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90,000 रुपए से कम कमा रहे पारसी को हाई कोर्ट ने गरीब माना

बॉम्बे हाई कोर्ट ने व्यवस्था दी है कि हर महीने 90 हजार रुपए से कम कमाने वाला पारसी गरीब है। हाई कोर्ट ने बॉम्बे पारसी पंचायत के उस मानक को लेकर अपनी सहमति जताई है, जिसके तहत 'गरीब व जरूरतमंद पारसी' को परिभाषित किया गया था।

By Edited By: Published: Thu, 23 Oct 2014 05:03 PM (IST)Updated: Thu, 23 Oct 2014 05:28 PM (IST)
90,000 रुपए से कम कमा रहे पारसी को हाई कोर्ट ने गरीब माना

मुंबई। बॉम्बे हाई कोर्ट ने व्यवस्था दी है कि हर महीने 90 हजार रुपए से कम कमाने वाला पारसी गरीब है। हाई कोर्ट ने बॉम्बे पारसी पंचायत के उस मानक को लेकर अपनी सहमति जताई है, जिसके तहत 'गरीब व जरूरतमंद पारसी' को परिभाषित किया गया था। इसके मुताबिक वह पारसी गरीब माना जाएगा, जिसकी हर महीने की आमदनी 90 हजार रुपए से कम है या जिसके पास 25 लाख रुपए से कम संपत्तिहै।

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2013-14 में 74,380 रुपए थी। ग्रामीण क्षेत्र से हर महीने 816 रुपए से कम व शहर में 1000 रुपए से कम खर्च करने वालों को गरीबी रेखा से नीचे माना गया था।

हाई कोर्ट ने पंथकी बाग, अंधेरी की कम्यूनिटी हाउसिंग सोसायटी में फ्लैट न मिलने के खिलाफ दहाणू के रहने वाले रोहिंटन तारापोरेवाला की याचिका खारिज कर दी। उन्होंने अपनी याचिका में कहा था कि उनके रहने की जगह वणगांव में स्वास्थ्य सुविधाएं बेहद साधारण हैं।

उन्होंने कहा कि उन्हें हाई ब्लड प्रेशर के साथ दिल व प्रोस्टेट की समस्याएं हैं व उनकी पत्नी अवसाद जैसे मानसिक रोगों से गुजर रही है, इन कारणों से वह मुंबई में घर चाहते हैं।

इस पर पंचायत ने कहा कि वह 2000 वर्गफीट जगह में बने 2 मंजिल के बंगले में रह रहे हैं। पंचायत ने बताया कि वह मुंबई के रहने वाले नहीं हैं और गुजरात सीमा के करीब दहाणू में रहते हैं। यह भी बताया गया कि तारापोरेवाला के बेटे-बेटी ब्रिटेन और अमेरिका में अपने परिवार के साथ रह रहे हैं।

ट्रस्टीज का कहना है कि फ्लैटों का आवंटन 2009 के हाई कोर्ट के निर्देशानुसार ही किया गया है। शादी के बाद रहने की जगह खोजने वालों को प्राथमिकता दी गई थी। आदेश में न्यायाधीश एसजे वजीफदार और रेवती मोहिती ने पाया कि तारापोरेवाला की हर महीने की आमदनी 90 हजार रुपए से ऊपर व कुल संपत्तिभी 25 लाख रुपए से ज्यादा थी। कोर्ट ने बताया कि उनके आवेदन फॉर्म में ही मुंबई से बाहर 17 एकड़ की जमीन का मालिक होने का जिक्र था, जिसकी कीमत उसमें 51 लाख रुपए बताई गई है।

कोर्ट ने कहा, 'जमीन की कीमत केवल 51 लाख रुपए होने में संदेह है। इस बात के कोई फर्क नहीं पड़ता कि वह विरासत में मिली जमीन है।' कोर्ट ने कहा कि तारापोरेवाला के इनकम-टैक्स रिटर्न से पता चलता है कि 2008-09 में उनकी आमदनी 11 लाख रुपए से ऊपर रही है और इस वजह से मानक के मुताबिक वह फ्लैट पाने के अधिकारी नहीं हैं।

जजों ने तारापोरेवाला की उस याचिका पर सुनवाई से इनकार कर दिया, जिसमें उन्होंने ट्रस्टीज द्वारा उन 'गरीब और जरूरतमंद पारसियों' के लिए 26 फ्लैटों को रिजर्व रखने को चुनौती दी थी, जिनके घर की मरम्मत हो रही है। कोर्ट ने कहा, 'यह मानते हुए कि यह आदेश इसी कोर्ट के डिवीजन बेंच के आदेश से विरोधाभासी है, लेकिन हम उस याचिकाकर्ता की याचिका पर सुनवाई के लिए तैयार नहीं है, जो 'गरीब और जरूरतमंद' पारसी के मानक को पूरा नहीं करता।'


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