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सरकार के इशारे पर दिल्ली पुलिस ने 84 में होने दिया था कत्लेआम

नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। सिख दंगा मामले में जगदीश टाइटलर को कैप्टन अमरिंदर सिंह की क्लीनचिट से असहज कांग्रेस बचाव का रास्ता ही तलाश रही थी कि न्यूज वेबसाइट कोबरा पोस्ट ने स्टिंग आपरेशन में 30 साल पुराने कांड की परतें नए सिरे से खोल दीं। 1984 में दिल्ली में हुए सिख नरसंहार के दौरान अहम पदों पर रहे पुलिस अफसरों ने सरकार के इशारे पर ही दंगाइयों को शह दी थी। यह बात खुद उन अफसरों ने छुपे हुए कैमरे के सामने मानी है।

By Edited By: Published: Tue, 22 Apr 2014 04:30 PM (IST)Updated: Tue, 22 Apr 2014 09:39 PM (IST)
सरकार के इशारे पर दिल्ली पुलिस  ने 84 में होने दिया था कत्लेआम

नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। सिख दंगा मामले में जगदीश टाइटलर को कैप्टन अमरिंदर सिंह की क्लीनचिट से असहज कांग्रेस बचाव का रास्ता ही तलाश रही थी कि न्यूज वेबसाइट कोबरा पोस्ट ने स्टिंग आपरेशन में 30 साल पुराने कांड की परतें नए सिरे से खोल दीं। 1984 में दिल्ली में हुए सिख नरसंहार के दौरान अहम पदों पर रहे पुलिस अफसरों ने सरकार के इशारे पर ही दंगाइयों को शह दी थी। यह बात खुद उन अफसरों ने छुपे हुए कैमरे के सामने मानी है।

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यह भी बताया कि कई जगह पुलिस वालों ने हिंसा में भीड़ का हाथ बंटाया। आला अफसरों ने चेतावनी को नजर अंदाज किया। कंट्रोल रूम में मदद के लिए आए 98 फीसदी संदेश रिकार्ड ही नहीं किये गये। हालांकि कांग्रेस ने इसे भाजपा व अकाली दल का राजनीतिक षडयंत्र बताया है। साथ ही उल्टा इन दंगों के लिए संघ और भाजपा को ही दोषी ठहरा दिया है।

कोबरा पोस्ट के स्टिंग आपरेशन में कई पुलिस अफसरों ने माना है कि उन्होंने जान-बूझ कर दंगाइयों पर कार्रवाई नहीं की। कुछ ने बताया कि उनके अधिकारी सरकार के साथ मिल कर सिखों को सबक सिखाना चाहते थे। उस दौरान कल्याणपुरी थाने के प्रभारी रहे शूरवीर सिंह त्यागी, दिल्ली कैंट थाने के रोहतास सिंह, कृष्णा नगर थाने के एसएन भास्कर, श्रीनिवासपुरी के ओपी यादव और महरौली के जयपाल सिंह कैमरे पर कई अहम जानकारी देते नजर आते हैं।

शूरवीर त्यागी ने साफ शब्दों में कहा, तब के पुलिस कमिश्नर सरकार के प्रभाव में काम कर रहे थे। वह स्थिति संभालने की बजाय बिगाड़ते रहे। ओपी यादव के मुताबिक, कमिश्नर ने उस नाजुक मौके पर पुलिस बल को सही नेतृत्व नहीं दिया। एसएन भास्कर ने कहा, दंगों के दौरान पुलिस निष्क्रियता के लिए पूरी तरह कमिश्नर ही दोषी थे।

इन अफसरों ने दावा किया है कि पुलिस ने ना सिर्फ घुटने टेक दिए थे, बल्कि कई जगह तो भीड़ का हिंसा में साथ भी दिया। पुलिस कंट्रोल रूम में मदद के लिए संदेशों में से सिर्फ दो फीसद को ही रिकार्ड किया गया। बाद में लाग बुक में भी हेर-फेर की। इन दंगों में तीन हजार से ज्यादा की हत्या हुई थी।

कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने पार्टी का बचाव करते हुए कहा, 'पंजाब में राज्य सरकार के खिलाफ जनता में अकाली और भाजपा गठबंधन के खिलाफ जो लहर चल रही है, उसे देखते हुए ऐसी कोशिशें राजनीतिक फायदे के लिए की जा रही हैं। 1984 में जो कुछ हुआ, उसके लिए प्रधानमंत्री और सोनिया गांधी सार्वजनिक रूप से खेद प्रकट कर चुके हैं। दो आयोग और आधा दर्जन समितियां इसकी जांच कर रही हैं। इसमें संघ और भाजपा के लोग भी आरोपी पाए गए हैं।'


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