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सरकार व पूर्व फौजियों में कोई नहीं दिखाना चाहता जल्दबाजी

पूर्व फौजियों की 'वन रैंक वन पेंशन' की मांग को लेकर नए सिरे से गतिरोध पैदा हो गया है। इसको लेकर सरकार और आंदोलनकारियों के बीच अब बातचीत भी ठप हो गई है। समाधान के बेहद करीब पहुंचने के बाद अब फिर से दोनों ही पक्ष अपनी-अपनी बात पर पूरी

By Sudhir JhaEdited By: Published: Sat, 29 Aug 2015 08:45 PM (IST)Updated: Sun, 30 Aug 2015 01:15 AM (IST)
सरकार व पूर्व फौजियों में कोई नहीं दिखाना चाहता जल्दबाजी

नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। पूर्व फौजियों की 'वन रैंक वन पेंशन' की मांग को लेकर नए सिरे से गतिरोध पैदा हो गया है। इसको लेकर सरकार और आंदोलनकारियों के बीच अब बातचीत भी ठप हो गई है। समाधान के बेहद करीब पहुंचने के बाद अब फिर से दोनों ही पक्ष अपनी-अपनी बात पर पूरी तरह अड़ गए हैं। उधर, मांग के समर्थन में आमरण अनशन कर रहे एक और पूर्व फौजी को शनिवार को अस्पताल पहुंचाना पड़ा।

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आंदोलनरत पूर्व फौजियों के संगठन 'इंडियन एक्स सर्विसमेन मूवमेंट' के उपाध्यक्ष मेजर जनरल सतबीर सिंह कहते हैं, 'सरकार ने जो प्रस्ताव दिया है, वह हमें मंजूर नहीं है। यह किसी फौजी का मंजूर नहीं होगा।' सरकार और पूर्व फौजियों के बीच चली बातचीत में शामिल रहे एक और पूर्व फौजी कहते हैं कि फिलहाल सरकारी रुख को देखते हुए उन्होंने और बातचीत नहीं करने का फैसला किया है। अब अगले दौर की बातचीत तभी होगी, जब सरकार इसे मूल रूप में ही लागू करने को तैयार हो।

उधर, केंद्र सरकार के एक वरिष्ठ सूत्र कहते हैं, 'सरकार जल्दबाजी में इस बारे में ऐसा कोई एलान नहीं करना चाहती, जिसे लागू ही नहीं किया जा सके। सरकार अपनी वित्तीय सीमाओं को देखते हुए ही काम कर सकती है। इस बारे में उन्हें बता दिया गया है। अब हमें उनके जवाब का इंतजार है।' बातचीत के बारे में वे कहते हैं कि सरकार ने पूरी कोशिश की थी कि शुक्रवार को 1965 के युद्ध की रजत जयंती पर कार्यक्रम की औपचारिक शुरुआत से पहले आंदोलन को खत्म करवाया जा सके। मगर सरकार दबाव में आकर कोई फैसला नहीं कर सकती।

साथ ही वे कहते हैं कि इस मुद्दे को सैन्य बलों की प्रतिष्ठा से जोड़ कर देखा जाना ठीक नहीं है। शुक्रवार को रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने भी कहा था, 'प्रधानमंत्री ने स्वयं लाल किले से कह दिया है कि इस पर सरकार सैद्धांतिक रूप से सहमत है। अब प्रधानमंत्री कार्यालय सीधे जुड़ गया है। ऐसे में यह कहना ठीक नहीं है कि इतने दिन में कर दीजिए। समाधान के लिए सभी जरूरी कदम उठाए जा रहे हैं।'

उधर, जंतर-मंतर पर अपनी मांग को ले कर आमरण अनशन कर रहे एक और पूर्व फौजी हवलदार अभिलाष सिंह को शनिवार को अस्पताल में भर्ती करवाना पड़ा। वे पांचवें पूर्व फौजी हैं, जिन्हें हालत खराब होने के बाद अस्पताल ले जाया गया है। इसी तरह 'वॉयस ऑफ एक्स सर्विसमेन सोसाइटी' के बैनर तले अलग से आंदोलन कर रहे गैर अधिकारी वर्ग के पूर्व फौजियों ने रविवार को जंतर-मंतर से इंडिया गेट तक कैंडल मार्च निकालने का एलान किया है।

पूर्व सैनिकों ने की राष्ट्रपति का हस्तक्षेप की अपील

नई दिल्ली। वन रैंक वन पेंशन (ओआरओपी) मुद्दे पर सरकार से सहमति नहीं बन पाने के बाद पूर्व फौजियों ने राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी से हस्तक्षेप कर इस मामले को सुलझाने की गुहार लगाई है। उल्लेखनीय कि देश की सेना के सर्वोच्च कमांडर राष्ट्रपति ही हैं।

आंदोलनकारी पूर्व फौजियों के संगठन यूनाइटेड फ्रंट ऑफ एक्स-सर्विसमेन (यूएफईएसएम) ने इस संदर्भ में राष्ट्रपति को पत्र लिखा है। दूसरी ओर वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा है कि दुनिया में कहीं भी हर साल पेंशन संशोधन नहीं होता। पूर्व फौजियों की यह भी एक मुख्य मांग है। देश की वित्तीय स्थिति की अनदेखी नहीं की जा सकती।

पढ़ेंः OROP पर फंसा पेंच, प्रत्येक वर्ष पेंशन समीक्षा के मुद्दे पर गतिरोध


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