कैग की रिपोर्ट पर रेलवे की सफाई, खाने को लेकर ये है नई कैटरिंग पॉलिसी
कैग ने अपनी रिपोर्ट में बताया था कि ट्रेनों में मिलने वाला खाना लोगों के खाने लायक नहीं है। इस पर रेलवे मंत्रालय ने अपनी नई कैटरिंग पॉलिसी से अवगत कराया है।
नई दिल्ली, एएनआई। भारतीय रेलवे के कैटरिंग सिस्टम को लेकर कैग की हालिया रिपोर्ट चौंकाने वाली रही, जिसमें कहा गया कि ट्रेनों में परोसा जाने वाला खाना इंसानों के खाने लायक है ही नहीं। अब इसको लेकर रेल मंत्रालय हरकत में आया है और यात्रियों को अच्छी क्वालिटी का भोजन उपलब्ध कराने के मकसद से जारी की गई अपनी नई कैटरिंग पॉलिसी पर प्रकाश डाला है।
इस संबंध में मंत्रालय की तरफ से ट्विटर पर जारी बयान में कहा गया है कि किचन सेट अप से लेकर संचालत तक खानपान संबंधी सभी जिम्मेदारी आईआरसीटीसी की है। सभी शिकायतों के लिए भी वही जिम्मेदार है।
रेलवे ने कहा कि 27 फरवरी को जारी की गई नई कैटरिंग पॉलिसी का मकसद यात्रियों को अच्छी क्वालिटी का भोजन उपलब्ध कराना है। आईआरसीटीसी को यह भी कहा गया है कि वह खाना तैयार करने और इसे बांटने के काम को एक साथ करने की कोशिश करे।
सभी मोबाइल यूनिट्स पर कैटरिंग सर्विस की देखरेख करना भी आईआरसीटीसी की जिम्मेदारी है। वहीं पहले जोनल रेलवे पैंट्री कार के ठेके देता था, मगर अब यह काम भी आईआरसीटीसी के जिम्मे है। रेलवे ने यह भी कहा कि सभी मोबाइल यूनिट्स पर आईआरसीटीसी द्वारा चलाए जा रहे किचन से खाना लिया जाएगा। रेलवे फूड प्लाजा, फूड कोर्ट्स और फास्ट फूड यूनिटों के देखरेख की पूरी जिम्मेदारी भी अब आईआरसीटीसी के पास है।
कैग की रिपोर्ट में की गई थीं ये शिकायतें
कैग ने संसद में पेश की अपनी रिपोर्ट में कहा था कि ट्रेनों में मिलने वाला खाना लोगों के खाने लायक नहीं है। रिपोर्ट के मुताबिक, ट्रेनों और स्टेशनों पर परोसी जा रही चीजें प्रदूषित हैं। डिब्बाबंद और बोतलबंद चीजों को उनके सुरक्षित इस्तेमाल के लिए तयशुदा टाइम पीरियड के गुजर जाने के बावजूद बेचा जा रहा है। इसके अलावा, अनाधिकृत ब्रैंड की पानी की बोतलें बेची जा रही हैं।
जांच में यह भी पाया गया कि रेलवे परिसरों और ट्रेनों में साफ-सफाई का बिलकुल ध्यान नहीं रखा जा रहा। इसके अलावा, ट्रेन में बिक रहीं चीजों का बिल न दिए जाने और फूड क्वॉलिटी में कई तरह की खामियों की भी शिकायतें हैं। सीएजी के मुआयने के दौरान किसी भी ट्रेन में वेटरों और कैटरिंग मैनेजरों के पास बेची जाने वाली चीजों से जुड़ा मेन्यू और रेट कार्ड नहीं मिला।
रिपोर्ट में यह भी जिक्र है कि रेलवे परिसरों में ओपन मार्केट की तुलना में ज्यादा कीमत पर चीजें बेची जा रही थीं। ऑडिट रिपोर्ट में रेलवे में बार-बार बदलती कैटरिंग पॉलिसी पर सवाल उठाए गए हैं।
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