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अटल के लिए टूटा प्रोटोकाल, भारत रत्न से सम्मानित करने घर पहुंचे राष्ट्रपति

भारतीय राजनीति के श्लाका पुरुष पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को भारत रत्न से सम्मानित किया गया है। राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी प्रोटोकाल तोड़कर वाजपेयी को सम्मानित करने उनके घर पहुंचे। यह पहला मौका है जब राष्ट्रपति ने खुद किसी को घर जाकर सम्मान दिया हो। इस अवसर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी,

By Sachin BajpaiEdited By: Published: Sat, 28 Mar 2015 01:48 AM (IST)Updated: Sat, 28 Mar 2015 09:27 AM (IST)
अटल के लिए टूटा प्रोटोकाल, भारत रत्न से सम्मानित करने घर पहुंचे राष्ट्रपति

नई दिल्ली। भारतीय राजनीति के श्लाका पुरुष पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को भारत रत्न से सम्मानित किया गया है। राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी प्रोटोकाल तोड़कर वाजपेयी को सम्मानित करने उनके घर पहुंचे। यह पहला मौका है जब राष्ट्रपति ने खुद किसी को घर जाकर सम्मान दिया हो। इस अवसर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री राजनाथ सिंह, वित्तमंत्री अरुण जेटली और आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत समेत कई वरिष्ठ नेता और राज्यों के मुख्यमंत्री मौजूद थे। मोदी ने कहा कि 'अटलजी मुझ जैसे अनेक भारतवासियों के लिए प्रेरणा स्त्रोत रहे हैं।'

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वैसे तो वाजपेयी के साथ-साथ इस साल पंडित मदन मोहन मालवीय को भी भारत रत्न से सम्मानित किया जाना है। लेकिन वाजपेयी के स्वास्थ्य को देखते हुए राष्ट्रपति ने खुद उनके दिल्ली के कृष्णा मेनन मार्ग स्थित घर जाकर सम्मानित करने का फैसला किया। जबकि मदनमोहन मालवीय के परिजनों को यह सम्मान राष्ट्रपति भवन में आयोजित समारोह में 30 मार्च को सौंपा जाएगा। पिछले आठ साल से सार्वजनिक जीवन से संन्यास ले चुके वाजपेयी के घर पर सम्मान देने पहुंचे राष्ट्रपति प्रणब का स्वागत खुद प्रधानमंत्री मोदी ने किया। उसके बाद राष्ट्रपति वाजपेयी के कमरे के भीतर जाकर उन्हें देश के सबसे बड़े नागरिक सम्मान से सम्मानित किया। मीडिया को पूरे कार्यक्रम की जानकारी देते हुए अरुण जेटली ने कहा, 'यह देश के लिए खुशी और गर्व का दिन है। वाजपेयी एक प्रखर सांसद, राष्ट्रभक्त, कवि, जननेता, राजनेता रहे हैं।'

वाजपेयी भारत रत्न से सम्मानित होने वाले देश के सातवें प्रधानमंत्री हैं। इससे पहले जवाहर लाल नेहरू, इंदिरा गांधी, राजीव गांधी, मोरारजी देसाई, लाल बहादुर शास्त्री और गुलजारीलाल नंदा को यह सम्मान मिल चुका है। लगभग छह दशक से ज्यादा के सियासी सफर में वाजपेयी उन चुनिंदा नेताओं में से रहे हैं, जिनके धुर विरोधी भी उनका बेहद सम्मान करते हैं। गठबंधन धर्म निभाना, वाजपेयी ने ही सबको सिखाया। 1951 में जनसंघ के साथ औपचारिक तौर पर राजनीति के मैदान में कदम रखने वाले वाजपेयी ने तीन बार देश की कमान संभाली। उनकी भाषण कला के मुरीद देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू भी रहे हैं। एक मंझे हुए राजनेता के साथ-साथ वाजपेयी कोमल हृदय कवि भी हैं।

वाजपेयी को उनकी दत्तक पुत्री नमिता और दामाद रंजन भट्टाचार्य की मौजूदगी में भारत रत्न सम्मान देने के बाद चुनिंदा नेताओं के लिए एक चाय पार्टी का आयोजन हुआ। इसमें पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल कलाम, पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, भाजपा नेता आडवाणी, जदयू नेता शरद यादव आदि भी शामिल हुए।

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