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गरीब रीयल एस्टेट डेवलपर को दान

पिछले हफ्ते एक बिजनेस अखबार में लेख छपा था ,जिसमें एक बड़े रीयल एस्टेट डेवलपर की एक नई स्कीम के लांच के बारे में बताया गया था। लेख में लिखा था कि ग्राहकों को मकान खरीदने के लिए मात्र 20 प्रतिशत धनराशि ही शुरू में देनी होगी। ग्राहक 20 प्रतिशत

By Edited By: Published: Mon, 03 Aug 2015 01:38 AM (IST)Updated: Mon, 03 Aug 2015 06:09 AM (IST)
गरीब रीयल एस्टेट डेवलपर को दान

पिछले हफ्ते एक बिजनेस अखबार में लेख छपा था ,जिसमें एक बड़े रीयल एस्टेट डेवलपर की एक नई स्कीम के लांच के बारे में बताया गया था। लेख में लिखा था कि ग्राहकों को मकान खरीदने के लिए मात्र 20 प्रतिशत धनराशि ही शुरू में देनी होगी। ग्राहक 20 प्रतिशत धनराशि निर्माण शुरू होने पर और बाकी 60 प्रतिशत धनराशि अपार्टमेंट तैयार होने पर दे सकते हैं। यह लेख मनोरंजक था, क्योंकि यह ऐसे लिखा हुआ था जैसे बिल्डर ग्राहकों के लिए बड़ी तरफदारी कर रहा है।

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मेरे लिए तो यह और भी मनोरंजक था, क्योंकि उससे एक दिन पहले ही मैं अपने एक मित्र के साथ था जो कई वर्षों से हाउसिंग फाइनेंस उद्योग में ही काम करता है। उसने रिहाइशी हाउसिंग के क्षेत्र की मौजूदा स्थिति पर व्यापक प्रकाश डाला। व्यावहारिक तौर पर प्रत्येक डेवलपर दिवालिया है। हर डेवलपर ने अपने वित्त के सभी स्रोतों का इस्तेमाल कर लिया है। कई लाख फ्लैट हैं, जिनके लिए डेवलपर्स ने ग्राहकों से पहले से ही पैसा ले रखा है। वे निर्माण की अवधि से पीछे चल रहे हैं।

ग्राहकों की अधिकांश धनराशि नए प्रोजेक्ट लांच करने पर खर्च की जा रही है। हर बार डेवलपर्स जो कीमत फ्लैट के लिए मांग रहे हैं और वास्तविक खरीददार उसके लिए भुगतान करना चाहते हैं, उसमें गैप बढ़ता जा रहा है। जिन निवेशकों ने ऐसे अपार्टमेंट में पैसा लगा रखा है, जो अब तक नहीं बिके हैं वे लगातार ग्राहकों को आकर्षित करने के लिए ऐसे-ऐसे लुभावने विज्ञापन दे रहे हैं।

कई बार ऐसे विज्ञापनों में यह भी बताया जाता है कि उस फ्लैट का वास्तु अच्छा है। बहरहाल उस लेख में डेवलपर्स का पैसा जुटाने का जो तरीका दिखाया है, वह भविष्य के उनके ग्राहकों से पैसा ऐंठने और अपनी परियोजनाओं में लगाने का एक तरीका है। देखने पर यह तर्कसंगत लगता है, लेकिन जमीनी हकीकत यह है कि यह तरीका ग्राहक के अपार्टमेंट को बनाने पर खर्च होने के बजाय डेवलपर्स की परियोजनाओं के वित्तपोषण के लिए खर्च होता है।

रीयल एस्टेट में सभी तरह की खरीद-फरोख्त पूरी तरह सुशासन और सभी प्रकार के नियमन की विफलता का प्रतीक है। लेकिन इस विफलता की वजह से सबसे ज्यादा नुकसान ग्राहकों को ही हुआ है। इस तरह अंतत: इसका नुकसान डेवलपर्स को भी हुआ है। इसका सबूत वे चंद डेवलपर्स में है, जिनका कारोबार छोटा है और फायदेमंद है न कि वे बड़े डेवलपर्स की तरह जिनका कारोबार दिवालियापन की कगार पर है। खैर सवाल यह है कि उन लोगों का क्या जो मकान खरीदना चाहते हैं? निवेश के अन्य तरीकों पर सवाल करके उन्हें टाला जा सकता है। लेकिन अगर रहने के लिए घर चाहिए तो उसे नहीं टाला जा सकता। जो काम बिल्कुल आसान होना चाहिए था, वह मौजूदा परिस्थिति में बेहद जटिल हो गया है। इससे बेहद गंभीर वित्तीय जोखिम भी पैदा हो गया है।

मकान खरीदने वालों को पहला काम यह करना चाहिए कि उन्हें डेवलपर्स के लिए फाइनेंसर के तौर पर इस्तेमाल होना बंद करना पड़ेगा। कुछ ही डेवलपर्स को छोड़कर इस उद्योग में किसी पर बिल्कुल भरोसा नहीं करना चाहिए। बाकी डेवलपर्स के मामले में नाम, आकार और साख कोई मायने नहीं रखती। अगर आप को इस पर भरोसा नहीं है तो उन लोगों से पूछिए जिन्होंने यूनिटेक जैसे नाम देखकर पिछले दस साल में फ्लैट खरीदे हैं। अगर आप अनावश्यक जोखिम नहीं उठाना चाहते हैं तो सिर्फ ऐसा मकान खरीदिए जो रेडी टू मूव हो। इसकी कीमतें उन फ्लैट से थोड़ी अधिक हो सकती हैं, जो अभी तक बनकर तैयार नहीं हुए हैं। आपको निर्माणाधीन फ्लैट खरीदते समय उससे जुड़े जोखिम पर भी गौर करना चाहिए।

जमीनी हकीकत यह है कि तमाम ऐसे फ्लैट हैं, जो बनकर तैयार खड़े हैं। उन्हें खरीदा जा सकता है। ऐसे फ्लैट कालेधन से वित्तपोषित हैं। उनके बेचने वाले ऊंची कीमत तक उनका इंतजार कर सकते हैं। इसके बावजूद फ्लैट की कीमतों में गिरावट के पूरे संकेत हैं। कई वास्तविक ग्राहक बड़ी छूट पाने में कामयाब भी रहे हैं। निष्पक्ष (डेवलपर्स और उनके सलाहकारों के अलावा) पर्यवेक्षक देख सकते हैं कि 15 साल की असंगत वृद्धि के बाद रीयल एस्टेट क्षेत्र अब वास्तविक स्थिति में आ रहा है। एक ग्राहक के तौर पर आप आखिरी चीज यह कर सकते हैं कि एक डेवलपर को एडवांस में भुगतान करके उसके डूबते जहाज को बचा सकते हैं।
धीरेंद्र कुमार

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