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'टैक्स हैवन' बन सकती है खेती की आढ़ में कर चोरी

संसदीय समिति ने खेती की आड़ में टैक्स चोरी करने वालों के खिलाफ कार्रवाई करने की सिफारिश की है। समिति का कहना है कि खेती के नाम पर कर चोरी से देश के भीतर 'टैक्स हैवन' बन सकते हैं।

By Manish NegiEdited By: Published: Thu, 28 Apr 2016 08:32 PM (IST)Updated: Thu, 28 Apr 2016 09:30 PM (IST)
'टैक्स हैवन' बन सकती है खेती की आढ़ में कर चोरी

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। खेती से घटती आय और बढ़ते कर्ज से किसान भले ही आत्महत्या को मजबूर हों लेकिन कुछ लोग ऐसे हैं जिनकी सालाना कृषि आय एक करोड़ रुपये से अधिक है। देश में ऐसे लोगों की संख्या सौ-दो सौ नहीं बल्कि हजारों में है।

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खास बात यह है कि इनमें बहुत लोग ऐसे हैं जिनकी कमाई तो किसी और पेशे से है लेकिन टैक्स बचाने के मकसद से वे इसे कृषि आय के रूप में दिखा रहे हैं। यही वजह है कि संसदीय समिति ने खेती की आड़ में टैक्स चोरी करने वालों के खिलाफ कार्रवाई करने की सिफारिश की है। समिति का कहना है कि खेती के नाम पर कर चोरी से देश के भीतर 'टैक्स हैवन' बन सकते हैं।

वित्त मामलों संबंधी संसद की स्थाई समिति ने बृहस्पतिवार को लोक सभा में पेश अपनी रिपोर्ट में खेती से एक करोड़ रुपये की आय दिखाने वालों की संख्या में अचानक वृद्धि को गंभीरता से न लेने पर वित्त मंत्रालय की खिंचाई की है। समिति ने इस बात पर नाराजगी जताते हुए कहा है कि राजस्व विभाग इस महत्वपूर्ण मुद्दे को गंभीरता से नहीं ले रहा है। ऐसे मामलों की अनदेखी से देश में 'टैक्स हैवन' बन जाएंगे। इस तरह के टैक्स हैवन में कृषि आय के नाम पर कालाधन जमा हो सकता है।

समिति ने वित्त मंत्रालय को ऐसे मामलों में कड़ी कार्रवाई करने की सिफारिश की है। समिति ने रिपोर्ट पेश होने के एक माह के भीतर इस बारे में अपडेट कराने का निर्देश भी मंत्रालय को दिया है।

असल में समिति ने वित्त मंत्रालय से पूछा था कि क्या यह बात सही है कि देश में 2,746 करदाता ऐसे हैं जिनकी कृषि से आय एक करोड़ रुपये से अधिक है। चौंकाने वाली बात यह है कि आयकर विभाग के पास इसका पूरा ब्यौरा नहीं है। विभाग का कहना है कि आकलन वर्ष 2007-08 से 2015-16 के दौरान एक करोड़ रुपये से अधिक कृषि आय दिखाने वाले करदाताओं की संख्या 2349 है। हालांकि विभाग का कहना है कि यह संख्या पांच अप्रैल 2016 तक मिली जानकारी के आधार पर ही है। आगे इसमें बदलाव भी हो सकता है।

विभाग का कहना है कि खेती से एक करोड़ रुपये से अधिक की आय दिखाने वाले कई करदाताओं की आय से जुड़े दस्तावेजों की जांच करने पर पता चला है कि उनकी यह कमाई कृषि से नहीं थी।

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