गरीबों को संबल देने को बनाया जीवन का मकसद
गरीबी मिटाने की बात तो सभी करते हैं, लेकिन इस दिशा में ईमानदारी से काम करने वालों की संख्या कम ही है। द्वारका निवासी पूनम त्यागी उन्हीं लोगों में से एक हैं। वे बेरोजगारों को व्यवसायिक शिक्षा व उनकी योग्यता के अनुरूप रोजगार उपलब्ध कराकर कई परिवारों को गरीबी के
पश्चिमी दिल्ली [जासं]। गरीबी मिटाने की बात तो सभी करते हैं, लेकिन इस दिशा में ईमानदारी से काम करने वालों की संख्या कम ही है। द्वारका निवासी पूनम त्यागी उन्हीं लोगों में से एक हैं। वे बेरोजगारों को व्यवसायिक शिक्षा व उनकी योग्यता के अनुरूप रोजगार उपलब्ध कराकर कई परिवारों को गरीबी के भंवर से निकाल चुकी हैं। सड़कों पर भीख मांगकर गुजारा करने वाले परिवारों के बच्चों को शिक्षा व रोजगार उपलब्ध कराकर ये पीढ़ी परिवर्तन में लग गई हैं।
पूनम अपनी संस्था सेतु के माध्यम से समाज में गरीबी दूर करने के प्रयास में जुटी हैं। समाज से गरीबी का अभिशाप दूर करने के लिए उन्होंने शिक्षा खासकर व्यवसायिक शिक्षा को अपना हथियार बनाया है। समय-समय पर वह अपनी संस्था के माध्यम से रोजगार शिविर लगाती हैं। इन शिविरों में उन लोगों को आमंत्रित किया जाता है जो लोगों को रोजगार प्रदान करने में सक्षम हैं। इन लोगों का बेरोजगारों से आमने-सामने संवाद कराया जाता है। जो जिस योग्य होता है उसे उसी के मुताबिक रोजगार मुहैया करा दिया जाता है।
पूनम बताती हैं कि पालम स्थित दादा देव मंदिर के द्वार के सामने कई बच्चे पहले भीख मांगते थे। कई बार इनके परिवार भी बच्चों के साथ होते थे। पूनम इन लोगों से मिलीं। बच्चों के अभिभावकों को समझाया कि एक दिन चंद पैसे के रूप में मिली भीख उनकी स्थिति में एक दिन तो सुधार ला सकती है, लेकिन यदि वे अपने जीवन में गरीबी का कलंक हमेशा के लिए समाप्त करना चाहते हैं तो उन्हें बच्चों में शिक्षा व खुद के भीतर काम करने की प्रवृत्ति का विकास करना होगा। खुशी की बात यह है कि सभी लोगों ने पूनम की बात को मान लिया। पूनम आज इन बच्चों को जहां साक्षर कर रही हैं, वहीं कई अभिभावकों को रोजगार मुहैया करा चुकी हैं।