'देश विरोधी गतिविधि में शामिल व्यक्ति सुरक्षाबल में रहने योग्य नहीं'
जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस वसंथा कुमार ने एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा है कि अगर कोई व्यक्ति देशविरोधी गतिविधि में संलिप्त पाया जाता है और जनसुरक्षा कानून (पीएसए) के तहत हिरासत में रहता है तो वे सुरक्षाबल में नौकरी करने के काबिल नहीं है।
जम्मू। जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस वसंथा कुमार ने एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा है कि अगर कोई व्यक्ति देशविरोधी गतिविधि में संलिप्त पाया जाता है और जनसुरक्षा कानून (पीएसए) के तहत हिरासत में रहता है तो वे सुरक्षाबल में नौकरी करने के काबिल नहीं है।
चीफ जस्टिस ने यह निर्देश मुनीर हुसैन की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई के दौरान दिए। मुनीर ने अवैध तौर पर गैरहाजिर रहने के आरोप में नौकरी से निकाले जाने के आदेश को चुनौती दी थी। याचिकाकर्ता अपनी ड्यूटी ज्वाइन नहीं कर पाया था, क्योंकि वह पीएसए के तहत गिरफ्तार था। उसने पीएसए को कोई चुनौती नहीं दी और पीएसए की अवधि समाप्त होने के बाद उसे रिहा किया गया था।
जस्टिस वसंथा कुमार ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद पाया कि सीमा सुरक्षा बल एक अनुशासित बल है और देश के प्रति इस पर काफी अहम जिम्मेदारी है। उन्होंने कहा कि जब पुलिस विभाग या सुरक्षाबल में कोई भी नियुक्ति की जाती है तो उसके चरित्र की जांच करवाई जाती है। ऐसे व्यक्ति को नियुक्त नहीं किया जाता, जिसके खिलाफ कोई आपराधिक मामला दर्ज हो। राज्य के सीनियर एडवोकेट सुनील सेठी ने कहा कि यह हाईकोर्ट का महत्वपूर्ण फैसला है, जिसे आधार बनाकर समर्पण कर चुके आतंकियों को सुरक्षाबल में नियुक्त करने की राज्य सरकार की नीति को चुनौती दी जा सकती है।