फंसे विधेयक देश की साख के लिए घातक
अगले कुछ माह में भारत की साख पर अपनी रिपोर्ट देने की तैयारी कर रही प्रमुख ग्लोबल रेटिंग एजेंसी मूडीज आर्थिक सुधारों पर केंद्र की कोशिशों को लेकर किसी उत्साह में नहीं है।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली । अगले कुछ माह में भारत की साख पर अपनी रिपोर्ट देने की तैयारी कर रही प्रमुख ग्लोबल रेटिंग एजेंसी मूडीज आर्थिक सुधारों पर केंद्र की कोशिशों को लेकर किसी उत्साह में नहीं है। खास तौर पर जिस तरह से अहम आर्थिक विधेयक राज्यसभा में फंसते जा रहे हैं, उसे देखते हुए भारत की साख को लेकर भी आगे सवाल उठ सकते हैं।
मूडीज ने गुरुवार को भारतीय अर्थव्यवस्था की दशा व दिशा पर एक विस्तृत रिपोर्ट जारी की है। यह राजग सरकार के लिए अच्छी नहीं कही जा सकती। इस रिपोर्ट के मुताबिक, भारतीय अर्थव्यवस्था में 10 फीसद की विकास दर हासिल करने की क्षमता है, लेकिन इसके लिए आर्थिक सुधारों की गति बहुत ही तेज करनी होगी।
राज्यसभा की बड़ी बाधा
रिपोर्ट में संसद के उच्च सदन यानी राज्यसभा में सत्ताधारी पार्टी भाजपा के पास पर्याप्त संख्या बल नहीं होने को सुधारों की राह में एक बड़ी अड़चन के तौर बताया गया है। यह भी कहा गया है कि यह स्थिति अगले वर्ष 2016 तक सुधरती नहीं दिख रही है। लिहाजा इससे निवेश के माहौल में बहुत बेहतरी की गुंजाइश नहीं दिखती। भूमि अधिग्रहण कानून, वस्तु व सेवा कर (जीएसटी) और श्रम कानून सुधार में सिर्फ जीएसटी की राह ही आसान दिखती है।
जीएसटी लागू होने में होगी देरी
वैसे, जीएसटी विधेयक को सरकार ने मंजूरी दे दी है, लेकिन इसके पारित होने की संभावना मौजूदा सत्र में तो नहीं है। इससे जीएसटी को लागू करने में भी देरी हो सकती है। यह काफी चिंताजनक है, क्योंकि फिलीपींस, मलयेशिया जैसे देश काफी तेजी से सुधार कर रहे हैं। भारत एक ऐसा देश हो गया है, जहां सरकार वादे तो बहुत करती है, लेकिन असल में बहुत कुछ नहीं दे पाती है। हालांकि इसके लिए विपक्षी दलों की तरफ से डाली जा रही रुकावटों को जिम्मेदार ठहराया गया है।
दस फीसद की रफ्तार मुश्किल
सुधारों की सुस्त रफ्तार की वजह से ही भारत के लिए दस फीसद की विकास दर को हासिल करना मुश्किल हो रहा है। मूडीज के मुताबिक चालू वित्त के दौरान भारत की आर्थिक विकास दर 7.5 फीसद रह सकती है। यह अगले वर्ष आठ फीसद हो सकती है। हालांकि भारत के लिए 10 फीसद की विकास दर हासिल करना संभव है।
आरबीआइ के अधिकारों पर चिंता
इसके साथ ही मूडीज ने हाल ही में रिजर्व बैंक के अधिकारों को कम करने संबंधी रिपोर्ट को लेकर काफी चिंता जताई गई है। भारतीय वित्तीय कोड के मसौदे में रिजर्व बैंक (आरबीआइ) के अधिकार व ब्याज दर तय करने में गवर्नर के अधिकार को कम करने का सुझाव दिया गया है। मूडीज के मुताबिक अगर ऐसा होता है तो आरबीआइ ने अभी तक जो अच्छा काम किया है, उस पर पानी फिर जाएगा। वैसे रेटिंग एजेंसी का मानना है कि मौजूदा हालात में देश में ब्याज दरों में कमी होने की स्थिति है।