दुष्कर्म के आरोपियों की पुरुषत्व जांच जरूरी
दुष्कर्म की बढ़ती घटनाओं को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने ऐसे मामलों के आरोपियों के लिए पुरुषत्व जांच कराना जरूरी कर दिया है।
नई दिल्ली। दुष्कर्म की बढ़ती घटनाओं को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने ऐसे मामलों के आरोपियों के लिए पुरुषत्व जांच कराना जरूरी कर दिया है। दुष्कर्म के आरोप में फंसे विवादास्पद स्वामी नित्यानंद की याचिका पर सुनवाई करते हुए शीर्ष अदालत ने यह व्यवस्था दी।
कर्नाटक हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंचे नित्यानंद ने पुरुषत्व जांच के लिए मजबूर न करने की गुहार लगाई थी। जस्टिस रंजना प्रकाश देसाई की अध्यक्षता वाली पीठ ने बुधवार को नित्यानंद की याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा, "दुष्कर्म की बढ़ती घटनाओं को देखते हुए यह (पुरुषत्व जांच) जरूरी हो गई है। क्या आप यह कह सकते हैं कि पुरुषत्व जांच नहीं की जा सकती और आप इससे इतने डरे हुए क्यों हैं? कम से कम कोर्ट आपके (नित्यानंद) इस आग्रह के पक्ष में नहीं है।"
वर्ष 2010 में नित्यानंद पर एक महिला ने दुष्कर्म का आरोप लगाया था। मामले में पिछले चार वर्षों से अब तक जांच न कराने को लेकर कोर्ट ने पुलिस की कार्यप्रणाली पर भी सवाल उठाए। कोर्ट ने कहा, कोई भी आरोपी इस जांच से नहीं बच सकता। कोर्ट ने टिप्पणी की, जांच में देरी आरोपियों के पक्ष में जाती है। पुरुषत्व जांच में असफल रहने वाले आरोपियों को छोड़ा भी जा सकता है।
कर्नाटक हाई कोर्ट ने नित्यानंद को मेडिकल जांच के लिए जांच अधिकारी के समक्ष उपस्थित होने का निर्देश दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने गत 5 अगस्त को हाई कोर्ट के फैसले पर फौरी रोक लगा दी थी।