एक वार्ड से दूसरे वार्ड में लगवाते रहे चक्कर, गर्भवती ने तोड़ा दम
डॉ. भीमराव अंबेडकर अस्पताल के डॉक्टरों का अमानवीय चेहरा सामने आया है। एक व्यक्ति अपनी गर्भवती पत्नी को गंभीर स्थिति में स्ट्रेचर में लेकर एक वार्ड से दूसरे, दूसरे से तीसरे में लेकर भटकता रहा, लेकिन किसी भी डॉक्टर ने उसकी नब्ज तक नहीं देखी। तीन घंटे तक प्रदेश के
रायपुर। डॉ. भीमराव अंबेडकर अस्पताल के डॉक्टरों का अमानवीय चेहरा सामने आया है। एक व्यक्ति अपनी गर्भवती पत्नी को गंभीर स्थिति में स्ट्रेचर में लेकर एक वार्ड से दूसरे, दूसरे से तीसरे में लेकर भटकता रहा, लेकिन किसी भी डॉक्टर ने उसकी नब्ज तक नहीं देखी। तीन घंटे तक प्रदेश के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल में इलाज नहीं मिला और गर्भवती ने डॉक्टरों के सामने उल्टी की और दम तोड़ दिया।
डंगनिया निवासी 19 साल की मोनिका पाटिल का पति जयकुमार पाटिल गहरे सदमे में हैं। पूरा पाटिल परिवार मोनिका की मौत से स्तब्ध है। जय ने 'नईदुनिया' को बताया कि उनकी पत्नी को चक्कर आ रहा था, एक- दो बार उल्टी हुई तो सोचा अंबेडकर में दिखा देंगे। शुक्रवार की दोपहर 12 बजे वे मोनिका को लेकर अंबेडकर पहुंचे। सीएमओ ने वार्ड नंबर 140 में रेफर किया। उन्होंने बताया कि स्ट्रेचर नहीं मिल रहा था, जैसे-तैसे मिला और वह और उनकी बहन मोनिका को स्ट्रेचर पर लेकर वार्ड नंबर 140 में पहुंचे। वहां डॉक्टरों ने देखे बगैर वार्ड नंबर 83 में रेफर कर दिया। 83 से 11, 11 से 03, 03 से 04 करीब 2 घंटे तक हम वार्ड दर वार्ड भटकते रहे, लेकिन इलाज नसीब नहीं हुआ। सोचा निजी अस्पताल ले जाएं। सुंदर नगर के निजी अस्पताल ले गए, लेकिन डॉक्टर नहीं थे, इसलिए दोबारा अंबेडकर लेकर आए, तो ओपीडी में ताला लग चुका था। वार्ड नंबर 3 में ले गए और वहां उसे केजुअल्टी में भेज दिया गया। वहीं डॉक्टरों और नर्सों के सामने मोनिका ने उल्टी की। हम इलाज की गुजारिश करते रहे, लेकिन किसी ने नहीं सुनी और मेरी पत्नी की सांस उखड़ गई। इतना कहते-कहते उनकी आवाज भारी हो गई। मोनिका का शव पोस्टमार्टम के लिए पीएम हाउस में रखा गया है, शनिवार को पीएम होगा।
हाई सिकलिंग की थी मरीज
परिजनों से मिली जानकारी के मुताबिक मोनिका हाई सिकलिंग की मरीज थी। इसकी वजह से उसे हमेशा पीलिया रहता था। 15 दिन पहले उसे अंबेडकर में भर्ती भी करवाया गया था।
सालभर पहले ही हुई थी शादी
जयकुमार ने बताया कि सालभर पहले ही मोनिका से उनका प्रेम विवाह हुआ था। उनका आरोप है कि अंबेडकर के डॉक्टरों ने उनकी खुशियां छीन लीं। लेकिन अस्पताल प्रबंधन इससे अंजान है। प्रबंधन की तरफ से कहा गया है कि अगर इलाज नहीं हो रहा था तो इसकी जानकारी आला अधिकारियों तक पहुंचाई जानी थी। प्रबंधन इलाज में लापरवाही स्वीकार करने को तैयार नहीं है।
जानकारी नहीं है
गर्भवती को भटकाया गया, ऐसी जानकारी नहीं है। कोई शिकायत लेकर भी नहीं आया। केचुअल्टी में 3.30 बजे उसका एडमिशन दिखा रहा है। उसके पहले क्या हुआ, यह पता करना होगा। पूछकर ही बता पाऊंगी कि क्या हुआ था? - शुभ्रा सिंह ठाकुर, पीआरओ, डॉ. अंबेडकर अस्पताल
[साभार: नई दुनिया]