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संगीत से जिंदगी को दी नई दिशा

जो कभी बोल भी नहीं पाती थी वह अब दूसरों को संगीत की शिक्षा दे रही है। लता मंगेशकर, अभिजीत, सोनू निगम, हंसराज हंस और अक्षय कुमार जैसे दिग्गज भी उसकी कला देख अभिभूत हो चुके हैं।

By Srishti VermaEdited By: Published: Thu, 24 Aug 2017 09:23 AM (IST)Updated: Fri, 25 Aug 2017 09:45 AM (IST)
संगीत से जिंदगी को दी नई दिशा
संगीत से जिंदगी को दी नई दिशा

पंचकूला (राजेश मलकानियां)। यदि कोई 90 फीसद मानसिक दिव्यांग है तो उससे यह उम्मीद नहीं की जा सकती कि वह ठीक से उठ-बैठ, चल-फिर या बोल पाएगा, पर हरियाणा के पंचकूला की तेजस्वनी शर्मा का तेज अलग ही है। तेजस्वनी ने सुरों से न सिर्फ तन-मन की कमजोरी को साध लिया, बल्कि उन माता-पिता को उम्मीद की किरण भी दिखाई जिनके बच्चे किसी न किसी कारण शारीरिक-मानसिक रूप से कमजोर हैं। अपनी आश्चर्यजनक इच्छाशक्ति से तेजस्वनी ने साबित कर दिया है कि उनके जैसे बच्चे भी अपनी प्रतिभा से अलग मुकाम बना सकते हैं। जो कभी बोल भी नहीं पाती थी वह अब दूसरों को संगीत की शिक्षा दे रही है। लता मंगेशकर, अभिजीत, सोनू निगम, हंसराज हंस और अक्षय कुमार जैसे दिग्गज भी उसकी कला देख अभिभूत हो चुके हैं। तेजस्वनी के गीत सुनकर यकीन करना मुश्किल हो जाता है कि वह 90 फीसद मेंटली चैलेंज्ड है। उसे 2009 में तत्कालीन राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल ने शानदार गायन के लिए नेशनल अवार्ड दिया था।

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दूसरों को भी दिखा रही राह
तेजस्वनी चंडीगढ़ में सेक्टर 26 स्थित मेंटली चैलेंज्ड बच्चों के लिए बने सेंटर के बच्चों को संगीत सिखाती हैं। उनका परिवार ऐसा होम बनाने की सोच रहा है, जहां उनके जैसे बच्चों के हुनर को तराशा जा सके।

दो बार दी मौत को मात
30 वर्ष की तेजस्वनी जन्म से शारीरिक व मानसिक दिव्यांगता से ग्रस्त थी। वह 7 दिन की थी जब आंत में ब्लॉकेज आ गया और ऑपरेशन करना पड़ा। जन्म के बाद 5 साल अस्पतालों में बीते। पैरालाइसिस अटैक भी आया। डाक्टरों ने दो बार तो जवाब दे दिया, दोनों बार वेंटिलेशन पर डाला तो ठीक हो गई।

90  प्रतिशत पंचकूला की मेंटली चैलेंज्ड तेजस्वनी के स्वर बने उसकी पहचान
2009 में राष्ट्रपति ने किया था सम्मानित, कई बड़े संगीतकार कर चुके हैं तारीफ

11 साल की उम्र तक तेजस्वनी बोल भी नहीं पाती थी। एक दिन वह मेरे साथ कार में जा रही थी। देशभक्ति गीत बज रहा था, जो अचानक बंद हो गया, तभी तेजस्वनी ने गाने को जहां बंद हुआ था वहीं से शुरू कर दिया। इसके बाद मैंने घर पर शिक्षक बुलाकर उसे संगीत सिखाना शुरू किया। आज वह हिंदी, अंग्रेजी, पंजाबी व हिमाचली भाषा में अपने सुरों से लोगों को मंत्रमुग्ध कर देती है। उसके भजनों की सीडी ‘ओ मेरे सांवरे’ भी आ चुकी है।
-हर्ष शर्मा, तेजस्वनी की मां

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