दिल्ली हाई कोर्ट ने महज दो तारीखों में निपटाया हत्या का केस
दिल्ली हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति प्रदीप नंदराजोग व न्यायमूर्ति मुक्ता गुप्ता की खंडपीठ ने हत्या जैसे एक जघन्य मामले में दायर की गई याचिका का निपटारा महज दो तारीखों में ही कर दिया। खंडपीठ ने हत्या मामले में निचली अदालत से उम्रकैद की सजा पाई महिला को बरी कर दिया। वहीं, अदालत ने मामले में पुलिस जा
नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। दिल्ली हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति प्रदीप नंदराजोग व न्यायमूर्ति मुक्ता गुप्ता की खंडपीठ ने हत्या जैसे एक जघन्य मामले में दायर की गई याचिका का निपटारा महज दो तारीखों में ही कर दिया। खंडपीठ ने हत्या मामले में निचली अदालत से उम्रकैद की सजा पाई महिला को बरी कर दिया। वहीं, अदालत ने मामले में पुलिस जांच पर भी कड़े सवाल उठाए हैं।
खंडपीठ ने बचाव पक्ष के अधिवक्ता सुमित वर्मा की दलीलों को सही ठहराते हुए कहा कि पुलिस की जांच संदेह पैदा करती है। पुलिस ने न तो उस जगह का साइट प्लान तैयार किया, जहां से आरोपी को पकड़ा गया। पुलिस ने जो शव बरामद किया था, उसका डीएनए टेस्ट नहीं कराया गया। जिससे यह साबित नहीं होता कि मरने वाला राकेश गुप्ता ही था या कोई ओर? पुलिस हत्या के कारणों का भी खुलासा करने में नाकाम रही। वहीं, पुलिस का गुमशुदगी के ढाई महीने बाद अचानक मुकदमा दर्ज करना व अगले दिन पुलिस को सूचना मिलना कि राकेश की हत्या हो गई संदेह पैदा करती है। लिहाजा, आरोपी शहनाज की उम्रकैद की सजा को रद कर उसे मामले से बरी किया जाता है।
इस तरह से हुआ मामले का त्वरित निपटारा
शहनाज ने 28 जुलाई 2014 को निचली अदालत के निर्णय के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। अदालत ने उसी दिन याचिका को सुनवाई के लिए स्वीकार किया और बचाव पक्ष के वकील सुमित वर्मा को निर्देश दिया कि वह अगली तारीख पर अपनी जिरह पूरी कर दे। बचाव पक्ष ने मामले की अगली तारीख 22 सितंबर 2014 को अपनी जिरह पूरी की और अपनी लिखित दलीलें भी अदालत को दी। मामले में इसी दिन अभियोजन ने भी जिरह पूरी की और हाईकोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया। 30 सितंबर को हाईकोर्ट ने महज दो तारीखों की सुनवाई के बाद अपना फैसला सुना दिया।
यह था पूरा मामला
शहनाज नामक एक महिला ने 18 अक्टूबर 2010 को केनएन काटजू मार्ग थाना में अपने कर्मचारी राकेश गुप्ता की गुमशुदगी का मामला दर्ज किया था। महिला का कहना था कि गुप्ता उसके यहां से नौकरी छोड़ कर अपनी बकाया राशि लेकर गांव गया था। मगर वह गांव नहीं पहुंचा है। उसे इस संबंध में गुप्ता के भाई से जानकारी मिली है। इस केस के दर्ज होने के ढाई माह बाद 6 जनवरी 2010 को गुप्ता के जीजा प्रेमपाल ने पुलिस को शिकायत दर्ज कराई कि जिस दिन गुप्ता लापता हुआ। उस दिन उसका झगड़ा अपनी मालकिन शहनाज से हुआ था। उसे संदेह है कि शहनाज ने राकेश गुप्ता की हत्या कर दी है। इस केस के दर्ज होने के अगले दिन 7 जनवरी को पुलिस को मुखबिर से सूचना मिली कि शहनाज ने गुप्ता की हत्या कर दी है। पुलिस ने शहनाज को गिरफ्तार किया और शव को सेक्टर 26 रोहिणी स्थित सुलभ शौचालय के सेफ्टी टैंक से बरामद किया था। उक्त मामले में निचली अदालत ने शहनाज को उम्रकैद की सजा सुनाई थी। जिसे शहनाज ने अपने अधिवक्ता सुमित वर्मा के माध्यम से हाईकोर्ट के समक्ष चुनौती दी थी।