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पेटलावद हादसा : धधकती चिताओं में खो गए बेकसूर

हादसे के 30 घंटे बाद भी कस्बे की कई गलियों की चुप्पी को सिसकियां तोड़ रही हैं। परिजन अब भी बिलख रहे हैं।

By Sachin kEdited By: Published: Mon, 14 Sep 2015 01:12 PM (IST)Updated: Mon, 14 Sep 2015 01:47 PM (IST)
पेटलावद हादसा : धधकती चिताओं में खो गए बेकसूर

पेटलावद (झाबुआ) (निप्र)। रविवार अपरान्ह ढ़ाई बजे मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान स्थानीय बाशिंदों के तगड़े विरोध के बाद भी उन लोगों को ढांढ़स बंधाने में लगे हैं, जिन्होंने शनिवार को हुए धमाके में किसी अपने को खो दिया। इधर, हादसे के 30 घंटे बाद भी कस्बे की कई गलियों की चुप्पी को सिसकियां तोड़ रही हैं। परिजन अब भी बिलख रहे हैं, शोक संतप्त हैं।

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खिड़कियों से बाहर झांकते लोगों की आंखें अब भी खौफ से भरी हुई हैं। कुछ लोग ये भी कह रहे हैं कि चंद मिनटों का अंतर नहीं होता तो हम भी मारे जाते। इन सब दृश्यों के बीच एक छोटा-सा कस्बा यानी खुद पेटलावद भी कुछ सवाल दाग रहा है। सवाल ये है कि आखिर ऐसा क्यों हुआ? जहां रोज जिंदगी जिंदादिली से आगे बढ़ती थी, वहां आज इतना ठहराव, विलाप क्यों हैै? ऐसा हादसा क्यों हुआ, जिससे सड़कें रक्तरंजित हो गईं? लाशों से पट गईं?

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इस भीषण त्रासदी के गुनहगार कौन-कौन हैं? क्या सभी को सजा मिलेगी? जो लोग धधकती चिताओं में विलीन हो गए, खो गए, उनका क्या कसूर था? क्या उन्हें न्याय मिल पाएगा? समय भले ही दोषियों को माफ कर दे, मगर कस्बे का इतिहास उन्हें कभी माफ नहीं करेगा।

खाद के लिए दुकान किराए पर दी थी, चोरी-छिपे रखे डिटोनेटर

हादसे में गंगाराम राठौड़ के परिवार के 4 लोग मारे गए। राठौड़ ने ही राजेंद्र कांसवा को अपने घर के पास में किराए पर दुकान दे रखी थी। शनिवार सुबह गंगाराम राठौड़ और उनकी पत्नी, बेटा मुकेश राठौड़, सीमा मुकेश, कविता जगदीश राठौड़ और मुकेश के बेटे अभिषेक, अक्षत और भतीजा शिवम घर पर मौजूद थे। धमाके के समय मुकेश और गंगाराम दुकान पर थे। हादसे में गंगाराम राठौड़, मुकेश राठौड़, सीमा और कविता की मौत हो गई।

वहीं गंगाराम की पत्नी, मुकेश के पुत्र अभिषेक और अक्षत व भतीजा शिवम बच गए, लेकिन जख्मी हो गए। सभी का इलाज इंदौर और रतलाम में चल रहा हैै। गंगाराम के छोटे भाई गोपाल राठौड़ ने बताया कि उन्होंने राजेंद्र कांसवा को खाद-बीज आदि रखने के लिए दुकान दी थी, मगर उसने चोरी-छिपे डिटोनेटर रखे थे। इस बात का हमें पता ही नहीं चला।

घर में अब बूढ़ी दादी और तीन पोते

गंगाराम राठौड़ कस्बे के जानेमाने शिक्षक थे। शनिवार को परिवार के चार लोग मारे गए। वहीं, पूर्व में हुए एक हादसे में इनका बड़ा बेटा भी मारा गया था। अब परिवार में केवल बूढ़ी दादी और तीन पोते बचे हैं, जिनके सामने अब आगे के जीवन की चुनौती है। पूरे परिवार में रविवार को भी मातम छाया रहा। बूढ़ी दादी को तो अभी यह भी पता नहीं है कि घर में कौन बचा है और कौन नहीं।

