बठिंडा: लोग भूले मुहिम, पसरा कूड़ा
दीपावली के साथ ही शहर में स्वच्छ भारत का सपना चूर हो गया। इस दौरान शहरवासी स्वच्छ भारत स्वस्थ भारत मुहिम को पूरी तरह से भूल गए। शुक्रवार को दिनभर कई इलाकों में सड़कों पर वीरवार रात्रि में चलाए गए पटाखों का कूड़ा दिखा। हालांकि, कुछ संगठनों ने दीवाली के बाद यानी शुक्रवार सुबह सड़कों की सफाई कर
जागरण संवाददाता, बठिंडा। दीपावली के साथ ही शहर में स्वच्छ भारत का सपना चूर हो गया। इस दौरान शहरवासी स्वच्छ भारत स्वस्थ भारत मुहिम को पूरी तरह से भूल गए। शुक्रवार को दिनभर कई इलाकों में सड़कों पर वीरवार रात्रि में चलाए गए पटाखों का कूड़ा दिखा। हालांकि, कुछ संगठनों ने दीवाली के बाद यानी शुक्रवार सुबह सड़कों की सफाई करके जागरूकता मुहिम चलाकर लोगों को प्रेरित करने का भी काम जरूर किया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से शुरू किए गए स्वच्छ भारत स्वस्थ भारत मुहिम में जिलावासियों ने मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल के साथ तलवंडी साबों में बढ़चढ़ कर हिस्सा लेने की शपथ ली थी, लेकिन एक माह में ही लोग शपथ लेने की बातों को पूरी तरह से भूल गए हैं।
वीरवार रात यानी दीपावली की रात लोगों ने करोड़ों के पटाखे चलाए और सुबह उसे सफाई करने की जहमत किसी ने नहीं की। नतीजतन सड़कों पर सिर्फ कूड़ा ही दिखा। कुछ इलाकों में निजी कंपनी जेआइटीएफ के मुलाजिम घरों से कचरा उठाने और निगम के मुलाजिम कुछ इलाकों में सड़कों की सफाई करते दिखाई दिए, लेकिन शहर के अधिकांश इलाके सफाई से महरुम रहे। यहां तक कि खेल स्टेडियम में लगाए लगभग सौ पटाका विक्रेताओं ने भी दुकानदारी समेटने के बाद सफाई करने की जहमत तक नहीं उठाई। नतीजतन पूरा खेल स्टेडियम कूड़े से पटा दिखा। यही हाल राजिंदरा कॉलेज व रेलवे खेल मैदान में दिखा। शपथ लेने के दौरान शहरवासियों ने कहा था कि सफाई किसी दिन विशेष नहीं, बल्कि निरंतर बनाए रखने की प्रक्रिया है। सफाई में निरतंरता से शहर और देश को स्वच्छ व स्वस्थ बनाया जा सकता है।
लोगों को किया जागरूक
ह्यूमन राइट्स प्रोटेक्शन संस्था के सदस्यों ने शुक्रवार को शहर के धोबी बाजार, अस्पताल बाजार व गोल डिग्गी इलाके में सफाई मुहिम चलाकर लोगों को जागरूक किया। संस्था के प्रधान भरत जिंदल व सिटी प्रधान प्रदीप मित्तल ने बताया कि यह जागरूकता मुहिम प्रत्येक 15 दिन बाद शहर में चलाई जाएगी, ताकि लोगों को जागरूक किया जा सके।
हालांकि, अभी तक की मुहिम से शहरवासी कुछ हद तक जागरूक तो हुए हैं, लेकिन पूरी तरह से जागरूक करने के लिए अभी और प्रयास करने होंगे।