नवाज के लिए दुआ मांग रहे उनके गांववाले
'वाहेगुरु जी, हमारे पड़ोस में शरीफ ही रहें, उनकी कुर्सी बची रहे, वह प्रधानमंत्री बने रहें'। यह अरदास है पंजाब के तरनतारन जिले के गांव जाति उमरा की। जब-जब नवाज शरीफ पर संकट आया, इस गांव ने सामूहिक तौर पर अरदास की, दुआएं मांगी।
अमृतसर, रमेश शुक्ला 'सफर'। 'वाहेगुरु जी, हमारे पड़ोस में शरीफ ही रहें, उनकी कुर्सी बची रहे, वह प्रधानमंत्री बने रहें'। यह अरदास है पंजाब के तरनतारन जिले के गांव जाति उमरा की। जब-जब नवाज शरीफ पर संकट आया, इस गांव ने सामूहिक तौर पर अरदास की, दुआएं मांगी।
नवाज शरीफ के पैतृक गांव जाति उमरा की आबादी करीब 750 है, जिसमें 215 पुरुष व 198 महिलाएं हैं। 170 लड़के और 95 लड़कियां, 72 बुजुर्ग हैं। सभी नवाज के मुरीद हैं। एक बार फिर पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के विरोधी आंदोलन से यह गांव आहत है। गांव के सरपंच दिलबाग सिंह कहते हैं कि नवाज शरीफ की सत्ता पर संकट मंडरा रहा है, हम गांव के गुरुद्वारा में जाकर अरदास करेंगे कि हमारे पड़ोस में शरीफ ही रहें। पूरा का पूरा गांव नवाज शरीफ का मुरीद भी है। हो भी क्यों नहीं। नवाज इस गांव के नाज हैं, क्योंकि उनके पूर्वज इसी गांव के रहने वाले थे। गांव के बीस घरों में नवाज शरीफ की वजह से ही चूल्हा जल रहा है।
1999 में नवाज ने दुबई स्थित अपनी फैक्ट्री में इस गांव के बीस युवकों को रोजगार दिया था। गांव ने नवाज शरीफ को 'माटीपुत्र' नाम दिया है। बेशक, बंटवारे के बाद नवाज का परिवार इस गांव को छोड़कर लाहौर का हो गया, लेकिन जाति उमरा के लोगों से न तो उनका नाता टूटा और न ही दिलों का बंटवारा ही हुआ।