राजनीति व साइकिल चलाना रहता है ताउम्र याद: अखिलेश
मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा है कि व्यक्ति अगर एक बार राजनीति व साइकिल चलाना सीख ले तो वह दोनों को जिन्दगी भर नहीं भूलता। उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य के लिए साइकिल चलाना फायदेमंद है।
राज्य ब्यूरो, लखनऊ। मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा है कि व्यक्ति अगर एक बार राजनीति व साइकिल चलाना सीख ले तो वह दोनों को जिन्दगी भर नहीं भूलता। उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य के लिए साइकिल चलाना फायदेमंद है।
मुख्यमंत्री ने रविवार को अपने सरकारी आवास पर लगभग साढ़े चार किमी लम्बे साइकिल ट्रैक के उद्घाटन के अवसर पर यह विचार व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि फिलहाल लखनऊ व आगरा में पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर साइकिल ट्रैक की योजना शुरू की गई है लेकिन आगामी दिनों में इसे अन्य स्थानो पर भी लागू करने का प्रयास किया जाएगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि साइकिलिंग को विकास व नियोजन का हिस्सा बनाया जाएगा। उन्होंने कहा कि लखनऊ में जहां कहीं भी सड़क चौड़ी होगी वहां साइकिल ट्रैक बनाने की कोशिश की जाएगी।
मुख्यमंत्री ने दो बार चलाई साइकिल
मुख्यमंत्री द्वारा साइकिल ट्रैक के उद्घाटन को लेकर कई बार भ्रम की स्थिति उत्पन्न हुई। खुद मुख्यमंत्री ने कहा कि बरसात के कारण पहले तय हुआ कि रविवार का उद्घाटन कार्यक्रम स्थगित कर दिया जाए लेकिन फिर सोचा कि नाश्ता आ चुका है और उसे क्यों खराब किया जाए।
दरअसल मुख्यमंत्री को पहले सवा नौ बजे ट्रैक का उद्घाटन करना था। फिर इसे स्थगित किया गया लेकिन फिर इसे बढ़ाकर साढ़े दस बजे किया गया। मुख्यमंत्री पहले साढ़े नौ बजे आए और सुरक्षाकर्मियों की मौजूदगी में साइकिल चलाकर चले गए। बाद में वह 11 बजे आए और तब उन्होंने मीडियाकर्मियों की मौजूदगी में फिर एक बार साइकिल चलाई।
साढ़े चार किलोमीटर का है ट्रैक
मुख्यमंत्री ने चार अलग-अलग ट्रैक का उद्घाटन किया जिसकी लम्बाई 4.56 किमी है। विक्रमादित्य मार्ग पर 2.24 किमी, कालिदास मार्ग पर 0.8 किमी, लोहिया पथ से लामार्ट कालेज तक 0.88 किमी तथा विक्रमादित्य मार्ग से लामार्ट कालेज तक 0.71 किमी साइकिल ट्रैक बनाया गया है। इसकी लागत 40 लाख रुपये प्रति किमी आई है।
केंद्रीय बजट पर भी बोले मुख्यमंत्री
नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा शनिवार को पेश किए गए बजट पर सधी हुई प्रतिक्रिया देते हुए मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा कि जिनके पहले से ही अच्छे दिन चल रहे थे उनके दिन और अच्छे हो गए हैं और जिन्हें अच्छे दिनों का इंतजार था पता नहीं उन्हें कब तक इंतजार करना होगा।