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आइआइटी में परसेंटाइल बाधा होगी दूर

आइआइटी में दाखिले के लिए जल्दी ही नियम और आसान किए जा सकते हैं। इसके लिए 12वीं की परीक्षा में संबंधित बोर्ड से न्यूनतम अंकों की अनिवार्यता को उदार किए जाने की तैयारी है। अभी आइआइटी की प्रवेश परीक्षा पास करने के बावजूद इसमें वही छात्र दाखिला पा सकते हैं,

By manoj yadavEdited By: Published: Sat, 06 Dec 2014 09:20 PM (IST)Updated: Sat, 06 Dec 2014 09:27 PM (IST)
आइआइटी में परसेंटाइल बाधा होगी दूर

नई दिल्ली [मुकेश केजरीवाल]। आइआइटी में दाखिले के लिए जल्दी ही नियम और आसान किए जा सकते हैं। इसके लिए 12वीं की परीक्षा में संबंधित बोर्ड से न्यूनतम अंकों की अनिवार्यता को उदार किए जाने की तैयारी है। अभी आइआइटी की प्रवेश परीक्षा पास करने के बावजूद इसमें वही छात्र दाखिला पा सकते हैं, जिन्हें अपने बोर्ड में शीर्ष 20 परसेंटाइल में जगह मिली हो या फिर 75 फीसद अंक आएं। जबकि कई राज्यों के बोर्ड की कठिन परीक्षा प्रणाली के चलते बहुत से छात्र प्रतिभाशाली होने के बावजूद अंक तालिका में पिछड़ जाते हैं।

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केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय के एक वरिष्ठ सूत्र ने शनिवार को बताया कि इस संबंध में मंत्रालय को मिली शिकायतों के बाद नए सिरे से इस पर विचार किया जा रहा है। उन्होंने माना कि न्यूनतम अंकों की अनिवार्यता के मौजूदा नियमों को उदार करने के लिए जल्दी ही मंत्रालय की ओर से प्रस्ताव को अंतिम रूप दिया जा सकता है।

आइआइटी की अपनी परीक्षा पहले ही कड़ी :

मानव संसाधन विकास मंत्रालय के सूत्र सितंबर के महीने में इस संबंध में किए गए बदलाव को नाकाफी बताते हुए कहते हैं, 'जब आइआइटी प्रवेश परीक्षा में छात्रों की इतनी कड़ी परीक्षा हो रही है तो फिर बोर्डो के नंबर पर इतनी निर्भरता क्यों रहे?' मंत्रालय इस बारे में कोई एलान करने से पहले आइआइटी काउंसिल की बैठक बुला कर विभिन्न आइआइटी के साथ विचार कर लेना चाहता है।

20 परसेंटाइल या 75 फीसद अंक है अभी अनिवार्य योग्यता

आइआइटी अपने प्रवेश के लिए दो स्तर पर परीक्षा लेता है। मगर मुख्य प्रवेश परीक्षा में उत्तीर्ण होने के बावजूद कुछ छात्र इसमें दाखिला नहीं ले पाते। पहले इसके लिए सिर्फ 60 फीसद न्यूनतम अंकों की अर्हता रखी गई थी। मगर बाद में प्रवेश परीक्षा को दो स्तरीय बना कर उनका अपने बोर्ड की परीक्षा में शीर्ष 20 परसेंटाइल के छात्रों में शामिल होना भी जरूरी कर दिया गया। सितंबर में इसमें थोड़ी ढील देते हुए तय किया गया कि अगर छात्र को अपने बोर्ड में 75 फीसद अंक हासिल हुए हों तो भी उसे योग्य माना जाएगा। नए नियम खास तौर पर बिहार, उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों की बोर्ड के तहत परीक्षा देने वाले छात्रों की मुश्किलें आसान करेंगे, क्योंकि इन बोर्ड में अक्सर छात्रों को बहुत कम अंक आते हैं।

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