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GST संविधान संशोधन बिल लोकसभा से पास, जानिए- अब क्या होगा

सर्वसम्मति से सभी उपस्थित सभी 443 सदस्यों ने बिल के पक्ष में मतदान किया। जीएसटी संविधान संशोधन (122वां) बिल लोकसभा से भी पास हो गया।

By Sanjeev TiwariEdited By: Published: Mon, 08 Aug 2016 07:16 PM (IST)Updated: Mon, 08 Aug 2016 10:46 PM (IST)
GST संविधान संशोधन बिल लोकसभा से पास, जानिए- अब क्या होगा

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। राज्य सभा में जीएसटी (122वां संसोधन) पास होने के बाद अाज लोकसभा में वोटिंग हुई। सर्वसम्मति से सभी उपस्थित सभी 443 सदस्यों ने बिल के पक्ष में मतदान किया। जीएसटी संविधान संशोधन (122वां) बिल लोकसभा से भी पास हो गया।

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इससे पहले एआईएडीएमके ने लोकसभा में जीएसटी पर चर्चा का बहिष्कार करते हुए सदन से वॉकआउट किया। लोकसभा से राज्यसभा द्वारा संशोधित जीएसटी विधेयक पारित होने पर कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा कि मुझे लगता है कि यह देश के लिए अच्छा कदम है।

जीएसटी की दर क्या होगी? जीएसटी के दायरे में किन उत्पादों को रखा जाएगा अथवा कौन से उत्पाद बाहर रहेंगे? इसे लेकर राजनीतिक दलों में अभी भी स्पष्टता नहीं है। लोकसभा में जीएसटी पर संविधान संशोधन विधेयक पर चर्चा के दौरान कई सांसदों ने इन सवालों को उठाया। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने चर्चा का जवाब देते हुए विस्तार से सदन को समझाया कि अब सारी कमान जीएसटी काउंसिल के हाथों में होगी और वही इन सब मसलों के जवाब तलाशेगी।

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वित्त मंत्री ने बताया कि राज्यों की विधानसभाओं और फिर राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद अब इस कानून को धरातल पर उतारने की जिम्मेदारी जीएसटी काउंसिल के हाथों में होगी। इस परिषद के गठन के बाद जीएसटी के संबंध में निर्णय लेने की शक्तियां केंद्र और राज्य से निकलकर जीएसटी काउंसिल में आ जाएंगी जो सामूहिक तौर पर महत्वपूर्ण निर्णय करेगी। सभी राज्यों के वित्त मंत्रियों की सदस्यता वाली इस काउंसिल की अध्यक्षता केंद्रीय वित्त मंत्री करेंगे।

यह काउंसिल कितनी महत्वपूर्ण है इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि प्रस्तावित जीएसटी विधेयक का मसौदा भी यही तैयार करेगी। कांग्रेस सदस्यों की जीएसटी दर 18 प्रतिशत निर्धारित करने की मांग के संबंध में भी वित्त मंत्री ने कहा कि जीएसटी दरें तय करने का अधिकार जीएसटी काउंसिल के पास होगा। उन्होंने कहा कि कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे पर कटाक्ष करते हुए कहा कि कांग्रेस 2015 से पहले खुद नहीं जानती थी कि टैक्स की दर क्या रखी जाए और आज वह कैपिंग की बात कर रही है।

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उन्होंने कहा कि टैक्स की दर ऐसी होनी चाहिए जिससे राज्यों व केंद्र को राजस्व का नुकसान न हो। टैक्स की अधिकतम सीमा तय करवाने से पहले कांग्रेस को खुद कांग्रेस शासित राज्यों के वित्त मंत्रियों से पूछना चाहिए कि वे जीएसटी की दर कितने प्रतिशत रखना चाहते हैं। जेटली ने कहा कि केरल के वित्त मंत्री ने जीएसटी की दरें 22 प्रतिशत रखने की बात कही है वहीं कुछ अन्य राज्यों ने 20 प्रतिशत की बात कही है। लेकिन हकीकत यह है कि यह दर कितनी होगी, इसका फैसला सभी राज्य मिलकर जीएसटी परिषद में करेंगे।

जेटली ने कहा कि अभी हम संविधान संशोधन विधेयक पर चर्चा करे रहे हैं जो केवल जीएसटी काउंसिल के गठन का अधिकार देता है। लेकिन अधिकांश सदस्य उन सभी विषयों को उठा रहे हैं जिन्हें इस काउंसिल के जरिए ही हल होना है। दो या दो से अधिक राज्यों या केंद्र व राज्यों के बीच होने वाले विवाद का निपटारा कैसे हो इसका तंत्र भी इसी जीएसटी काउंसिल को तय करना है। वित्त मंत्री ने कहा कि इन सब सवालों के जवाब उनके पास नहीं है। इन्हें जीएसटी काउंसिल को ही ढूंढना है और उसमें तकरीबन सभी राजनीतिक दलों के नुमाइंदे वित्त मंत्री के तौर पर शामिल होंगे।

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