी। यूं तो सत्ताधारी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष के लिए बहुत मुश्किल शायद ही आए लेकिन उनके नजदीकी लोगों का मानना है कि वडोदरा सीट से शाह को ही उतरना चाहिए। वैसे भी यह सीट प्रधानमंत्री मोदी की थी। जनता की अपेक्षाएं बहुत ज्यादा थीं। अब मोदी के बाद दूसरे सबसे मजबूत व्यक्ति पर जनता की निगाहें होंगी।
गौरतलब है कि 27 अगस्त नामांकन की अंतिम तिथि है। मतदान 13 सितंबर को होने हैं और नतीजा 16 तारीख को आएगा। फिलहाल कांग्रेस ने भी वडोदरा से उम्मीदवार तय नहीं किया है। पिछली बार कांग्रेस ने मधुसूदन मिस्त्री को उतारा था जो लगभग छह लाख वोटों से पीछे रहे थे।