गरीबों की जीवनशैली सुधारने में मददगार बनें बैंक: पीएम मोदी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारतीय रिजर्व बैंक का आह्वान किया कि वह अगले 20 वषरें में योजनाबद्ध तरीके से प्रत्येक गरीब तक पहुंचने के लिए वित्तीय संस्थानों का नेतृत्व करे। मोदी बृहस्पतिवार को मुंबई में भारतीय रिजर्व बैंक के 80 वें स्थापना दिवस समारोह को संबोधित कर रहे थे।
राज्य ब्यूरो, मुंबई । प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारतीय रिजर्व बैंक का आह्वान किया कि वह अगले 20 वषरें में योजनाबद्ध तरीके से प्रत्येक गरीब तक पहुंचने के लिए वित्तीय संस्थानों का नेतृत्व करे। मोदी बृहस्पतिवार को मुंबई में भारतीय रिजर्व बैंक के 80 वें स्थापना दिवस समारोह को संबोधित कर रहे थे।
प्रधानमंत्री ने कहा कि बैंक के पास सभी को जाना पड़ता है। काफी अमीर लोग भी अपने बैंकर के पास जाते हैं। मैं गरीबों, पिछड़ों एवं आदिवासियों के प्रतिनिधि के रूप में यहां आया हूं। मैं उनमें से ही एक हूं। इसलिए उनके प्रतिनिधि के नाते मैं आपसे कुछ मांगने आया हूं और उम्मीद है आप हमें निराश नहीं करेंगे।
रिजर्व बैंक से समयबद्ध योजना तैयार करने का आग्रह करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि 2019 भारत महात्मा गांधी की 150वीं जयंती मनाएगा। 2022 में देश की आजादी की हीरक जयंती मनाई जाएगी। 2025 में रिजर्व बैंक अपने 90 वर्ष एवं 2035 में 100 वर्ष पूरे करेगा। इन सभी वर्षों के लिए अलग-अलग लक्ष्य तैयार करके रिजर्व बैंक 2035 तक गरीब से गरीब व्यक्ति तक बैंकिंग सेवा पहुंचाकर गरीबों की जीवनशैली सुधारने में मददगार साबित हो सकता है।
उन्होंने हाल के दिनों में प्रधानमंत्री जनधन योजना एवं एलपीजी सब्सिडी योजना में मिली सफलता का जिक्र करते हुए कहा कि बैंकों के लिए लक्ष्य निर्धारित कर वित्तीय समावेशन बढ़ाना मुश्किल काम नहीं है। वित्तीय समावेशन को आदत में बदलने का आग्रह करते हुए मोदी ने महिला स्वयं सहायता समूहों की सफलता से प्रेरणा लेने का आह्वान भी बैंकों से किया।
उन्होंने कहा कि बैंकों को उन युवाओं की जरूरतों का भी ध्यान रखना चाहिए, जिन्हें कौशल विकास या जानकारी की जरूरत है। उन्होंने बैंकों से ऐसे मॉडल तैयार कर किसानों तक पहुंचने का आह्वान किया, जिससे किसान परंपरागत खेती के साथ कुछ ऐसे काम कर सकें जिससे खेतों में नुकसान के समय उन्हें आत्महत्या न करनी पड़े। प्रधानमंत्री ने पिछड़े क्षेत्रों में वित्तीय समावेशन बढ़ाने की जरूरत पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा कि भारत में पूर्वी हिस्सा प्राकृतिक रूप से समृद्ध होने के बावजूद आर्थिक रूप से पिछड़ा है। यदि बैंक इन क्षेत्रों में वित्तीय समावेशन बढ़ाने पर ध्यान दें, तो इन क्षेत्रों से बेहतर परिणामों की उम्मीद की जा सकती है।
कम से कम नोट तो अपने कागज पर छापें
प्रधानमंत्री ने अपने भाषण में भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर डॉ. रघुराम राजन के कामकाज की तारीफ की लेकिन मेक इन इंडिया के बहाने उन्होंने रिजर्व बैंक पर कटाक्ष भी किया। उन्होंने कहा कि मेक इन इंडिया की शुरुआत रिजर्व बैंक को इस प्रकार करनी चाहिए कि कम से कम अपने नोट छापने के लिए कागज और स्याही तो भारत में ही तैयार की जा सके।
प्रधानमंत्री के अनुसार यह काम 2019 तक पूरा कर लिया जाना चाहिए, ताकि महात्मा गांधी की 150वीं जयंती मनाते तक हम स्वदेशी कागज और स्याही से भारतीय नोट पर उनकी तस्वीर छाप सकें।
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