कोई नहीं मिल रहा पाक को आंसू पोंछने वाला, सार्क सम्मेलन रद
भारत ने जिस तरह से डंके की चोट पर गुलाम कश्मीर में घुस कर आतंकियों को मारा है उस पर पाकिस्तान जार-जार रो रहा है लेकिन उसके आंसू पोंछने वाला कोई नहीं है।
नई दिल्ली, (जयप्रकाश रंजन)। यह या तो आतंरिक राजनीति की मजबूरी है या फिर हकीकत से आंख चुराने की आदत। वजह जो भी हो पाकिस्तान के हुक्मरान भारतीय कूटनीति की ताकत को अभी भी नजरअंदाज करने से बाज नहीं आ रहे। हालात यह है कि भारत ने जिस तरह से डंके की चोट पर गुलाम कश्मीर में घुस कर आतंकियों को मारा है उस पर पाकिस्तान जार-जार रो रहा है लेकिन उसके आंसू पोंछने वाला कोई नहीं है।
अमेरिका ने एक तरह से भारत के सर्जिकल स्ट्राइक के कदम का मूक समर्थन कर दिया है तो पाकिस्तान के पड़ोसी देश अफगानिस्तान ने भी खुल कर भारत के आपरेशन का पक्ष लिया है। उधर, सार्क बैठक को लेकर पाकिस्तान को श्रीलंका से उम्मीद थी कि वह मदद करेगा लेकिन उसने भी सार्क का बहिष्कार कर पाक को आईना दिखा दिया है।
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रूस-अमेरिका भारत के साथ
रूस के साथ रणनीतिक पहल बढ़ा रहे पाकिस्तान को वहां से भी मुंह की खानी पड़ी है। सर्जिकल स्ट्राइक की घोषणा के एक दिन बाद रूस ने बयान जारी कर पाकिस्तान को नसीहत दी है कि वह अपने घर में छिपे आतंकियों को नष्ट करने के लिए कदम उठाये। रूस ने यह भी कहा है कि आतंकवाद के हर रूप का खात्मा किया जाना चाहिए। सनद रहे कि अभी रूस सेना की एक टुकड़ी पाकिस्तान की सेना के साथ सैन्य अभ्यास कर रही है।
वैसे अमेरिका इस बात का भी ख्याल रख रहा है कि मौजूदा हालात ज्यादा न बिगड़े और परमाणु संपन्न दोनो देशों के बीच युद्ध की नौबत न आये। यही वजह है कि अमेरिका ने अपने भारतीय राजदूत रिचर्ड वर्मा को तत्काल भारत भेज दिया है। वर्मा अमेरिका में थे जहां उन्हें कुछ कार्यक्रमों भाग लेना था लेकिन सारे कार्यक्रम को रद्द कर वह भारत लौट आये हैं।
वाशिंगटन में अमेरिकी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता से जब पूछा गया कि भारतीय सेना के सर्जिकल स्ट्राइक के बारे में उन्हें क्या कहना है तो उन्होंने जवाब दिया कि, 'उड़ी जैसे हमले के बाद तो हालात बिगड़ ही जाते हैं। वैसे भी उड़ी हमला बहुत ही भयानक है। अमेरिका पूरे हालात पर नजर रखे हुए हैं लेकिन दोनो देशों के बीच बातचीत को जारी देखना चाहते हैं ताकि उनके बीच तनाव को कम किया जा सके।'
यह भी माना जा रहा है कि सर्जिकल स्ट्राइक को लेकर भारत और अमेरिका के बीच कुछ मंत्रणा भी हुई है। जिस समय भारतीय सेना का यह आपरेशन चल रहा था ठीक उसी समय अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार सूसान राइस ने एनएसए अजीत डोभाल से बात की है। इसी तरह से विदेश मंत्री सुषमा स्वराज की अमेरिकी विदेश मंत्री जॉन केरी से दो बार बातचीत होने की बात सामने आई है। दो स्तर पर हुई इस बातचीत के केंद्र में उड़ी हमला ही रहा है। कुल मिलाकर भारत ने सर्जिकल स्ट्राइक से पहले ही यह सुनिश्चित कर लिया था कि पाकिस्तान लाख कोशिशों के बावजूद विश्व समुदाय का सहानुभूति प्राप्त न कर पाए।
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आत्मरक्षा में उठाया सही कदम : अफगानिस्तान
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। बांग्लादेश के बाद सार्क क्षेत्र में अफगानिस्तान दूसरा ऐसा देश हो गया है जिसने सर्जिकल स्ट्राइक पर भारत का खुल कर समर्थन किया है। अफगान के भारतीय राजदूत शाइदा अब्दाली ने कहा है कि भारत ने यह कदम आत्मरक्षा में उठाया है। अब समय आ गया है कि आतंकियों के खिलाफ बगैर किसी भेद-भाव के कार्रवाई की जाए और उन्हें नष्ट किया जाए। उन्होंने पीएम नरेंद्र मोदी की भी तारीफ की जो आतंकियों के खिलाफ कड़े कदम उठा रहे हैं।
अब्दाली ने कहा कि अगर लंबे समय तक आतंकियों को खुली छूट मिले तो वह किसी भी देश के लिए बड़ी मुसीबत बन जाते हैं और फिर उस देश को आत्मरक्षा के लिए कदम उठाने ही पड़ते हैं। अब्दाली का इशारा साफ तौर पर पाकिस्तान की तरफ से हक्कानी ग्रूप व तालिबान को समर्थन देने की नीति की तरफ था जो अफगानिस्तान के लिए कई तरह की समस्याएं पैदा कर रहे हैं।
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श्रीलंका ने भी दिखाया आईना
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। श्रीलंका की तरफ से सार्क बैठक में शामिल नहीं होने की घोषणा के कुछ ही घंटे बाद पाकिस्तान ने सार्क बैठक को रद्द करने का ऐलान कर दिया। पाकिस्तान ने कहा है कि नवंबर, 2016 में होने वाली सार्क बैठक को रद्द किया जा रहा है। बैठक की नई तिथि जल्द घोषित की जाएगी। यह पाकिस्तान की बहुत बड़ी कूटनीतिक हार है क्योंकि सार्क के आठ देशों में से चार तो पहले ही इसका बहिष्कार कर चुके थे।
पाक की उम्मीदों के विपरीत श्रीलंका ने शुक्रवार को इसलामाबाद में नवंबर, 2016 में होने वाली सार्क शिखर बैठक में हिस्सा लेने से मना कर दिया है। भारत, अफगानिस्तान, भूटान और बांग्लादेश के बाद श्रीलंका पांचवा देश है जिसने कहा है कि मौजूदा माहौल में सार्क बैठक नहीं हो सकती। उसने सार्क देशों से आग्रह भी किया है कि वे आतंकवाद के हर रूप को नष्ट करने में सहयोग बढ़ाये।
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