भारत की चुप्पी को कमजोरी न समझे पाकिस्तान: मनोहर पर्रिकर
रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने कहा कि अगर पाकिस्तान इस तरह के षड्यंत्र जारी रखता है, तो हम उन्हें एक करारा जवाब देंगे। पाकिस्तान भारत चुप्पी को कमजोरी न समझे।
पौड़ी गढ़वाल, [जेएनएन]: रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने कहा कि अगर पाकिस्तान इस तरह के षड्यंत्र जारी रखता है, तो हम उन्हें एक करारा जवाब देंगे। पाकिस्तान भारत चुप्पी को कमजोरी न समझे। साथ ही उन्होंने कहा पीएम नरेंद्र मोदी हनुमान हैं और मैंने तो जामवंत की भूमिका निभाई है। हमारी सेना ने आतंकियों के ठिकानों को ध्वस्त किया। पाकिस्तान को अब समझ लेना चाहिए कि हम बोलते नहीं शांति से सब काम करते हैं। उन्होंने यह बात उत्तराखंड के पौड़ी जनपद के थलीसैंण ब्लॉक के दूरस्थ क्षेत्र पीठसैंण में पेशावर कांड के नायक वीर चंद्र सिंह गढ़वाली की पुण्यतिथि पर आयोजित गढ़वाली की प्रतिमा अनावरण कार्यक्रम के दौरान कही।
उत्तराखंड के जिला मुख्यालय पौड़ी से 120 किलोमीटर दूर थैलीसैंण ब्लाक के पीठसैंण कस्बे में प्रसिद्ध स्वतंत्रता संग्राम सेनानी चंद्र सिंह गढ़वाली की पुण्य तिथि पर उनकी मूर्ति का अनावरण करते हुए रक्षा मंत्री ने कहा कि भारतीय सेना ने आतंकियों के शिविर ध्वस्त कर दिए हैं। अब पाकिस्तान को समझ लेना चाहिए कि हमारी सेना कितनी ताकतवर है। हम बोलते नहीं, बल्कि शांति से ही सब काम करते हैं। सर्जिकल स्ट्राइक में अपनी भूमिका पर टिप्पणी के दौरान पर्रीकर ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तुलना हनुमान से की और कहा कि मैंने सिर्फ उन्हें उनकी शक्ति याद दिलायी।
पीठसैंण में सैनिक स्कूल खोलने की मांग पर उन्होंने कहा कि राज्य में सरकार बनाओ, प्रस्ताव आएगा तो इस पर कुछ न कुछ विचार किया जाएगा। उत्तराखंड के युवाओं को सेना में छूट देने पर उन्होंने मानकों के अनुसार विचार करने का आश्वासन दिया। कार्यक्रम में रक्षा मंत्री ने शहीद सैनिकों के परिजनों के साथ ही वीरता पुरस्कार प्राप्त करने वाले सैनिकों को भी सम्मानित किया।
कार्यक्रम में कपड़ा राज्य मंत्री अजय टम्टा, पौड़ी के सांसद बीसी खंडूड़ी, हरिद्वार के सांसद रमेश पोखरियाल निशंक, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष अजय भट्ट, प्रदेश प्रभारी श्याम जाजू व वरिष्ठ नेता सतपाल महाराज भी मौजूद थे।
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पेशावर कांड के नायक थे वीर चंद्र सिंह गढ़वाली
पौड़ी जिले के मासी गांव में जन्मे वीर चंद्र सिंह गढ़वाली रॉयल गढ़वाल राइफल्स में हवलदार मेजर थे। वर्ष 1930 में स्वतंत्रता आंदोलन चरम पर था। पेशावर में भी पठान आंदोलन कर रहे थे। तब अंग्रेजों ने आंदोलन को कुचलने के लिए गढ़वाल राइफल्स को पेशावर भेजा, लेकिन चंद्र सिंह गढ़वाली के नेतृत्व में सैनिकों ने निहत्थे आंदोलनकारियों पर गोली चलाने से इन्कार कर दिया। उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। मुकदमा चला और मौत की सजा सुनाई गई। हालांकि बाद में सजा को उम्रकैद में बदल दिया गया। आजादी के बाद यह महानायक समाज सेवा में लगा रहा। महात्मा गांधी ने एक बार उनके बारे में कहा था कि मुझे एक गढ़वाली और मिला होता तो देश कभी का स्वतंत्र हो गया होता।