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'बड़े साहब' के नाम पर बिहार में खूब ठगे जा रहे पुलिसवाले

हैलो.., मैं टेलीफोन विभाग का एसडीओ बोल रहा हूं.., अभी मैं आपके पुलिस कप्तान के साथ बैठा हूं.., कहीं पर छापेमारी करने के लिए अविलंब निकलना है, ..डीएसपी साहब भी साथ में हैं, ..थाना से थोड़ा बाहर निकलिये और सुनिये.., अविलंब इन नंबरों (सात-आठ नंबर लिखवाता है) पर एक-एक हजार रूपय

By Edited By: Published: Sun, 31 Aug 2014 11:37 AM (IST)Updated: Sun, 31 Aug 2014 12:50 PM (IST)
'बड़े साहब' के नाम पर बिहार में खूब ठगे जा रहे पुलिसवाले

डुमरांव (बक्सर), [रंजीत कुमार पांडेय]। हैलो.., मैं टेलीफोन विभाग का एसडीओ बोल रहा हूं.., अभी मैं आपके पुलिस कप्तान के साथ बैठा हूं.., कहीं पर छापेमारी करने के लिए अविलंब निकलना है, ..डीएसपी साहब भी साथ में हैं, ..थाना से थोड़ा बाहर निकलिये और सुनिये.., अविलंब इन नंबरों (सात-आठ नंबर लिखवाता है) पर एक-एक हजार रूपये डलवा दीजिए, ..साहब से बात करायें क्या..आप लोग अपराध को बढ़ावा देते हैं'। इतना सुनते ही जिस पुलिस वाले के मोबाइल पर फोन आता है वह अंदर से हिल जाता है और बताये नंबरों पर धड़ा-धड़ हजार-हजार या दो-दो हजार रुपये रिचार्ज करा देता है। बाद में पता चलता कि टेलीफोन करने वाला कोई अधिकारी नहीं, बल्कि शातिर ठग है जो उन्हें अपना निशाना बना चुका है।

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कई पुलिसवाले बने ठगी के शिकार

मोबाइल के जरिये ठगी करने वाला यह अपराधी बड़ा शातिर है और पुलिस वालों को ही अपना शिकार बनाता है। अब तक डुमरांव के आधा दर्जन थाना के पुलिस अधिकारी ठगी के शिकार बन चुके हैं। ऐसा एक मामला मुरार में प्रभारी थाना प्रभारी के साथ हुआ था। शुक्रवार को ऐसा ही एक फोन सिमरी में तैनात एक दरोगा जी के मोबाइल पर आया। हालांकि, मुरार की घटना सार्वजनिक होने के बाद वे सतर्क थे और ठगने से बच गये।

कैसे बनते हैं पुलिस वाले शिकार

साइबर अपराधियों की चपेट में आ चुके कई पुलिसकर्मियों ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि पुलिस विभाग में अनुशासन को वरीयता दी जाती है। पुलिस कप्तान या फिर किसी भी अधिकारियों के नाम पर फोन आते ही ज्यादा अनुशासित बनने के चक्कर में मामला फंस जाता है। उनके नाम से फोन आने के बाद वे ज्यादा जिरह इसलिये नहीं कर पाते कि कहीं 'साहब' बुरा न मान जायें।

हंसी का पात्र बनने का डर

ठगी के शिकार होने वाले पुलिस कर्मी अजीब मनोदशा से गुजरते हैं। ठगे जाने का अहसास होने के बाद वे हंसी का पात्र बनने के डर से चुप्पी साध लेते हैं। हालांकि, उनकी यह चुप्पी उनके अन्य साथियों व आम लोगों के भी ठगे जाने की राह खोलती है।

पहले भी हुए हैं मामले

पूर्व में ऐसे मामले प्रशासनिक व स्वास्थ्य महकमे में भी हुए हैं। कुछ माह पूर्व सिविल सर्जन कार्यालय के एक सहायक को एसडीओ के नाम पर फोन कर ठग ने एयरटेल मनी के माध्यम से पन्द्रह हजार रुपये डलवा लिये थे। मामले में जांच हुई लेकिन आज तक पुलिस किसी नतीजे पर नहीं पहुंच सकी।

बयान

ऐसे मामले को लेकर कई मोबाइल नंबरों पर प्राथमिकी दर्ज करायी गई है। मोबाइल सर्विलांस के जरिये ठगी करने वाले अपराधियों तक पहुंचने का पुलिस प्रयास कर रही है, जल्द ही अपराधी सलाखों के पीछे होंगे।

-रामकृष्ण गुप्ता, डीएसपी, डुमरांव।

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