राष्ट्रपति ने नेताजी की जीर्णोद्धार की गई कार का किया अनावरण
राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने बुधवार को नेताजी भवन में सुभाष चंद्र बोस की जीर्णोद्धार की गई कार 'ऑडी वांडरर डब्ल्यू-24' का अनावरण करने के बाद ये विचार व्यक्त किए।
जागरण संवाददाता, कोलकाता। नेताजी सुभाष चंद्र बोस भारतीय राजनीति के संभवत: सबसे भावनात्मक मुद्दों में शामिल हैं। इस महान व्यक्ति के गायब होने के इतने वर्षों बाद भी उनसे लोगों की भावनाएं जुड़ी हुई हैं। राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने बुधवार को नेताजी भवन में सुभाष चंद्र बोस की जीर्णोद्धार की गई कार 'ऑडी वांडरर डब्ल्यू-24' का अनावरण करने के बाद ये विचार व्यक्त किए।
उन्होंने कार में बैठकर इसकी खूबियों के बारे में भी जाना। इस मौके पर पश्चिम बंगाल के राज्यपाल केसरीनाथ त्रिपाठी, नेताजी के परिवार की सदस्य कृष्णा बसु, उनके सांसद पुत्र सुगत बसु समेत अन्य विशिष्ट जन उपस्थित थे। कृष्णा बसु ने बताया कि नेताजी जनवरी, 1941 में एल्गिन रोड स्थित अपने इस निवास स्थल से अंग्रेजों को चकमा देकर इसी कार से झारखंड के गोमो रेलवे स्टेशन पहुंचे थे और वहां से कालका मेल पकड़कर दिल्ली गए थे। उनके 'महानिष्क्रमण' की 75वीं जयंती पर इस कार का जीर्णोद्धार कर इसे इसका 1941 का रूप दिया गया है।
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कृष्णा बसु ने कहा कि उन्होंने एवं नेताजी के परिवार के अन्य सदस्यों ने 1957 तक इस कार में सवारी की है। सुगत बसु के मुताबिक ऑडी कोलकाता के 10 मैकेनिकों की टीम ने पिछले साल मई में इसके जीर्णोद्धार का काम शुरू किया था। अनावरण के बाद अब नेताजी भवन स्थित संग्रहालय में आने वाले लोग इसे यहां हफ्ते में एक दिन चलते हुए भी देख पाएंगे। 1937 में निर्मित इस विरासती कार में चार सिलेंडर वाला इंजन है, जिससे यह 108 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से दौड़ सकती है।
अच्छे इंसान भी तैयार करें शिक्षण संस्थान : प्रणब
कोलकाता। शिक्षण संस्थानों को सिर्फ मेधावी छात्र-छात्राएं ही नहीं, अच्छे इंसान भी तैयार करने चाहिए, जो समाज के प्रति योगदान कर सकें। पुरुलिया जिले के झालदा में झालदा सत्यभामा विद्यापीठ के शतवार्षिकी समारोह को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने ये विचार व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि छात्रों को बेहतर इंसान बनाने के लिए शिक्षकों को मानव-निर्माण एवं चरित्र निर्माण पर आधारित शिक्षा पर जोर देना चाहिए। स्वामी विवेकानंद ने युवा पीढ़ी को बेहतर इंसान बनाने के लिए इन्हीं दो पहलुओं पर बल दिया था।
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