सिंधु जल संधि रद करने के विरोध में उतरी भाजपा की सहयोगी पीडीपी
जम्मू -कश्मीर में भाजपा की सहयोगी पार्टी पीडीपी ने सिंधु जल समझौते में किसी भी तरह के बदलाव का विरोध किया है।
नई दिल्ली। जम्मू कश्मीर सरकार में भाजपा गठबंधन की सहयोगी पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) ने सिंधु जल संधि में किसी भी प्रकार के बदलाव या इसे रद करने का विरोध किया है।
पीडीपी के वरिष्ठ नेता और भाजपा के साथ महबूबा मुफ्ती के नेतृत्व वाली गठबंधन सरकार के प्रखर समर्थक रहे मुजफ्फर हुसैन बेग ने कहा है कि पाकिस्तान के लिए पानी की धारा सीमित करने के लिए नए बांध बनाने की केंद्र सरकार की योजना से कश्मीर घाटी के डूबने और एक झील में तब्दील होने का खतरा बढ़ जाएगा। इस संधि का उल्लघंन होने से जितना नुकसान पाकिस्तान का होगा उतना ही भारत की भी होगा।
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एक अंग्रेजी अखबार से बात करते हुए मुजफ्फर बेग ने कहा, "मुझे आशा है कि सिंधु जल संधि को रद्द करने की बात एक गर्म गुब्बारे की तरह होगी जो उड़ी हमले के बाद भारत के जायज गुस्से को प्रदर्शित करती है। यह संधि भारत और पाकिस्तान के लिए बराबर महत्व रखती है क्योंकि तीन नदियां भारत तो तीन पाकिस्तान में बहती है। यदि संधि का उल्लंघन होता है तो भारत और पाकिस्तान दोनों के लिए बराबर नुकसानदेह होगा।"
केंद्र सरकार द्वारा पाकिस्तान के लिए पानी का प्रवाह सीमित करने हेतु नए बांधों के निर्माण पर उन्होंने कहा, "संधि को रद्द करने को लेकर बहुत सी बाधाएं हैं और नए बांध बनाने का विचार सही नहीं है। इसके लिए बहुत बड़े बांधों की जरूरत होगी और यदि किसी तरह ये बन भी जाते हैं तो उसके बाद कश्मीर घाटी के डूबने और इसके एक झील में तब्दील होने का खतरा बना रहेगा।"
बेग ने कहा कि सिंधु परियोजना को विश्व बैंक द्वारा शुरू किया गया था। अपने प्रतिबद्धता को बरकरार रखना भारत की जिम्मेदारी है। अगर भारत ऐसा नहीं करता है तो इससे उसकी वैश्विक छवि प्रभावित होगी। पूर्व विदेश मंत्री नटवर सिंह और संयुक्त राष्ट्र में भारत के राजदूत रह चुके शशि थरूर ने भी सिंधु जल संधि में किसी भी तरह के बदलाव का विरोध किया है। दोनों का मानना है कि इससे भारत की वैश्विक छवि पर बुरा प्रभाव पड़ सकता है।
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इस संबंध में बात करते हुए पूर्व विदेश मंत्री और पाकिस्तान में भारत के राजदूत रह चुके नटवर सिंह ने कहा, "इस समझौते का उल्लंघन होने से दोनों देशों के बीच अविश्वास और बढ़ेगा। इसके बाद दोनों देशों के बीच लंबे समय तक रिश्ते सामान्य नहीं हो सकेंगे।" वहीं पूर्व विदेश राज्य मंत्री शशि थरूर ने कहा, "1971 और 1965 में भारत पाकिस्तान के युद्ध के समय भी खून और पानी एक साथ बहे थे। संधि का उल्लंघन करने से भारत की छवि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर बुरी तरह से प्रभावित होगी।"