दिल्ली के विकास में यूपी-बिहार वालों को बाधा बता फंसे गोयल
दिल्ली में उत्तर प्रदेश और बिहार के लोगों के आने और बसने पर वरिष्ठ भाजपा नेता विजय गोयल के बयान से सियासी घमासान मच गया है। सरकार गठन और चुनाव को लेकर अधर में फंसी दिल्ली में गोयल विपक्षी दलों के साथ-साथ खुद अपनी पार्टी के नेताओं के भी निशान पर आ गए हैं। उन्हें भी यह याद दिला दिया गया है कि वह खुद हरियाणा के मूल निवासी हैं और बाद में दिल्ली आकर दिल्ली वाले हो गए हैं।
नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। दिल्ली में उत्तर प्रदेश और बिहार के लोगों के आने और बसने पर वरिष्ठ भाजपा नेता विजय गोयल के बयान से सियासी घमासान मच गया है। सरकार गठन और चुनाव को लेकर अधर में फंसी दिल्ली में गोयल विपक्षी दलों के साथ-साथ खुद अपनी पार्टी के नेताओं के भी निशान पर आ गए हैं। उन्हें भी यह याद दिला दिया गया है कि वह खुद हरियाणा के मूल निवासी हैं और बाद में दिल्ली आकर दिल्ली वाले हो गए हैं।
गौरतलब है कि विजय गोयल ने गुरुवार को राज्य सभा में कहा कि उत्तर प्रदेश और बिहार से आने वाले मजदूरों के कारण दिल्ली के विकास पर असर पड़ता है। करीब छह लाख लोग जो हर साल राजधानी में आकर बसते हैं, उन्हें यहां आने से रोकना होगा। हालांकि बाद में उन्होंने इसे संभालने की कोशिश की और कहा कि उन राज्यों में भी विकास होगा तो दिल्ली पर बोझ कम पड़ेगा।
इसी क्रम में उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय की शाखा भी राज्यों मे खोलने की सलाह दी थी। उनके इस बयान पर कांग्रेस के महाबल मिश्रा ने कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि दिल्ली किसी के बाप की नहीं है। आम आदमी पार्टी ने भी इस बयान की निंदा की और आरोप लगाया कि भाजपा हमेशा बांटने की राजनीति करती है।
बात यहीं नहीं रुकी। भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता शाहनवाज हुसैन ने सधे हुए शब्दों में याद दिलाया कि गोयल भी हरियाणा से आकर दिल्ली में बसे थे। तो बिहार से भाजपा सांसद कीर्ति आजाद ने थोड़ा तीखा रुख दिखाते हुए कहा कि गोयल को इस तरह के बयान से बचना चाहिए। ट्विटर पर एक यूजर ने चुटकी लेते हुए लिखा है, 'विजय गोयल एक नई पार्टी बनाने वाले हैं जिसका नाम होगा दिल्ली नवनिर्माण सेना।'
दरअसल गोयल की तुलना महाराष्ट्र नव निर्माण सेना के अध्यक्ष राज ठाकरे से करने की कोशिश हुई। ध्यान रहे कि ऐसे बयानों पर तत्कालीन कांग्रेस मुख्यमंत्री शीला दीक्षित को भाजपा नेतृत्व ने भी खरी-खोटी सुनाई थी। जाहिर है कि गोयल के बयानों को संगठन से भी लताड़ मिल सकती है। कम से कम उनकी उन कोशिशों पर पूरी तरह पानी फिरना तय है जिसके तहत वह दिल्ली में मुख्यमंत्री बनने की आस लगाए बैठे हैं।