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राम मंदिर मुद्दे पर SC के सुझाव पर राजनेताओं की मिलीजुली प्रतिक्रिया

केंद्र सरकार ने राम मंदिर मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट की ओर से मध्यस्थता की पहल का स्वागत किया है।

By Suchi SinhaEdited By: Published: Tue, 21 Mar 2017 03:29 PM (IST)Updated: Tue, 21 Mar 2017 05:21 PM (IST)
राम मंदिर मुद्दे पर SC के सुझाव पर राजनेताओं की मिलीजुली  प्रतिक्रिया
राम मंदिर मुद्दे पर SC के सुझाव पर राजनेताओं की मिलीजुली प्रतिक्रिया

नई दिल्ली। राम मंदिर मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट की ओर से मध्यस्थता की पहल का केंद्र सरकार ने स्वागत किया है। कोर्ट की इस पहल पर नेताओं की ओर से अलग-अलग प्रतिक्रियाएं आईं।  दी जा रही है।

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केंद्र की ओर से कानून राज्य मंत्री पीपी चौधरी ने कहा, 'सुप्रीम कोर्ट ने आगे बढ़कर जो पहल की है। वह एक स्वागत योग्य फैसला है।

भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी के मुताबिक, 'राम मंदिर मामले में यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ को जानकारी दी गयी है। स्वामी के मुताबिक मस्जिद एक नमाज की जगह होती है। उसे कहीं भी सरयू के पार बनाया जा सकता है। जबकि राम जहां पैदा हुए उस जगह को नहीं बदला जा सकता है। ऐसे में उस जगह को राम मंदिर के लिए दे देना चाहिए।'

भाजपा नेता कैलाश विजयवर्गीय ने कहा, 'प्रतिक्रिया दी कि राम मंदिर जरुर बनना चाहिए, ऐसा भाजपा का मानना है। हालांकि सामाजिक समरसता का ताना बाना न बिगड़े इसका भी ख्याल रखना होगा।

विनय कटियार ने कहा, 'मुझे लगता है कि समस्या का समाधान होगा। साथ ही बातचीत को तेजी के साथ आगे ले जाना चाहिए। कटियार ने कहा कि दोनों जगह भाजपा की सरकार है। ऐसे में सभी पक्षों से बातचीत करके मामले का जल्द समाधान निकाला जाएगा।

नलिन कोहली के मुताबिक, 'राम मंदिर करोड़ों लोगों की आस्था से जुड़ा मामला है। उन्होंने कहा कि भाजपा के मुताबिक कोर्ट के आधार पर या फिर आपसी बातचीत से मसले का हल जल्द निकलना चाहिए।

शिवसेना के नेता संजय राउत ने कहा, 'कोर्ट का फैसला पक्ष में नहीं आने के बावजूद राम मंदिर वहीं बनेगा। इसी मुद्दे पर यूपी के लोगों ने भाजपा वोट दिया है।'

ओवैसी ने टिप्पणी की,'मुझे उम्मीद है कि कोर्ट वर्ष 1992 में बाबरी मस्जिद गिराये जाने वाली लंबित पड़ी याचिका पर भी गौर करेगा।

बाबरी एक्शन कमेटी के जफरयाब जिलानी ने कहा कि वो सुप्रीम कोर्ट के सुझाव से सहमत नहीं है। आपसी बातचीत में नाकाम रहने के बाद ही ये मामला कोर्ट में गया। अदालत को इस विवादित मुद्दे के समाधान के लिए फैसला करना चाहिए।

कांग्रेस नेता राजीव शुक्ला ने कहा,'सुप्रीम कोर्ट का जो फैसला होगा, वह सभी को मान्य होगा।

सीताराम येचुरी ने कहा,'बातचीत से मसला नहीं सुलझा, तभी तो मामला कोर्ट में गया था।

उमा भारती ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत किया। उन्होंने कहा कि मुझे विश्वास है कि मामले को कोर्ट के बाहर हल किया जा सकता है।

राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के संयुक्त महासचिव सदस्य दत्तात्रेय होशाबले ने कहा कि इसको लेकर धर्म संसद और अन्य सभी पार्टियां कोर्ट गयी थी वो फैसला करेंगी। उन्होंने कहा कि एक भव्य राम मंदिर का निर्माण सभी भारतीयों की सहमति से होगा।

पर्सनल लॉ बोर्ड के महासचिव मौलाना वली रहमानी ने कहा, 'उच्चतम न्यायालय ने अच्छी टिप्पणी की है। अगर मसले का हल बातचीत से निकल जाए तो यह अच्छी बात है और यह सबके लिए खुशकिस्मती होगी। हम बातचीत के लिए तैयार हैं। उच्चतम न्यायालय ने इस विवाद को 'संवेदनशील' और 'भावनात्मक मामला’ बताते हुये आज कहा कि इसका हल तलाश करने के लिए सभी संबंधित पक्षों को नये सिरे से प्रयास करने चाहिये।'

प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति जे एस खेहर की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि ऐसे धार्मिक मुद्दों को बातचीत से सुलझाया जा सकता है और उन्होंने सर्वसम्मति पर पहुंचने के लिए मध्यस्थता करने की पेशकश भी की। पीठ में न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति एस के कौल भी शामिल हैं। पीठ ने कहा, 'ये धर्म और भावनाओं से जुड़े मुद्दे हैं। ये ऐसे मुद्दे है जहां विवाद को खत्म करने के लिए सभी पक्षों को एक साथ बैठना चाहिये और सर्वसम्मति से कोई निर्णय लेना चाहिये। आप सभी साथ बैठ सकते हैं और सौहाद्र्रपूर्ण बैठक कर सकते हैं।'

शीर्ष अदालत की आज की टिप्पणी का स्वागत करते हुए अखिल भारतीय इमाम संगठन के प्रमुख और मुख्य इमाम डॉक्टर उमेर अहमद इलियासी ने कहा, ‘‘अगर दोनों पक्षों के लोग बैठकर इस मामले को सुलझा ले तो इससे बेहतर कुछ नहीं होगा। दोनों तरफ के प्रमुख संतों और इमामों को इसमें आगे आना चाहिए।’’ इलियासी ने कहा, ‘‘इस मामले का बातचीत के जरिए समाधान होना हमारे समाज और देश दोनों के लिए बेहतर होगा। ऐसा होने पर पूरी दुनिया में बहुत अच्छा संदेश जाएगा।’’

‘पीस फाउंडेशन ऑफ इंडिया’ के प्रमुख मुफ्ती एजाज अरशद कासमी ने कहा, ‘इस पूरे मामले से अवगत उच्चतम न्यायालय का कोई न्यायाधीश मध्यस्थता करे तो यह बहुत अच्छा होगा। न्यायाधीश की मध्यस्थता में दोनों पक्ष बैठक बातचीत कर सकते हैं।’

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