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एच -1बी वीजा पाबंदी के प्रस्ताव पर पीएम मोदी ने जताई चिंता

मोदी और अमेरिका की सबसे बेहतरीन आइटी कंपनियों में से एक माइक्रोसॉफ्ट के सीईओ सत्या नडेला की मंगलवार को हुई बैठक में भी आइटी पेशेवरों को लेकर अमेरिकी सरकार के नए प्रस्ताव पर चर्चा हुई है।

By Sachin BajpaiEdited By: Published: Tue, 21 Feb 2017 08:23 PM (IST)Updated: Wed, 22 Feb 2017 08:05 AM (IST)
एच -1बी वीजा पाबंदी के प्रस्ताव पर पीएम मोदी ने जताई चिंता
एच -1बी वीजा पाबंदी के प्रस्ताव पर पीएम मोदी ने जताई चिंता

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली । भारतीय आइटी पेशेवरों के हितों को प्रभावित करने के अमेरिकी प्रस्ताव से परेशान भारत ने यह साफ कर दिया है कि द्विपक्षीय रिश्तों में यह मुद्दा फिलहाल सबसे अहम है। इस मुद्दे पर विदेश मंत्रालय पहले ही अपनी चिंता जता चुका है लेकिन मंगलवार को पीएम नरेंद्र मोदी ने अमेरिका से आए 26 सांसदों के एक मजबूत दल के सामने भारत के पक्ष को बेहद मजबूती से रखा।

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मोदी ने इन सांसदों से आग्रह किया कि एच-1बी वीजा के मामले में अमेरिका को दीर्घकालिक व संतुलित नीति बनानी चाहिए। माना जा रहा है कि मोदी अगर मई, 2017 में अमेरिका यात्रा पर जाते हैं तो वहां दोनों देशों के बीच एच-1बी वीजा सबसे अहम मुद्दा होगा।

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मोदी और अमेरिका की सबसे बेहतरीन आइटी कंपनियों में से एक माइक्रोसॉफ्ट के सीईओ सत्या नडेला की मंगलवार को हुई बैठक में भी आइटी पेशेवरों को लेकर अमेरिकी सरकार के नए प्रस्ताव पर चर्चा हुई है। भारत के सूचना प्रौद्योगिकी और कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने भी भारत यात्रा पर आये अमेरिकी कांग्रेस के कुछ सदस्यों से मुलाकात की और इस बारे में भारत की चिंताओं से उन्हें अवगत कराया।

सूत्रों के मुताबिक मोदी ने अमेरिकी कांग्रेस के सदस्यों को यह बताया कि भारतीय आइटी कंपनियां अमेरिकी समाज व अर्थव्यवस्था के विकास में अहम काम कर रही हैं। ऐसे में अमेरिकी सरकार को भी पेशवरों के प्रवेश को लेकर प्रायोगिक कदम उठाने चाहिए।

उल्लेखनीय है कि ट्रंप प्रशासन की तरफ से दूसरे देशों के पेशेवरों के अमेरिका में आने जाने को हतोत्साहित करने के लिए जो प्रावधान प्रस्तावित किये गये हैं उसका सबसे ज्यादा असर भारत पर पड़ने की संभावना है। भारत के कुल 150 अरब डॉलर के सूचना प्रौद्योगिकी कारोबार का 60 फीसद अमेरिकी कंपनियों से जुड़ा हुआ है। अमेरिका जितने विदेशी पेशेवरों को अपने यहां सालाना काम करने के लिए एच-1बी वीजा देता है उसका 90 फीसद भारतीयों को मिलता है।

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यह एक अहम वजह है कि भारत सरकार अमेरिका के इस प्रस्ताव से सबसे ज्यादा परेशान है। सरकार के अलावा भारत की आइटी कंपनियां भी ट्रंप प्रशासन के इस प्रस्ताव के खिलाफ वहां लॉबिंग कर रही हैं।


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