वोट देकर लोकतंत्र की कीमत अदा करें
मुझे लगता है कि देश में लोगों को यकीनन बदलाव चाहिए। लेकिन यह मुमकिन नहीं कि लोग हर मुद्दे को लेकर सड़कों पर उतरें। यह ना तो व्यवहारिक होगा और ना ही ऐसा करने की जरूरत है। कुछ मौके आते हैं, जब यह सब करना जरूरी हो जाता है। लेकिन हम उससे ज्यादा जरूरी चीज को भूल जाते हैं। अभी विधानसभा चुनाव हैं और फिर कुछ महीनों में लोक
मुझे लगता है कि देश में लोगों को यकीनन बदलाव चाहिए। लेकिन यह मुमकिन नहीं कि लोग हर मुद्दे को लेकर सड़कों पर उतरें। यह ना तो व्यवहारिक होगा और ना ही ऐसा करने की जरूरत है। कुछ मौके आते हैं, जब यह सब करना जरूरी हो जाता है। लेकिन हम उससे ज्यादा जरूरी चीज को भूल जाते हैं। अभी विधानसभा चुनाव हैं और फिर कुछ महीनों में लोकसभा चुनाव हैं। बहुत से लोग तो वोट ही नहीं करते। जो वोट डालते हैं, उनमें से बहुत योग्यता के बजाय जाति, धर्म आदि को प्राथमिकता देते हैं।
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अगर सभी लोग वोटिंग प्रक्रिया में हिस्सा लें और उम्मीदवारों की योग्यता के आधार पर उसका चयन करें तो फिर हमें सड़कों पर उतरने की शायद जरूरत ही नहीं पड़े। लेकिन हमें यह देखना होगा कि जिसे हम चुन रहे हैं, वह वाकई में लोगों के प्रति हमदर्दी रखता हो। जनता के लिए कुछ करना चाहता हो, तो फिर आंदोलनों की जरूरत ही नहीं रहेगी। हम दोष सरकार को देते हैं लेकिन यह भी सच है कि हम खुद भी अपना काम नहीं कर रहे हैं। हम लोकतंत्र को सिर्फ इंज्वाय नहीं कर सकते, इसकी कीमत भी अदा करनी होगी। यही मौका है आप राजनीति को अपने मुताबिक सही दिशा दे सकते हैं। जैसे लोकतंत्र के सपने हमारी पिछली पीढ़ी के नेताओं ने देखे थे, वह अब तक साकार नहीं हुए हैं। लेकिन मैं पूरी तरह आशान्वित हूं। लोकतंत्र और सच्चा बनेगा।
सिर्फ नेताओं का नहीं, आज आपका भी इम्तिहान
-आमिर खान, अभिनेता
[अजय ब्रह्मात्मज/दुर्गेश सिंह]
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