पीएम ने NSCN संधि पर विपक्ष की ओर बढ़ाया हाथ
संसद में गतिरोध का ठीकरा सरकार के माथे फोड़ रहे विपक्ष की ओर प्रधानमंत्री ने हाथ बढ़ा दिया है। पृष्ठभूमि हालांकि एनएससीएन के साथ हुआ समझौता था। लेकिन इसी बहाने विपक्ष के अहं को साधने की भी कोशिश हुई।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली । संसद में गतिरोध का ठीकरा सरकार के माथे फोड़ रहे विपक्ष की ओर प्रधानमंत्री ने हाथ बढ़ा दिया है। पृष्ठभूमि हालांकि एनएससीएन के साथ हुआ समझौता था। लेकिन इसी बहाने विपक्ष के अहं को साधने की भी कोशिश हुई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी समेत लोकसभा में कांग्रेस के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे, सपा अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव, जदयू अध्यक्ष शरद यादव, बसपा अध्यक्ष मायावती, पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह व कई अन्य नेताओं व विपक्षी दलों के मुख्यमंत्रियों से बात की। माना जा रहा है कि इसके बाद संसद चलाने का रास्ता निकल सकता है।
सरकार की ओर से संसदीय गतिरोध को खत्म करने के लिए लगातार कोशिश हो रही है लेकिन सोमवार को सर्वदलीय बैठक भी विफल हो गई। सरकारी सूत्रों की मानी जाए तो संवाद में सबसे ज्यादा परेशानी कांग्रेस के साथ थी। सीधे सोनिया गांधी से बात नहीं हो पाई थी। सदन में हालांकि प्रधानमंत्री ने सभी दलों के प्रमुख नेताओं से मेज तक जाकर बात की थी। लेकिन बर्फ नहीं पिघली। बल्कि सोमवार को तेवर और कड़े हो गए। संसदीय दल की बैठक में जहां सोनिया ने सीधे मोदी पर हमला किया था वहीं गलत आचरण के कारण लोकसभा से कांग्रेस के दो दर्जन सदस्य निलंबित कर दिए गए थे। सरकारी पक्ष की ओर से भी विपक्ष और कांग्रेस को विकास विरोधी बताया गया था और इसका ठीकरा सोनिया पर फोड़ा गया था।
ऐसे में खुद पीएम की ओर से हुई पहल को अहम माना जा रहा है। एनएससीएन के साथ हुए समझौते के आधे घंटे के अंदर उन्होंने सभी दलों के प्रमुख नेताओं से फोन पर बात कर ली और जानकारी दी। विपक्ष को साधने की कोशिश मे यह पहल कितनी रंग लाती है यह तो बाद में दिखेगा। लेकिन सरकार की ओर से यह जता दिया गया कि वह विपक्ष को साथ लेकर चलना चाहती है।
मोदी ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, तमिलनाडु की जयललिता, राकांपा नेता शरद पवार, द्रमुक नेता एम करुणानिधि, पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवेगौड़ा समेत कई अन्य नेताओं से बात की और जानकारी दी। सूत्रों के अनुसार इस बातचीत में ज्यादा विस्तृत चर्चा तो नहीं हुई लेकिन यह जरूर जता दिया गया कि सरकार और विपक्ष को हर अहम मसले पर साथ चलना होगा।
ध्यान रहे कि सोमवार को ही यह संदेश भी दिया जा चुका है कि भूमि अधिग्रहण विधेयक पर सरकार विपक्ष की मांग मानेगी। इससे पहले जीएसटी, रियल एस्टेट विधेयक पर भी विपक्ष की मांग को मानते हुए उसे दोबारा समिति के विचारार्थ भेजा गया था। सूत्रों का मानना है कि इसके बाद अगर विपक्ष का रुख नरम हुआ तो सदन में चर्चा में खुद पीएम भी हिस्सा लेंगे। विपक्ष की ओर से मांगी गई बहस को प्राथमिकता भी दी जाएगी।