बच्चे पानी लेने गए थे, इसलिए बच गए

मुकेश राठौड़ के बेटे अभिषेक और अक्षत पहले धमाके के बाद निकले धुएं को बुझाने के लिए बाथरूम में पानी लेने गए थे। इसी दौरान दूसरा धमाका हुुआ। दोनों बाथरूम में थे, इसलिए बच गए। हालांकि घायल होने के कारण उनका इलाज जारी है।

कांसवा ने नहीं बताया

गोपाल ने बताया कि पहले धमाके के बाद राजेंद्र कांसवा को फोन लगाया था, मगर उसने ये नहीं बताया कि डिटोनेटर में विस्फोट हो सकता है, सब दूर हट जाओ। अगर वह बता देता तो संभव था कई जानें बच जातीं।

दुकान खोल रहे थे गुगलिया, मौत आ गई

नगर परिषद उपाध्यक्ष आजाद गुगलिया के भाई पारस गुगलिया (58) रोज की तरह शनिवार को भी अपनी कपास की दुकान खोल रहे थे। धमाके के दौरान एक पत्थर तेजी से आकर उनके जबड़े पर लगा। चोट इतनी जबर्दस्त थी कि मौके पर ही उनकी मौत हो गई। इनके भाई आजान ने बताया कि जब उन्होंने जाकर देखा तो तलघर के भीतर भाई के साथ दो और लाशें पड़ी थीं। गुगलिया के परिवार में दो बेटे हैं, जो नाबालिग हैं। परिवार में कमाने वाले केवल गुगलिया ही थे।

काउंटर पर खड़े-खड़े हो गई मौत

जिस खाद दुकान में हादसे हुआ, वहां से ठीक पास सेठिया रेस्टोरेंट भी है। इसके मालिक मुकेश सेठिया (45) हादसे के वक्त कैश काउंटर पर खड़े थे। अचानक धमाका हुआ और एक फर्श आकर उनके सिर में लगा। सेठिया की भी मौके पर ही मौत हो गई।

इसके साथ ही उनके भाई महावीर सेठिया भी काउंटर के बाहर खड़े थे, उन्हें सिर, सीने और पैर में गंभीर चोटें आई हैं। उनका इलाज दाहोद में चल रहा है। मुकेश सेठिया के घर में तीन बेटियां और एक बेेटा है। परिवार के लालन-पालन का जिम्मा मुकेश सेठिया पर ही थी। सेठिया के साथ रेस्टोरेंट पर काम करने वाले कारीगर हीरा कटारा की भी मौत हो गई।

4 बहनों को पालने वाला भाई नहीं रहा

आरिफ पिता चांद मोहम्मद (17) की भी हादसे में मौत हो गई। आरिफ के परिवार में चार बहनें और एक बूढ़ी मां है। घर में कमाने वाला इकलौता आरिफ ही था। उसके इस कदर असमय चले जाने से पूरा परिवार पर संकट आ खड़ा हुआ है। आरिफ मजदूरी कर घर चलाता था। आरिफ के पिता की मौत पूर्व में हार्ट अटैक से हो चुकी है।

कसाब और कांसवा में क्या अंतर

किराना व्यापारी राकेश गुप्ता की पत्नी का रविवार को रो-रोकर बुरा हाल था। उन्होंने अपना दर्द बयां करते हुए कहा कि इस दुनिया में अब मेरा कोई नहीं है। राकेश के घर में कोई बच्चा भी नहीं है। राकेश के अंकल का कहना है कि कसाब और कांसवा में कोई अंतर नहीं है। मरे तो 100 लोग हैं, लेकिन इनके पीछे हजारों लोग आज संकट में हैं। कांसवा के कारण कई घरों के चिराग बुझ गए।

