UP में पीके हुए फेल, मणिपुर में चेलों ने BJP को शून्य से शिखर पर पहुंचाया
प्रशांत किशोर यूपी में बुरी तरह विफल रहे हैं, लेकिन कभी उन्हीं की टीम के सदस्य रही शुभ्रास्था ने मणिपुर में भाजपा को शून्य से शिखर तक पहुंचाया है।
मुंबई (जेएनएन)। उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में कांग्रेस के चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर उर्फ पीके की रणनीति इस बार फेल हो गई। लेकिन उनसे अलग होकर मणिपुर में भाजपा के लिए काम करने वाले उनके ही चेले पार्टी को शून्य से शिखर पर ले जाने में सफल रहे।
दिल्ली के मिरांडा कॉलेज की छात्र एवं पत्रकार रहीं शुभ्रास्था 2013 से ही प्रशांत किशोर की टीम में शामिल हो गई थीं। तब नरेंद्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे, लेकिन उन्होंने दिल्ली की तैयारियां शुरू कर दी थीं। उस समय पीके की टीम में करीब 400 लोग काम करते थे। 2014 का लोकसभा चुनाव खत्म होने तक इस टीम के सदस्यों की संख्या 650 तक पहुंच गई थी।
शुभ्रास्था इसी टीम की एक सदस्य मात्र थीं। फिर बिहार विधानसभा चुनाव में लगी करीब 450 सदस्यों की टीम पीके का भी वह हिस्सा रहीं। वहां पहले उन्होंने नीतीश कुमार के ट्वीटर एवं फेसबुक एकाउंट का काम संभाला। फिर जनतादल (यू) की महिला इकाई से संपर्क का काम उन्हें सौंपा गया। लेकिन बिहार चुनाव खत्म होने के बाद उन्होंने खुद को टीम पीके से अलग कर लिया।
राम माधव ने दिलाया काम
29 वर्षीया शुभ्रास्था ने मणिपुर विधानसभा चुनाव में अपने टेक्नोक्रेट पति रजत सेठी के साथ मिलकर वही काम भाजपा के लिए करीब छह महीने पहले शुरू कर दिया था, जो वह 2014 के लोकसभा चुनाव में नरेंद्र मोदी और उसके बाद बिहार में नीतीश कुमार के लिए कर चुकी थीं। उन्हें यह जिम्मेदारी मणिपुर का काम देख रहे भाजपा महासचिव राम माधव की पहल पर मिला।
पार्टी के युवा कार्यकर्ताओं से बातचीत करके जानकारी जुटाना। क्षेत्र में लोगों से रूबरू मिलकर उस जानकारी की सचाई जांचना। उसे पार्टी के वरिष्ठ नेताओं से साझा करना। फिर उनके साथ मिलकर रणनीति तैयार करना। फेसबुक, ट्वीटर एवं वाट्सएप के जरिये पार्टी के पक्ष में माहौल खड़ा करना। मणिपुर में ये सारे काम शुभ्रास्था एवं रजत सेठी की एक छोटी सी टीम एक होटल में अपना कार्यालय स्थापित कर बखूबी करती रही। जिसका परिणाम अब सबके सामने है। उनके अनुसार, मणिपुर में 21 सीटें जीतनेवाली भाजपा करीब छह सीटें 300 से भी कम मतों के अंतर से हारी है।
बिहार में भी टीम पीके को उतनी सफलता नहीं मिली
बिहार में टीम पीके की भारी जीत, फिर उत्तरप्रदेश में उसकी भारी हार के बारे में पूछने पर शुभ्रास्था कहती हैं कि वास्तव में बिहार में भी टीम पीके ने काम तो नीतीश कुमार के लिए किया था। चुनाव भी उनके नाम पर ही लड़ा गया था। इसके बावजूद सीटें लालू की यादा आईं। इसलिए वहां भी टीम पीके को उतनी सफलता नहीं मिली, जितनी प्रचारित की गई। शुभ्रास्था मानती हैं कि उनके जैसे चुनावी रणनीतिकारों का काम पार्टी को तभी सफलता दिला सकता है, जब पार्टी के नेता भी संगठित रूप से काम कर रहे हों।