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अलविदा अम्मा : एमजी रामचंद्रन की समाधि के पास दफनाया गया पार्थिव शरीर

जयललिता का राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया। उनके शव को मरीना बीच पर एमजी रामचंद्रन की समाधि के पास दफनाया गया।

By Kamal VermaEdited By: Published: Tue, 06 Dec 2016 08:02 AM (IST)Updated: Tue, 06 Dec 2016 09:09 PM (IST)
अलविदा अम्मा : एमजी रामचंद्रन की समाधि के पास दफनाया गया पार्थिव शरीर

चेन्नई, प्रेट्र। तमिलनाडु की मुख्यमंत्री और देश की सबसे ताकतवर महिला राजनेताओं में शुमार जयराम जयललिता की पार्थिव देह को उनके राजनीतिक गुरू एमजी रामचंद्रन की समाधि के पास ही पूरे राजकीय सम्मान के साथ दफना दिया गया। उन्हें अंतिम विदाई से पहले 21 तोपों की सलामी दी गई।

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इससे पहले, जयललिता की अंतिम यात्रा राजाजी हॉल से शुरू होकर मरीना बीच तक पहुंची। जयललिता की पार्थिव देह को लाखों फूलों से सजे वाहन से मरीना बीच ले जाया गया। उनके लाखों समर्थक अपनी करिश्माई नेता को अंतिम श्रद्धांजलि देने मरीना बीच पर जमा हुए। जयललिता की करीबी सहयोगी शशिकला ने उनके अंतिम संस्कार की सभी रस्में पूरी कीं।

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'अम्मा' के रूप में तमिलनाडु की जनता के दिलों पर राज करने वाली 68 वर्षीय जयललिता का चेन्नई के अपोलो अस्पताल में सोमवार रात निधन हो गया था। वह ढाई माह से अस्पताल में भर्ती थीं। अम्मा के निधन से शोकाकुल तमिलनाडु में स्कूल और कॉलेज तीन दिन के लिए बंद किए गए हैं। यहां 6 दिसंबर से सात दिन के राजकीय शोक की घोषणा की गई है। राज्य के सभी सरकारी कार्यालयों में भी अवकाश रहेगा। उनके निधन पर केंद्र सरकार ने भी एक दिन का राष्ट्रीय शोक घोषित किया।

इससे देशभर की सरकारी इमारतों पर राष्ट्रीय ध्वज आधा झुका रहा। इसी तरह उत्तर भारत के कुछ राज्यों जैसे उत्तराखंड, पश्चिम बंगाल आदि ने भी राजकीय शोक घोषित किया। जयललिता के पार्थिव शरीर को अंतिम दर्शन के लिए राजाजी हॉल में रखा गया। यहां हजारों गमगीन समर्थक अपनी 'पुराची थलैवी अम्मा' (क्रांतिकारी नेता अम्मा) को अंतिम विदाई देने के लिए कतार में खड़े रहे।

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जयललिता का पार्थिव शरीर शीशे के बक्से में रखा गया। यह बक्सा राजाजी हॉल की सीढि़यों पर रखा था और सेना के चार जवानों ने उसे राष्ट्रीय ध्वज से ढंक दिया। तमिलनाडु के नवनियुक्त सीएम मुख्यमंत्री ओ. पन्नीरसेल्वम और उनके सहयोगी मंत्रिमंडलीय सहयोगियों, सांसदों, विधायकों तथा राज्य के वरिष्ठ सरकारी अफसरों ने दिवंगत मुख्यमंत्री को सबसे पहले श्रद्धांजलि दी। उन्हें राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी श्रद्धांजलि दी। इससे पहले मंगलवार सुबह जयललिता के पार्थिव शरीर को उनके आवास पोएस गार्डन से राजाजी हॉल ले जाते समय कई बार समर्थकों और पुलिस में झड़प हुई। पूरे चेन्नई में पुलिस बल तैनात किया गया।

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जयललिता को इसलिए दफनाया

चेन्नई : जन्म से ब्राह्मण और माथे पर अक्सर आयंगर नमम (एक प्रकार का तिलक) लगाने वाली जयललिता को दफनाया गया। आयंगर ब्राह्मणों में दाह संस्कार की प्रक्रिया के बावजूद तमिलनाडु सरकार और जयललिता की करीबी शशिकला नटराजन ने दफनाने का फैसला लिया। लोग इसे द्रविड़ आंदोलन से जोड़कर देख रहे हैं। पेरियार, अन्नादुरई और एमजी रामचंद्रन जैसे द्रविड़ आंदोलन के बड़े नेताओं को भी दफनाया गया था। वैसे जयललिता द्रविड़ आंदोलन के नेताओं के विपरीत आस्तिक थीं। दफनाने की एक बड़ी वजह यह भी बताई जा रही है कि बड़े नेताओं को दफनाए जाने के बाद समाधि बनाने का चलन है।

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निधन की खबर पर सदमे से मौत

1. सिंगनाल्लूर में घर में टीवी पर अम्मा के निधन की खबर देख 65 साल के एक पेंटर की हार्ट अटैक से मौत हो गई।

2. थुडियलुर में 62 साल के पलानिम्मल की भी इसी तरह मौत हुई।

3. इरोड में 38 साल के हम्माल राजा की भी टीवी पर समाचार सुनते वक्त सदमे से मौत हो गई।

मोबाइल टावर से कूदने का प्रयास

1. कुनियामुथुर में एक व्यक्ति ने मोबाइल टावर से कूदने की कोशिश की। पुलिस ने उसे बचा लिया।

2. अन्नूर में अन्नाद्रमुक कार्यकर्ता ने सदमे में खुद को आग लगाई। वह 60 फीसद झुलस गया।

लगे दो टन फूल

जयललिता की शवयात्रा के लिए सेना के ट्रक और अंतिम संस्कार स्थल को सजाने में दो टन फूल का इस्तेमाल किया गया। इसे राज्य के विभिन्न हिस्सों के अलावा बेंगलुरु से मंगवाया गया। सजावटी फूलों के अलावा गुलाब और सफेद गेंदा का प्रयोग हुआ। सजावट की जिम्मेदारी संभालने वाले वेलू ने बताया कि सुबह तीन बजे से ही 40 लोग इस काम में जुटे थे।

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हरी साड़ी में अंतिम यात्रा

जयललिता ने जीवन की अंतिम यात्रा भी मनपसंदीदा हरी साड़ी में ही पूरी की। बड़े मौकों पर वह आमतौर पर हरी साड़ी ही पहना करती थीं। इस साल 23 मई को मुख्यमंत्री की शपथ भी उन्होंने इसी रंग की साड़ी में ली थी। निधन के बाद भी उनके पसंद का पूरा खयाल रखा गया। उनके शव को लाल रंग के बॉर्डर वाली हरी साड़ी में लपेटा गया था। हरे रंग को जया लकी मानती थीं।

शशिकला के हाथ में कमान

जयललिता के जीवन के अंतिम क्षणों में भी परिजन दूर ही रहे। अस्पताल से लेकर जया की अंतिम यात्रा भी शशिकला नटराजन के देखरेख में ही हुई। राजाजी हॉल में शशिकला के रिश्तेदार ही मौजूद रहे, जया के रिश्तेदार कहीं नजर नहीं आए। जयललिता के एकमात्र भाई जयकुमार की मौत 1995 में एक दुर्घटना में हो गई थी। जयकुमार की बेटी दीपा जयललिता की एकमात्र रिश्तेदार हैं। दीपा को अपोलो अस्पताल में जया से मिलने नहीं दिया गया था।

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