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चुनावी चंदे पर सुझाव देने को तैयार नहीं राजनीतिक पार्टियां

मैंने राजनीतिक दलों से लिखित में और संसद में मौखिक तौर पर बेहतर सुझाव देने को कहा, लेकिन अब तक एक भी राजनीतिक दल आगे नहीं आया।

By Bhupendra SinghEdited By: Published: Sun, 23 Jul 2017 06:27 AM (IST)Updated: Sun, 23 Jul 2017 06:27 AM (IST)
चुनावी चंदे पर सुझाव देने को तैयार नहीं राजनीतिक पार्टियां
चुनावी चंदे पर सुझाव देने को तैयार नहीं राजनीतिक पार्टियां

नई दिल्ली, प्रेट्र : सरकार राजनीतिक दलों को चंदा देने की पूरी प्रक्रिया को साफ-सुथरा बनाएगी। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा है कि सरकार बजट में घोषित चुनाव बांड प्रणाली को लेकर पूरी सक्रियता के साथ काम कर रही है, लेकिन अभी तक किसी भी राजनीतिक दल ने इस बारे में सुझाव नहीं दिया है। उन्होंने कहा कि पिछले 70 वर्षों से भारतीय लोकतंत्र में अदृश्य स्रोतों से धन आता रहा है। निर्वाचित प्रतिनिधि, सरकारें, राजनीतिक दल, संसद और यहां तक कि चुनाव आयोग भी इसका पता लगाने में पूरी तरह से असफल रहे हैं।

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 उन्होंने कहा, 'मैंने राजनीतिक दलों से लिखित में और संसद में मौखिक तौर पर बेहतर सुझाव देने को कहा, लेकिन अब तक एक भी राजनीतिक दल आगे नहीं आया क्योंकि लोग मौजूदा प्रणाली से संतुष्ट लगते हैं। वित्त मंत्री ने कहा कि राजनीतिक तंत्र में आने वाले अदृश्य धन को लेकर अब जब कोई समाधान सुझाया जा रहा है तो उसमें खामियां निकालना, उसका कोई हल नहीं है। उन्होंने कहा, 'यही वजह है कि इस साल के बजट में मैंने एक समाधान पेश किया है और हम इस पर पूरी सक्रियता के साथ काम कर रहे हैं।' उन्होंने उम्मीद जताई कि भविष्य में यह काम अधिक पारदर्शी और साफ-सुथरे तरीके से किया जाएगा। जेटली शनिवार को दिल्ली इकोनॉमिक कान्क्लेव को संबोधित कर रहे थे।

 उल्लेखनीय है कि जेटली ने राजनीतिक चंदे के मामले में पारदर्शिता लाने के उद्देश्य से इस साल के बजट में राजनीतिक दलों को नकद राशि के रूप में चंदा देने की सीमा 2,000 रुपये तय कर दी और बड़ी राशि का चंदा देने के लिए चुनाव बांड शुरू करने की घोषणा की।

क्या है चुनाव बांड
बजट में घोषित चुनाव बांड एक प्रकार के वचन पूरा करने वाले बांड होंगे। इन बांड में किसी तरह का ब्याज नहीं दिया जाएगा। प्राधिकृत बैंकों के जरिये इन बांड की बिक्री की जाएगी और इन्हें इनकी वैधता सीमा के भीतर संबंधित राजनीतिक दल के अधिसूचित खाते में जमा कराना होगा। इस प्रक्रिया में बांड में उसके दानदाता का नाम नहीं होगा। बस फर्क केवल इतना होगा कि यह धन बैंकिंग तंत्र के जरिये राजनीतिक दलों के पास पहुंचेगा। इससे यह सुनिश्चित हो सकेगा कि राजनीतिक प्रणाली में केवल वही धन पहुंचे जिसपर कर का भुगतान कर दिया गया हो।

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