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आफिसों में यौन उत्पीड़न रोकने को संसद में बिल पास

संसद में सोमवार को कार्यालयों में होने वाले यौन उत्पीड़न को रोकने वाले बिल को पास कर दिया। इसमें महिला कर्मचारी से छेड़खानी, नौकरी का झांसा देकर यौन संबंध बनाने का दबाव, अश्लील फिल्म या क्लिपिंग दिखाना, अश्लील टिप्पणी करना आदि को शामिल किया गया है। इसके पीछे सरकार का मकसद कार्यालयों में महिलाओं

By Edited By: Published: Tue, 12 Mar 2013 09:56 AM (IST)Updated: Tue, 12 Mar 2013 09:56 AM (IST)
आफिसों में यौन उत्पीड़न रोकने को संसद में बिल पास

नई दिल्ली। संसद में सोमवार को कार्यालयों में होने वाले यौन उत्पीड़न को रोकने वाले बिल को पास कर दिया। इसमें महिला कर्मचारी से छेड़खानी, नौकरी का झांसा देकर यौन संबंध बनाने का दबाव, अश्लील फिल्म या क्लिपिंग दिखाना, अश्लील टिप्पणी करना आदि को शामिल किया गया है। इसके पीछे सरकार का मकसद कार्यालयों में महिलाओं के साथ हो रहे दु‌र्व्यवहार को रोकने का है।

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महिलाओं का कार्यस्थल पर लैंगिक उत्पीडन (निवारण) प्रतिबंध एवं प्रतितोष विधेयक 2012 पर राज्यसभा में पारित संशोधनों को सोमवार को लोकसभा में भी मंजूर कर लिया गया।

लोकसभा में सोमवार को महिला एवं बाल विकास मंत्री कृष्णा तीरथ ने इस विधेयक के राज्यसभा में पारित होने और उसमें संशोधनों की जानकारी देते हुए सदन की स्वीकृति दिए जाने का प्रस्ताव किया। इसे सदन में ध्वनिमत से स्वीकार कर लिया गया।

इस विधेयक में सरकारी निजी, संगठित असंगठित सभी क्षेत्रों में काम करने वाली महिलाओं को लैंगिक उत्पीड़न से सुरक्षा प्रदान करने का इंतजाम किया गया है। इसमें खेतिहर मजदूर एवं घरेलू कामगार शामिल हैं। विधेयक के मुताविक दस से अधिक कर्मचारी वाले किसी भी संगठन में यौन अपराधों से निपटने के लिए एक आंतरिक समिति गठित करना आवश्यक होगा। ऐसा नहीं किए जाने पर पचास हजार रुपए का जुर्माने का प्रावधान है। दोबारा ऐसा होने पर संगठन का रजिस्ट्रेशन तक रद्द हो सकता है।

लोकसभा ने इस विधेयक को तीन सितंबर 2012 को पारित किया था जबकि राज्यसभा ने 25 फरवरी को दो संशोधनों के साथ पारित करके लोकसभा को लौटा दिया था। इस तरह इस विधेयक को संसद की पूर्ण स्वीकृति मिल गई है तथा अब इस पर राष्ट्रपति के हस्ताक्षर होने बाकी है।

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