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PM मोदी की सोनिया-मनमोहन से मुलाकात, GST बिल पर हुई चर्चा

प्रधानमंत्री आवास पर पीएम मोदी के साथ कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और पूर्व पीएम डॉक्टर मनमोहन सिंह के बीच हुई मुलाकात में जीएसटी समेत कई महत्वपूर्ण बातों पर चर्चा की गई। ये बैठक करीब 45 मिनट तक चली जिसमें संसदीय कार्यमंत्री वेंकैया नायडू और वित्तमंत्री अरुण जेटली भी मौजूद थे।

By Rajesh KumarEdited By: Published: Fri, 27 Nov 2015 07:43 PM (IST)Updated: Fri, 27 Nov 2015 10:37 PM (IST)
PM मोदी की सोनिया-मनमोहन से मुलाकात, GST बिल पर हुई चर्चा

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री आवास पर पीएम मोदी के साथ कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और पूर्व पीएम डॉक्टर मनमोहन सिंह के बीच हुई मुलाकात में जीएसटी समेत कई महत्वपूर्ण बातों पर चर्चा की गई। ये बैठक करीब 45 मिनट तक चली जिसमें संसदीय कार्यमंत्री वेंकैया नायडू और वित्तमंत्री अरुण जेटली भी मौजूद थे।

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पीएम के साथ सोनिया गांधी की बैठक खत्म होने के बाद मीडिया के सामने आए अरूण जेटले ने कहा कि इस मुलाकात में संसद की कार्यवाही समेत कई मुद्दों पर चर्चा की गई जिनमें महत्वपूर्ण बिल जीएसटी भी शामिल था।

जेटली ने कहा, "जेएसटी पर चर्चा के बाद कांग्रेस ने तीन बिंदु पर अपनी स्थिति स्पष्ट की जबकि हमलोगों ने अपने तर्क और तथ्य दिए। इस मुद्दे पर सोनिया गांधी अपनी पार्टी से बात करेंगी जिसके बाद ये मुुमकिन है कि हमारे बीच इसको लेकर दोबारा बात हो।"

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ऐसा माना जा रहा है कि इस मुलाकात का मकसद जीएसटी बिल को लेकर संसद में बन रहे गतिरोध को दूर करना है।

गौरतलब है कि शीतकालीन सत्र के शुक्रवार को पीएम मोदी की तरफ से सोनिया गांधी और मनमोहन सिंह को चाय पर न्यौते के लिए फोन किया गया था।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जीएसटी बिल को लेकर बेहद गंभीर दिख रहे हैं। संसद के शीतकालीन सत्र के दूसरे दिन मोदी ने शुक्रवार को सोनिया गांधी और मनमोहन सिंह को खुद फोन किया।

लोकसभा चुनाव में भाजपा को मिली शानदार जीत के बाद ये पहला मौका होगा जब सोनिया गांधी और पीएम नरेंद्र मोदी की आमने-सामने मुलाकात होगी।

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पूरा मॉनसून वसुंधरा राजे, शिवराज सिंह चौहान और सुषमा स्वराज के इस्ताफे की मांग को लेकर हंगामें की भेंट चढ़ गया था। इसके चलते लोकसभा में कुल 8 बिल और राज्यसभा में 11 बिल अटके पड़े हैं।

जबकि, जीएसटी(गुड्स एंड सर्विस टैक्स) और जमीन अधिग्रहण से जुड़े बिल तो संसद की समितियों के पास ही फंसे हुए हैं। ऐसे में इस बार सरकार चाहती है कि शीतकालीन सत्र के दौरान ज्यादा से ज्यादा काम हो और बेवजह हंगामे की चलते समय व्यर्थ ना हो।


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