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पार्क स्ट्रीट गैंगरेप के अभियुक्तों को जमानत नहीं

नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। सुप्रीम कोर्ट ने कोलकाता के पार्क स्ट्रीट सामूहिक दुष्कर्म कांड के आरोपियों को जमानत देने से इन्कार कर दिया है। कोर्ट ने मंगलवार को अभियुक्त सुमित बजाज व नासिर खान की जमानत अर्जी खारिज कर दी।

By Edited By: Published: Tue, 29 Jan 2013 04:05 PM (IST)Updated: Tue, 29 Jan 2013 07:54 PM (IST)
पार्क स्ट्रीट गैंगरेप के अभियुक्तों को जमानत नहीं

नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। सुप्रीम कोर्ट ने कोलकाता के पार्क स्ट्रीट सामूहिक दुष्कर्म कांड के आरोपियों को जमानत देने से इन्कार कर दिया है। कोर्ट ने मंगलवार को अभियुक्त सुमित बजाज व नासिर खान की जमानत अर्जी खारिज कर दी।

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कोलकाता में पांच- छह फरवरी की रात पार्क स्टीट के एक पब के बाहर से महिला को ले जाकर कार में सामूहिक दुष्कर्म किया गया था। महिला की शिकायत पर नौ फरवरी को मामला दर्ज हुआ था। इस मामले के पांच अभियुक्त हैं जिनमें तीन जेल में हैं जबकि दो अभी तक फरार हैं।

न्यायमूर्ति जीएस सिंघवी व न्यायमूर्ति एचएल गोखले की पीठ ने सुमित बजाज व नासिर खान की जमानत अर्जी खारिज करते हुए कहा कि अभी भी दो अभियुक्त फरार हैं। ऐसे में अभियुक्तों को जमानत पर रिहा करना उचित नहीं लगता। कोर्ट ने कहा कि वे मामले की मेरिट पर कोई राय प्रकट नहीं कर रहे हैं।

इससे पहले अभियुक्त सुमित बजाज की ओर से बहस करते हुए वरिष्ठ अधिवक्ता यूयू ललित ने कहा कि उनका मुवक्किल इस अपराध में शामिल नहीं था। यह मामला गलत पहचान का है। जो कार अपराध में प्रयोग बताई जा रही है वह उनके मुवक्किल के पिता की है। कार की पहली बार ली गई तलाशी में कुछ नहीं मिला। जबकि अभियोजन पक्ष दूसरी बार की तलाशी में 17 इंच लंबा बाल और इयर रिंग मिलने की बात कह रहा है। उन्होंने कहा कि पीड़िता के बाल 15 इंच से ज्यादा लंबे नहीं हैं। उनका मुवक्किल पिछले 11 महीने से जेल में है। मामले की जांच पूरी हो चुकी है और आरोप पत्र भी दाखिल हो चुका है। ऐसे में उसे जेल में रखने का कोई मतलब नहीं है।

दूसरे अभियुक्त नासिर खान के वकील ने कहा कि पीड़िता ने कभी भी उनके मुवक्किल की अभियुक्त के तौर पर पहचान नहीं की है। पीड़िता का बयान है कि एक व्यक्ति नासिर खान भी था। ये बयान यह साबित नही करता की उनका मुवक्किल ही वह नासिर खान था। नासिर खान बहुत से हो सकते हैं। उनके मुवक्किल की शिनाख्त परेड नहीं हुई है।

पश्चिम बंगाल पुलिस की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने जमानत अर्जियों का विरोध करते हुए कहा कि अभियुक्तों ने दुष्कर्म का जघन्य अपराध किया है। इन्हें जमानत नहीं मिलनी चाहिए। पीड़िता ने कार की पहचान की है। पीड़िता का बयान है और होटल में काम करने वाले 15 और लोगों के बयान है। अभियुक्तों के खिलाफ पर्याप्त सबूत हैं। इन्हें जमानत नहीं दी जानी चाहिए। पीठ ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद जमानत अर्जियां खारिज कर दीं। इससे पहले कलकत्ता हाईकोर्ट भी अभियुक्तों की जमानत अर्जी खारिज कर चुका है।

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