प्लास्टिक कम कर रहा प्रजनन क्षमता
काशी हिंदू विश्वविद्यालय स्थित चिकित्सा विज्ञान संस्थान में इंडोक्राइन विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डा. नीरज कुमार अग्रवाल ने हाल ही में प्लास्टिक पर शोध किया जिसमें पाया गया कि प्लास्टिक में सर्वाधिक मात्रा में पाया जाने वाला बिसफिनाल तत्व पुरुषों में प्रजनन की क्षमता कम कर रहा है।
वाराणसी, जासं। पर्यावरण के साथ ही मानव जीवन के लिए भी बेहद घातक है प्लास्टिक।
काशी हिंदू विश्वविद्यालय स्थित चिकित्सा विज्ञान संस्थान में इंडोक्राइन विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डा. नीरज कुमार अग्रवाल ने हाल ही में प्लास्टिक पर शोध किया जिसमें पाया गया कि प्लास्टिक में सर्वाधिक मात्रा में पाया जाने वाला बिसफिनाल तत्व पुरुषों में प्रजनन की क्षमता कम कर रहा है।
हर तरह से घातक
शोध के दौरान पाया गया कि प्लास्टिक में पाया जाने वाला बिसफिनाल हर तरह से घातक है। यह ठंडे एवं गरम दोनों ही स्थिति में खाद्य पदार्थ के साथ शरीर में जाता है। गरम होने की दशा में बिसफिनाल का क्षरण अधिक होता है। उन्होंने विज्ञान संकाय में बायोकेमिस्ट्री के प्रो.एसपी सिंह की प्रयोगशाला में नर चूहों पर प्लास्टिक से बिसफिनाल के क्षरण का गर्म व ठंडा, दोनों ही स्थितियों का अवलोकन किया। देखा कि प्लास्टिक का बिसफिनाल चूहों के शरीर में पहुंचकर फी-मेल हार्मोस की तरह काम करने लगता है।
कमजोर बच्चे
पुरुषों में बिसफिनाल की अधिकता होने से शुक्राणुओं की कमी होने लगती है। इससे संतान उत्पत्ति में दिक्कत या कमजोर बच्चों का पैदा होना आम हो गया है। डा.अग्रवाल के अनुसार बिसफिनाल दिमाग पर भी बुरा असर डालता है। उन्होंने बताया कि हर तरह की प्लास्टिक [फ्रिज की बोतल, हाट-पाट, टिफिन, पालीथिन] का प्रयोग घातक है।
अंतरराष्ट्रीय शोध
इस शोध का प्रकाशन बीएचयू की अंतरराष्ट्रीय शोध पत्रिका 'जर्नल आफ साइंटिफिक रिसर्च' में हुआ है।
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