त्रासदी बयां करती ये भी घटनाएं

पिता को ढूंढ रही मासूम बच्ची की आंखें

समीपस्थ करड़ावद के दुलेसिंह रामा मुणिया (22) की भी हादसे में मौत हो गई। दुलेसिंह पेशे से मिस्त्री का काम करता था और पेटलावद में शनिवार सुबह नाश्ता करने के लिए सेठिया रेस्टोरेंट पहुंचा था। इसी दौरान धमाका हो गया। दुलेसिंह के घर में पत्नी संगीता और एक साल की बच्ची संतोष है। बच्ची अब अपने पिता को ढूंढती दिखाई दे रही है। छोटा भाई सुरेश भी अभी 15 साल का ही है। ऐसे में परिवार की जिम्मेदारी बूढ़े पिता रामा मुणिया पर है।

अब 70 साल के पिता पर जिम्मेदारी

पेशे से मिस्त्री ग्राम करड़ावद निवासी सोहन राणजी डिंडोर (26) की भी मौत हो गई। सोहन अपने पीछे पत्नी बुआरी, बेटे सुमित (8) और पायल (10) को छोड़ गया। अब घर चलाने की जिम्मेदारी 70 वर्षीय बुजुर्ग पिता पर है। दुलेसिंह और सोहन का अंतिम संस्कार करड़ावद में लाड़की नदी तट पर किया गया। शनिवार को करड़ावद में पहली बार एक साथ दो अर्थियां उठी। ऐसे में हर कोई गमगीन नजर आया।

बाइक और कपड़ों से हुई शिनाख्त

मदन कन्हैयालाल मिस्त्री (55) शनिवार सुबह नाश्ते करने सेठिया रेस्टोरेंट पर रुके थे। इसी दौरान धमाके ने उन्हें लील लिया। इस दौरान परिजन कन्हैयालाल को 4 घंटे तक ढूंढते रहे। कन्हैयालाल का शव 200 फुट दूरी पर पड़ा था। मिस्त्री की शिनाख्त बाइक और कपड़ों के आधार पर हो पाई।

सब्जी बेचने आए थे, नहीं लौटे

रायपुरिया से पेटलावद सब्जी बेचने आए हीरालाल अंबाराम पाटीदार की भी शनिवार को धमाके में मौत हो गई। हीरालाल घर के प्रमुख थे। बड़ी मुश्किल हीरालाल ने हाल ही में अपना मकान बनाया था। वहीं, सामूहिक विवाह समारोह में अपनी बेटी की शादी की थी। सोच रहे थे कि अब जिम्मेदारी से मुक्त हो गया हूं तो आराम से जिंदगी बसर करूंगा। हीरालाल का 8 साल का बेटा है।

दोस्त साथ में नाश्ता करने आए और...

बामनिया के प्रिंस पिता राजेंद्र टांक (18) और प्रशांत पिता राजेंद्र भटवेरा (17) दोनों कोचिंग के बाद नाश्ता के लिए सेठिया रेस्टोरेंट पहुंचे थे। इसके पहले कि वे कुछ समझ पाते, जोरदार विस्फोट हुआ और दोनों की मौके पर ही मौत हो गई। प्रिंस घर का बड़ा बेटा था और परिवार का लाड़ला भी। बड़ी बहन, छोटा भाई, माता-पिता और परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल है। वहीं, प्रशांत घर का इकलौता था। उसके इस तरह चले जाने से परिवार टूट गया है। प्रशांत परिजनों के बुढ़ापे का सहारा था। बामनिया में दोनों की मौत के बाद शनिवार को बाजार बंद हो गया और देर शाम दोनों का अंतिम संस्कार किया गया। रविवार को भी कस्बे में मातम छाया रहा।

घर पर रास्ता देखती रही बूढ़ी मां

गेहंडी निवासी जयराजसिंह कुशवाह (18) पढ़ाई के लिए रोज पेटलावद आता था। शनिवार को भी पढ़ने पेटलावद आया था और नाश्ते के लिए सेठिया रेस्टोरेंट पर रुका। धमाके के बाद वह गंभीर हालत में मिला। जयराज को दाहोद रैफर किया गया, मगर रास्ते में ही उसने दम तोड़ दिया। रामगढ़ निवासी सुरेश भाभर (24) मजदूरी के लिए पेटलावद आया था। धमाके की चपेट में आने से उसकी भी मौत हो गई। उधर बूढ़ी मां घर में रात तक सुरेश का रास्ता देखती रही।


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