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यूपी, बिहार समेत सात राज्यों में जनसंख्या नियंत्रण कार्यक्रम लागू करेगी सरकार

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने शुक्रवार को बताया कि 'मिशन परिवार विकास' के तहत सरकार ने अपनी रणनीति में बदलाव किया है।

By Atul GuptaEdited By: Published: Fri, 23 Sep 2016 07:56 PM (IST)Updated: Fri, 23 Sep 2016 08:06 PM (IST)
यूपी, बिहार समेत सात राज्यों में जनसंख्या नियंत्रण कार्यक्रम लागू करेगी सरकार

नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। जनसंख्या नियंत्रण के मौजूदा प्रयासों को कारगर नहीं होता देख कर अब सरकार ने पिछड़े इलाकों के लिए अलग से कार्यक्रम शुरू करने का फैसला किया है। इस लिहाज से सबसे ज्यादा पीछे चल रहे सात राज्यों के 145 जिलों में 'मिशन परिवार विकास' कार्यक्रम शुरू किया जाएगा। इस कार्यक्रम के तहत इन इलाकों में परिवार नियोजन के साधनों को उपलब्ध कराने के साथ ही जागरूकता लाने पर भी जोर दिया जाएगा। इन जिलों में प्रजनन दर (टीएफआर) जहां अभी तीन या उससे अधिक अंकों में है। वर्ष 2025 तक इसे घटा कर 2.1 तक लाने का लक्ष्य रखा गया है।

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केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने शुक्रवार को बताया कि 'मिशन परिवार विकास' के तहत सरकार ने अपनी रणनीति में बदलाव किया है। अब खास तौर पर उन जिलों की पहचान की गई है जहां अब तक प्रजनन दर (टीएफआर) बहुत अधिक है। इन 145 जिलों की आबादी 33 करोड़ है। यानी देश के 28 फीसद लोग इन्हीं जिलों में रहते हैं। ये ऐसे जिले हैं, जहां प्रजनन दर तीन या उससे ज्यादा है। जबकि राष्ट्रीय स्तर पर हम 2.3 की दर हासिल कर चुके हैं। ये जिले देश के सात राज्यों उत्तर प्रदेश, बिहार, राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, झारखंड और असम में हैं।

मंत्रालय का मानना है कि विभिन्न राज्यों के बीच मौजूद भारी अंतर को दूर करना बहुत जरूरी है। मंत्रालय ने माना है कि इन जिलों में लोगों को जरूरत के अनुरूप परिवार नियोजन के साधन मुहैया नहीं हो रहे हैं। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक जिन दंपतियों की परिवार नियोजन की जरूरत के मुताबिक साधन उपलब्ध नहीं हो रहे हैं, ऐसे 40 फीसद इन्हीं जिलों में हैं। इन्हीं जिलों में मातृत्व मृत्यु दर (प्रसव के दौरान होने वाली मां की मृत्य) और शिशु मृत्यु दर भी सबसे ज्यादा है। प्रसव के दौरान होने वाली मृत्यु में 25 से 30 फीसद इन्हीं जिलों में होती हैं। इसी तरह एक साल से पहले जो बच्चे दम तोड़ देते हैं, उनमें से 50 फीसद इसी इलाके के होते हैं।

कम उम्र में होने वाली शादी की वजह से किशोरावस्था में ही मां बन जाने के मामले में भी यही जिले सबसे आगे हैं। इसलिए 'मिशन परिवार विकास' के तहत जहां पहला लक्ष्य विभिन्न विकल्पों को उपलब्ध कराने का रखा गया है, वहीं इसके बारे में जागरूकता लाने पर भी जोर दिया जाएगा। मिशन के तहत यह लक्ष्य रखा गया है कि इन सभी जिलों में प्रजनन दर को तेजी से घटाते हुए वर्ष 2025 तक 2.1 के औसत पर लाना है।

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