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शनिदेव के अनुष्ठान में जुटे राजनीतिक यजमान

अब तक के चुनावों से कहीं हजार गुना समृद्ध हाइटेक प्रचार तंत्र में अब तंत्र-मंत्र, पूजा पाठ का गठजोड़ भी हो चुका है। संचार साधनों से लैस प्रचार क्त्रांति तो है ही, सुनिश्चित जीत के लिए ग्रह शांति जैसे अनुष्ठान भी कराए जा रहे हैं। अभी-अभी सूर्य ने अपनी राशि बदली है। अब पिता सूर्य और पुत्र शनि अपनी-अपनी उच्च राशियों में

By Edited By: Published: Fri, 18 Apr 2014 12:09 PM (IST)Updated: Fri, 18 Apr 2014 09:29 PM (IST)
शनिदेव के अनुष्ठान में जुटे राजनीतिक यजमान

[प्रमोद यादव], वाराणसी । अब तक के चुनावों से कहीं हजार गुना समृद्ध हाइटेक प्रचार तंत्र में अब तंत्र-मंत्र, पूजा पाठ का गठजोड़ भी हो चुका है। संचार साधनों से लैस प्रचार क्त्रांति तो है ही, सुनिश्चित जीत के लिए ग्रह शांति जैसे अनुष्ठान भी कराए जा रहे हैं। अभी-अभी सूर्य ने अपनी राशि बदली है। अब पिता सूर्य और पुत्र शनि अपनी-अपनी उच्च राशियों में आमने-सामने हैं। ऐसे में ज्योतिष आधार पर माना जा रहा है कि चुनाव के इस महासमर में ग्रह नक्षत्रों का योग राजयोग बनाएगा।

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महादेव शिव की नगरी वाराणसी में पोलिटिकल यजमान इस मान्यता को सिर माथे लगा शनिदेव का पूजन अनुष्ठान करा रहे हैं। ज्योतिर्विद और कर्मकांडी प्रतिकूल ग्रहों को अनुकूल बनाने की राह सुझा रहे तो इसकी काट भी बता रहे। इसके लिए राष्ट्रीय स्तर के दिग्गजों की चुनावी भिड़ंत से पोलिटिकली हॉट सीट हो चुकी काशी से अधिक उचित स्थान कौन हो सकता है। ग्रह गोचर व उनका प्रभाव अनुकूल बनाने के लिए ज्योतिर्विदों की शरण ली जा रही है। इसमें ज्यादा कुछ संचार तंत्र के जरिए तो अपने संसदीय क्षेत्रों में भी कर्मकांडी विद्वान बुलाए जा रहे, सीट डिक्लेयर होने तक के लिए पूजन अनुबंध भी कराए जा रहे।

हालांकि अपने-अपने धर्म को मानने में कोई परहेज-गुरेज नहीं होना चाहिए पर कहीं विरोधियों की नजर में न चढ़ें, कोई भगवान भरोसे जैसे तराने न गढ़े इसलिए निहायत गोपनीय तरीके अपनाए जा रहे। इसका खुलासा न करने के लिए 'गुरुजी' मनाए जा रहे हैं ..मगर बात छुपती कहां है।

बनारस में ही पूवरंचल में प्रचार अभियान की तैयारी से पहले भारतीय जनता पार्टी के प्रधानमंत्री पद प्रत्याशी नरेंद्र मोदी, आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल व कांग्रेस का प्रत्याशी बनने के बाद अजय राय बाबा विश्वनाथ को शीश नवाने के साथ ही पूजन अनुष्ठान कर चुके हैं।

आखिर हुआ क्या है

ज्योतिर्विद आचार्य ऋषि द्विवेदी के अनुसार सूर्य ने 14 अप्रैल की सुबह 9.11 बजे मीन राशि से अपनी उच्च राशि मेष में प्रवेश किया है। वह इसमें 15 मई की सुबह 7.33 बजे तक रहेंगे। वहीं सूर्य पुत्र शनि पहले से ही अपनी उच्च राशि तुला में विराजमान हैं। श्री द्विवेदी के अनुसार दोनों अपनी उच्च राशि में आमने सामने बैठे हैं। ऐसा संयोग 29 से 32 वर्ष के बीच लगातार दो बार बनता है। उच्चस्थ सूर्य और शनि का च्योतिषीय आकलन करें तो सूर्य राजतंत्र और शनि प्रजातंत्र के कारक हैं। गोचर में शनि के साथ राहु भी तुला राशि में बैठे हैं जिन्हें जनतंत्र की कुर्सी माना गया है। शनि न्यायप्रिय व ईमानदार ग्रह माने जाते हैं अत: इस बार शनि राजसत्ता की राह दिखाएंगे। इससे प्रभावित व्यक्ति के कुर्सी पर आसीन होने के आसार हैं। और हां, इस अवधि में रिकार्डतोड़ मतदान भी होगा।

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