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शिवराज पाटिल की आत्मकथा में 26/11 का जिक्र नहीं

भारतीय राजनेताओं की आत्मकथाएं आजकल काफी चर्चा में हैं। पूर्व गृहमंत्री शिवराज सिंह पाटिल भी आत्मकथा लेकर सामने आए हैं हालांकि उन्होंने इसमें 26/11 मुंबई हमले का कोई जिक्र नहीं किया है। भारत के इतिहास के सबसे घातक आतंकी हमले के बाद पाटिल ने अपने गृह मंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया था। 'ओडिसी ऑफ माई लाइफ' नाम

By Edited By: Published: Sun, 31 Aug 2014 04:10 PM (IST)Updated: Sun, 31 Aug 2014 04:10 PM (IST)
शिवराज पाटिल की आत्मकथा में 26/11 का जिक्र नहीं

नई दिल्ली। भारतीय राजनेताओं की आत्मकथाएं आजकल काफी चर्चा में हैं। पूर्व गृहमंत्री शिवराज सिंह पाटिल भी आत्मकथा लेकर सामने आए हैं हालांकि उन्होंने इसमें 26/11 मुंबई हमले का कोई जिक्र नहीं किया है। भारत के इतिहास के सबसे घातक आतंकी हमले के बाद पाटिल ने अपने गृह मंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया था।

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'ओडिसी ऑफ माई लाइफ' नाम की किताब में पाटिल ने राजनीतिक जीवन के विभिन्न पहलुओं और शिक्षा, विवाह कानून, ऊर्जा संरक्षण व प्रौद्योगिकी जैसे विषयों पर विचार पेश किए हैं। होम मिनिस्टर नाम के एक अध्याय में उन्होंने गृह मंत्रालय के कार्यो और शक्तियों, केंद्र-राज्य संबंधों, पंचवर्षीय योजनाओं, राज्य पुलिस बल, आतंकवाद और नक्सलवाद की व्याख्या की है।

देश में हुए आतंकी हमलों के बारे में उन्होंने केवल इतना ही लिखा है, 'किसी न किसी बहाने अंदरुनी व बाहरी ताकतें देश के कुछ हिस्सों में तनाव पैदा करने की कोशिश करती रहती हैं लेकिन उनसे राजनीतिक दूरदर्शिता और सशक्त बलों के इस्तेमाल से निपटा जा सकता है।' अपनी आत्मकथा में पाटिल ने देश की

वित्तीय राजधानी मुंबई पर हुए आतंकी हमले का कोई जिक्र नहीं किया है जिसकी नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए उन्होंने पद से इस्तीफा दे दिया था। हालांकि उन्होंने वर्ष 1999 में एनडीए सरकार के शासन में हुए कंधार विमान अपहरण का विस्तार से वर्णन किया है। पाटिल ने किताब में लिखा है, 'एक आतंकी को जेल से रिहा कर सरकारी विमान से काबुल भेज दिया गया। विदेश मंत्री जसवंत सिंह खुद उनके साथ गए थे। आतंकी समूह द्वारा अगवा किए विमान में सवार यात्रियों की जिंदगी बचाने के लिए यह कदम उठाया गया था।' उन्होंने कहा, ऐसे समय में एनडीए सरकार की दुविधा को समझना कांग्रेस के लिए मुश्किल नहीं है। लेकिन यह समझ से बाहर है कि आतंकियों को मुक्त करने के लिए खुद विदेश मंत्री को जाने की क्या जरूरत थी। यही कारण था कि एनडीए सरकार की आलोचना हुई थी।

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