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डीडीए फ्लैटों में नहीं रहना चाहते लोग, सैकड़ों ने किए वापस

दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) की आवास योजना 2014 से सफल आवेदकों का मोह भंग होना शुरू हो गया है। पिछले आठ दिन में एक सौ सफल आवेदकों ने डीडीए के फ्लैट वापस कर दिए हैं। वहीं, डीडीए द्वारा शुरू किए दस्तावेज वेरीफिकेशन (सत्यापन) शिविर के पहले दिन एक हजार में

By anand rajEdited By: Published: Sat, 20 Dec 2014 09:39 AM (IST)Updated: Sat, 20 Dec 2014 09:57 AM (IST)
डीडीए फ्लैटों में नहीं रहना चाहते लोग, सैकड़ों ने किए वापस

नई दिल्ली (वीके शुक्ला)। दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) की आवास योजना 2014 से सफल आवेदकों का मोह भंग होना शुरू हो गया है। पिछले आठ दिन में एक सौ सफल आवेदकों ने डीडीए के फ्लैट वापस कर दिए हैं। वहीं, डीडीए द्वारा शुरू किए दस्तावेज वेरीफिकेशन (सत्यापन) शिविर के पहले दिन एक हजार में से मात्र 340 लोग दस्तावेजों का सत्यापन कराने पहुंचे। इसे भी फ्लैटों में लोगों की कम हो रही रुचि से जोड़ कर देखा जा रहा है।

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इस संबंध में डीडीए उपाध्यक्ष बलविंदर कुमार का कहना है कि डीडीए द्वारा दस्तावेज सत्यापन के लिए अखबारों में दिल्ली स्तर पर ही विज्ञापन दिया गया था। इस वजह से भी हो सकता है कि दिल्ली से बाहर के बहुत से लोगों को इसकी जानकारी नहीं मिल पाई हो। उन्होंने कहा कि इन लोगों को फिर से मौका दिया जाएगा। उनका कहना है कि राष्ट्रीय स्तर पर भी डीडीए के शिविर का प्रचार करने की योजना बनाई जा रही है।

परिवहन व्यवस्था बेहतर नहीं

डीडीए उपाध्यक्ष ने कहा कि नरेला में सार्वजनिक परिवहन प्रणाली की समुचित व्यवस्था न होने की बात सामने आ रही है, इसके लिए दिल्ली सरकार को पत्र लिखेंगे ताकि डीडीए फ्लैटों से बस रूट निर्धारित किए जाएं। ऐसी संभावना है कि डीडीए की इस योजना में फ्लैट वापस करने वालों की संख्या कई सौ तक पहुंच सकती है। ऐसा करने वालों में नरेला में फ्लैट पाने वालों की संख्या ही अधिक होने की आशंका है। कारण यह है कि जिस जगह डीडीए के फ्लैट बने हुए हैं, यह इलाका अभी पूर्णरूप से विकसित नहीं हुआ है। सार्वजनिक परिवहन प्रणाली के खराब होने से यहां स्थित डीडीए फ्लैटों तक पहुंचना भी बहुत कठिन है। मेट्रो ने यहां के लिए जो रूट प्रस्तावित किया है वह भी इस क्षेत्र को मुख्य दिल्ली से सीधे तौर पर नहीं जोड़ता।

बायोमीट्रिक जांच शुरू

इस बार फाइनेंसर और प्रापर्टी डीलर इस योजना में हाथ डालने की हिम्मत कम ही जुटा पाएंगे। इसका कारण यह है कि डीडीए ने सभी सफल आवेदकों के दस्तावेजों के सत्यापन के साथ-साथ उनकी बायोमीट्रिक जांच भी करानी शुरू कर दी है। इसमें सफल आवेदकों की अंगुलियों के निशान लेकर उन्होंने एक पासवर्ड दिया जा रहा है। डीडीए उन्हें यह भी बता रहा है कि पांच साल तक डीडीए उन्हें कभी भी बुलाकर फिर से बायोमीट्रिक जांच करा सकता है। ज्ञात हो कि डीडीए ने फ्लैट को बेचने के लिए पांच साल का प्रतिबंध लगाया हुआ है। योजना के तहत डीडीए फ्लैट परिसरों को विकसित करने के लिए 50 के करीब दुकानें लाइसेंस फीस पर देगा ताकि लोग वहां अपनी दुकानें खोल सकें। हर सेक्टर के लिए 5 दुकानें निर्धारित की गई हैं। ये दुकानें नरेला, द्वारका व रोहिणी में दी जाएंगी।

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