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भाजपायुक्त यूपी बनाने की कवायद शुरू

छह साल बाद कान्हा की नगरी में जुटे भाजपा नेतृत्व के लिए इस बार यहां का माहौल बदला है। चुनौतियों से जूझने का हौसला है और लक्ष्य के रूप में 2017 का विधानसभा चुनाव है। जाहिर है कि शनिवार से शुरू हो रही प्रदेश कार्यसमिति की दो दिनी बैठक में राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के नए टास्क 'भाजपायुक्त यूपी' बनाने की जिद्दोजहद

By Edited By: Published: Sat, 23 Aug 2014 08:44 AM (IST)Updated: Sat, 23 Aug 2014 08:44 AM (IST)
भाजपायुक्त यूपी बनाने की कवायद शुरू

वृंदावन [अवनीश त्यागी]। छह साल बाद कान्हा की नगरी में जुटे भाजपा नेतृत्व के लिए इस बार यहां का माहौल बदला है। चुनौतियों से जूझने का हौसला है और लक्ष्य के रूप में 2017 का विधानसभा चुनाव है। जाहिर है कि शनिवार से शुरू हो रही प्रदेश कार्यसमिति की दो दिनी बैठक में राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के नए टास्क 'भाजपायुक्त यूपी' बनाने की जिद्दोजहद में उलझे प्रदेशीय नेताओं को बाहरी मुश्किलों के साथ आंतरिक बाधा पार करना भी आसान नहीं दिख रहा। शुक्रवार को शांति सेवा धाम में बैठक का एजेंडा तय करने व चुनौतियों से निपटने को मंथन किया गया। तय हुआ कि यूपी में पार्टी का नारा 'सपा बसपा नहीं, अबकी भाजपा' होगा।

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वृंदावन में इससे पहले 2008 में भाजपा की बैठक हुई थी लेकिन तब उत्साह का अभाव था। इस बार प्रदेश भाजपा अध्यक्ष लक्ष्मीकांत वाजपेयी की अध्यक्षता में सायं चार बजे से लगभग तीन घंटे चली बैठक के बाद भी नेताओं के चेहरों पर चमक थी। बैठक में वक्ताओं की चिंता गांव, पिछड़ा व अतिपिछड़ा वर्ग बाहुल्य इलाकों में नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता के चलते पार्टी को मिले जनसमर्थन को बनाए रखने की थी। इसके लिए तमाम सुझाव प्रस्तुत किए गए। इसमें सपा सरकार की खामियों को जनता के बीच उजागर करने के साथ ही शहरी क्षेत्र की पार्टी होने की छाप मिटाने जैसे सुझाव मुख्य थे। संगठन महामंत्री सुनील बंसल के करीब एक घंटे के संबोधन में भाजपा का रोड मैप स्पष्ट हुआ। उन्होंने ग्रामीण कनेक्ट बढ़ाने के लिए त्रिस्तरीय पंचायत व सहकारी संस्थाओं की चुनावी राजनीति में दखल बढ़ाने के लिए कमर कसने को कहा। पिछड़ों, अति पिछड़ों के साथ दलित वर्ग में भाजपा की पैठ के लिए संगठन में उन्हें सम्मानजनक भागीदारी देने की चर्चा की। कृषि प्रस्ताव को अंतिम रूप देने के लिए बनी कमेटी में महामंत्री स्वतंत्रदेव सिंह के अलावा करन सिंह पटेल, विजयपाल तोमर व अशोक कटारिया को शामिल किया गया। वहीं बैठक में आए विभिन्न सुझाव को राजनीतिक प्रस्ताव में समाहित करके तैयार करने की जिम्मेदारी उपाध्यक्ष शिवप्रताप शुक्ल, देवेंद्र सिंह चौहान, अनूप गुप्ता, विजय बहादुर पाठक, समीर सिंह व नीलिमा कटियार को सौंपी गई।

जनसमस्याओं को लेकर सरकार विरोधी संघर्ष तेज करने पर बल दिया गया,लेकिन टकराव की ऐसी स्थिति से बचने को कहा, जिससे भाजपा कठघरे में खड़ी हो जाए। इसका लाभ मिलने के बजाए नुकसान की आशंका जताते हुए आंदोलनों के विषय सावधानी से चुनने की सलाह दी गई। बैठक में मौजूद अधिकतर पदाधिकारियों द्वारा अपने सुझाव प्रस्तुत किए गए परन्तु महामंत्री पंकज सिंह, रामनाथ कोविद, उपाध्यक्ष कृष्णा पासवान व कांता कर्दम जैसे ओहदेदारों का गैरहाजिर रहना चर्चा में रहा। उल्लेखनीय है कि वरिष्ठ दलित नेता व महामंत्री रामनाथ कोविद लोकसभा चुनाव में टिकट न मिलने के बाद पार्टी की बैठकों में नजर नहीं आते।

बिजनौर में हेमा समेत छह सांसद-विधायक संभालेंगे कमान

बिजनौर सीट पर होने वाले विधानसभा उपचुनाव में भाजपा ने भले ही अभी तक अपना उम्मीदवार घोषित नहीं किया है, लेकिन चुनाव लड़ाने वाले नेताओं की जिम्मेदारी तय कर दी है। इस सीट पर पार्टी अपनी पूरी ताकत झोंकेगी। केंद्रीय मंत्री संजीव बालियान, मथुरा सांसद एवं फिल्म अभिनेत्री हेमामालिनी सहित छह सांसद और विधायक डेरा डालेंगे। कुंवर भारतेंद्र सिंह की लोकसभा चुनाव में जीत के बाद खाली हुई बिजनौर विधानसभा सीट पर 13 सितंबर को मतदान होना है। उपचुनाव को लेकर नामांकन प्रक्रिया चल रही है, लेकिन अभी तक भाजपा ने अपने उम्मीदवार की घोषणा नहीं की है। सभी की निगाहें टिकट की घोषणा पर लगी हैं।

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